बिहार के नालंदा की श्वेता शाही को एक कैंपेन के तहत रग्बी के खेल में महिलाओं के ग्लोबल डेवलपमेंट के लिए आयोजित मीटिंग का हिस्सा बनने के लिए बुलाया है. श्वेता शाही की कहानी को क्विंट ने 'मी, द चेंज' कैंपेन में कवर किया था.
18 जनवरी को द क्विंट ने दिल्ली में हुए इस कैंपेन के इवेंट में श्वेता को सम्मानित भी किया था.
क्विंट और फेसबुक ने ‘मी, द चेंज’ लॉन्च किया है, एक ऐसा कैंपेन जो पूरे भारत में पहली बार वोट देने वाली महिला मतदाताओं के मुद्दों पर चर्चा कर रहा है.
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के लिए रग्बी खेल चुकी श्वेता ने शुरुआती दिनों में खुद ही अपने आप को रग्बी के लिए प्रशिक्षित किया. एक छोटे से गांव की श्वेता को बहुत सारे संघर्ष से गुजरना पड़ा. लेकिन आज वो नालंदा में दूसरी लड़कियों को भी ट्रेनिंग दे रही हैं, जिनमें से कई ने नेशनल लेवल के रग्बी मैच में हिस्सा लिया.
19 साल की श्वेता शाही भारत की तरफ से ओलंपिक्स के खेलना चाहती हैं.
यहां देखें उनकी कहानी:
द क्विंट से बात करते हुए श्वेता ने बताया कि रग्बी की गवर्निंग बॉडी, वर्ल्ड रग्बी ने क्विंट की श्वेता पर बनाई गई वीडियो स्टोरी देखी थी और उनके संघर्ष की कहानी की सराहना भी की थी. फरवरी में होने वाले वर्ल्ड रग्बी की मीटिंग के लिए श्वेता को बुलाया गया है, जहां वर्ल्ड रग्बी के एक खास पहल के तहत उन्हें प्रमोट किया जाएगा.
वर्ल्ड रग्बी 15 खिलाड़ियों की एक टीम बना रहा है, जिसमें वो खिलाड़ी शामिल होंगे जिन्होंने अपने जीवन में रग्बी के खेल में उंचाइयों को छूने के दौरान संघर्ष का सामना किया है. वर्ल्ड रग्बी की ये पहली ऐसी टीम है और श्वेता उस टीम का हिस्सा हैं.
श्वेता आज दुनिया के नक्शे पर चमक गई हैं और उनके संघर्ष की कहानी को दुनिया के सामने रखने वाली वीडियो देखें और स्टोरी जरूर पढ़ें.
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