राज्यसभा में शिवसेना सांसद अनिल देसाई प्राइवेट मेंबर बिल लेकर आए हैं. ये बिल परिवार में बच्चों की संख्या दो तक सीमित करने को प्रोत्साहन के लिए इंसेंटिव देने की बात करता है. देसाई ने संविधान में इसके लिए संशोधन का प्रस्ताव दिया है.
बिल संविधान में संशोधन कर एक नया प्रावधान आर्टिकल 47A लाने की बात करता है. इस आर्टिकल के मुताबिक,
बढ़ती जनसंख्या को काबू में करने लिए राज्य को परिवार के मानदंडों को टैक्स, नौकरी और शिक्षा में इंसेंटिव देकर प्रमोट करना चाहिए. ये इंसेंटिव ऐसे परिवारों को दिए जाने चाहिए जो बच्चों की संख्या 2 तक सीमित करते हैं. जो इस मानदंड का उल्लंघन करता है, उसे कोई छूट नहीं मिलनी चाहिए और इंसेंटिव भी वापस ले लेने चाहिए.
अगर बिल पास हो जाता है तो ये प्रावधान भारतीय संविधान के डायरेक्टिव प्रिंसिपल ऑफ स्टेट पॉलिसी सेक्शन में जुड़ जाएगा. ये सेक्शन नीतियां और कानून बनाने के लिए सरकार के बुनियादी सिद्धांत या गाइडलाइन की तरह काम करता है.
द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, बिल का 'स्टेटमेंट ऑफ ऑब्जेक्ट्स एंड रीजन' देश की जनसंख्या 125 करोड़ से ज्यादा हो जाने को 'डरावना' बताता है. इसके अलावा बिल केंद्र और राज सरकारों से इसे बढ़ने से रोकने के लिए स्कीम लॉन्च करने को भी कहता है.
जनसंख्या पर बिल पहली बार नहीं
ऐसा पहली बार नहीं है जब जनसंख्या को काबू में करने के उपाय विधायिका में बदलाव के जरिए मांगे गए हों. द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, 2016 में बीजेपी सांसद प्रह्लाद सिंह पटेल ने भी जनसंख्या नियंत्रण पर एक प्राइवेट मेंबर बिल पेश किया था. हालांकि, इस बिल पर वोटिंग नहीं हुई थी.
जुलाई 2019 में बीजेपी सांसद राकेश सिन्हा ने भी राज्य सभा में जनसंख्या नियंत्रण बिल लेकर आए थे. ये भी एक प्राइवेट मेंबर बिल था और इसमें दो से ज्यादा बच्चों वाले परिवार को दंड देने का प्रस्ताव था.
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