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सुरेंद्र का हत्यारा पाताल में भी होगा तो निकाल लिया जाएगा: स्मृति 

अमेठी की सांसद स्मृति ईरानी अपने खास कार्यकर्ता की हत्या के बाद रविवार को अमेठी पहुंचीं

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अमेठी में अपने करीबी सुरेंद्र सिंह के पार्थिव शरीर को कंधा देने के बाद स्मृति ईरानी काफी गुस्से में नजर आईं. ईरानी ने कहा कि दोषियों को मौत की सजा दिलाना उनका संकल्प है.

"अगर जरूरत पड़ी, तो हम सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. जिस किसी ने भी सुरेंद्र सिंह की हत्या की है और जिसने भी हत्या का ऑर्डर दिया है, उसे मौत की सजा मिलेगी." ईरानी ने इससे पहले सुरेंद्र सिंह के घर जाकर उनकी पत्नी, बेटियों और बेटे से मुलाकात की. उन्होंने कहा, "अब इस परिवार को संभालने की जिम्मेदारी मेरी है. सुरेंद्र के बेटे अभय सिंह ने कहा कि हमें न्याय मिलना चाहिए.''

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स्मृति ईरानी ने कहा, “हत्यारा अगर पाताल में भी होगा, तो उसे निकाला जाएगा और इंसाफ तक पहुंचाया जाएगा. आज सुरेंद्र जी की पत्नी और बेटे के सामने मैंने एक संकल्प लिया है कि जिसने गोली चलाई और जिसने गोली चलाने का आदेश दिया, पुलिस अपनी कार्रवाई करेगी

अमेठी को तोड़ने, डराने की कोशिश

स्मृति ईरानी ने कहा कि अमेठी आतंकित हो, अमेठी टूटे, अमेठी झुके, इसीलिए सुरेंद्र सिंह की हत्या की गई. उन्होंने ये भी कहा, "23 मई को जीत के बाद सार्वजनिक रूप से मुझे एक संदेश दिया गया कि अमेठी को प्यार से संभालना. जिस शख्स ने मुझे संदेश दिया, उससे कहना चाहती हूं कि मुझे आपका मैसेज मुझे मिल गया है. अमेठी के हर घर तक विकास जाएगा."

साल 1977 से लेकर 2019 तक हर चुनाव में सुरेंद्र सिंह एक मेहनती कार्यकर्ता, प्रगतिशील नेता थे. विकास के मुद्दे पर समाज को योगदान देते हुए अपना जीवन व्यतीत करते थे. आज दुर्भाग्य है कि बीजेपी की जीत का जश्न मनाने के बाद उनकी हत्या हो गई. उनके परिवार के साथ बीजेपी के 11 करोड़ कार्यकर्ताओं का परिवार खड़ा है.
स्मृति ईरानी, सांसद, अमेठी

सुरेंद्र ने स्मृति के चुनाव प्रचार अभियान में अहम भूमिका निभाई थी. ग्रामीणों के मुताबिक, शनिवार देर रात दो बाइक सवार बदमाश आए और उन्हें घर से बाहर बुलाया. सुरेंद्र जैसे ही बाहर आए बदमाशों ने उनके सिर में गोली मारकर दी और फरार हो गए. घायल अवस्था में ग्रामीण उन्हें पीएचसी ले गए, जहां डॉक्टरों ने उन्हें लखनऊ रेफर कर दिया. लखनऊ ले जाते वक्त रास्ते में ही सुरेंद्र ने दम तोड़ दिया. हत्या का कारण चुनावी रंजिश बताई जा रही है. इलाके में सुरेंद्र का काफी प्रभाव था, जिसका फायदा स्मृति ईरानी को मिला. करीबी बताते हैं कि लोकसभा चुनाव में स्मृति की जीत के बाद उनका कद काफी बढ़ गया था, जो कुछ लोगों को रास नहीं आ रहा था। वह स्मृति ईरानी के काफी करीबी थे.

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