बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले पर सुनवाई कर रहे स्पेशल जज ने सुप्रीम कोर्ट से रिटायरमेंट के लिए अतिरिक्त समय की मांग की है. उन्होंने कहा है कि उनका कार्यकारल 6 महीने बढ़ा दिया जाए. इस बड़े मामले की सुनवाई कर रहे जज दो महीने बाद सितंबर में रिटायर हो रहे हैं. रिटारयमेंट से ठीक पहले उन्होंने ये मांग की है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा कि फैसला आने तक जजों को रिटायर नहीं होना चाहिए.
बाबरी मस्जिद को गिराने के आरोप में बीजेपी के सीनियर नेता लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी सहित कई अन्य लोगों पर मामला चल रहा है. इन सभी लोगों को इस मामले में आरोपी बनाया गया है. नेताओं पर भड़काऊ भाषण देने और धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा तरीका
यह मामला सोमवार को जस्टिस आरएफ नरीमन की पीठ के पास सुनवाई के लिए आया. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस हाईप्रोफाइल मामले को लेकर यूपी सरकार से जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा है कि वह इस हाई प्रोफाइल मामले में फैसला आने तक स्पेशल जज का कार्यकाल बढ़ाने के तरीकों के बारे में उसे 19 जुलाई तक बताएं.
बता दें कि अयोध्या विध्वंश मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लगातार सुनवाई चल रही है. अप्रैल 2017 से शुरू हुई लगातार सुनवाई के बाद अब इस पर फैसला आना है. फैसले से पहले जज के रिटायरमेंट को लेकर अब कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है. यह अब इस पर भी निर्भर करेगा कि यूपी सरकार की तरफ से कार्यकाल बढ़ाने को लेकर क्या जवाब पेश किया जाता है.
सीबीआई के स्पेशल कोर्ट ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में बीजेपी के नेताओं -लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और 9 दूसरे आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के आदेश दिए थे. इन पर आपराधिक साजिश के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120 बी के तहत आरोप तय किए गए. बाबरी विध्वंस केस में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने बीजेपी के दिग्गज नेता एलके आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत सभी 12 आरोपियों को निजी मुचलके पर जमानत दे दी थी.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)