नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी को लेकर देशभर में जारी विरोध प्रदर्शनों के बीच, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने कहा है कि उन्हें देश के मौजूदा हालातों से 1977 के आपातकाल की याद आती है, जिसके बाद तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार को सत्ता से बेदखल होना पड़ा था. पवार का मानना है कि अगर देश में ऐसे ही हालात बरकरार रहे तो मुमकिन है कि बीजेपी को भी सत्ता से हाथ धोना पड़े.
'एकजुट हो सकते हैं विपक्षी दल'
रिपब्लिक वर्ल्ड डॉट कॉम में छपी रिपोर्ट के मुताबिक शरद पवार ने बुधवार को कहा कि नागरिकता संशोधन कानून, एनआरसी और सोशल मीडिया पर नियंत्रण जैसे विवादित मुद्दों पर विपक्षी दल एकजुट हो सकते हैं. पवार का यह बयान ऐसे समय पर आया जब प्रमुख विपक्षी दलों के एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को दिल्ली में सीएए के खिलाफ राष्ट्रपति से मुलाकात की.
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इमरजेंसी से तुलना
पवार ने संकेत दिया कि अगर विपक्षी पार्टियां एकजुट रहती हैं और मौजूदा आंदोलन जारी रहता है, तो ये देश में सत्ता परिवर्तन की दिशा तय करेंगे. उन्होंने भारत की मौजूदा स्थिति की तुलना 1977 में आपातकाल के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन से की, जिस वजह से उस वक्त सत्ता में परिवर्तन हुआ था.
“इस समय कुछ भी नहीं कह सकते. विरोध प्रदर्शन अल्पसंख्यकों तक सीमित नहीं रह गए हैं. अन्य लोग भी इसमें शामिल हो गए हैं. मुझे याद आता है कि 1977 में इसी तरह के एक विरोध ने बाद देश भर में गति पकड़ी थी और सरकार को बदल दिया गया था. इसलिए सीएए के खिलाफ चल रहे आंदोलन को देखते हुए बीजेपी के सत्ता से बेदखल होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है.’’-शरद पवार
जो राज्य नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहे हैं, उनके बारे में बात करते हुए पवार ने कहा कि केंद्र उन राज्यों में राष्ट्रपति शासन लागू कर सकती है. उन्होंने कहा, "इसके लिए उन्हें (केंद्र को) आर्टिकल 356 का सहारा लेना होगा. लेकिन इसमें भी सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले हैं और सरकार उन उनके मुताबिक ही कुछ कर पाएगी."
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