सुप्रीम कोर्ट ने CBSE और ICSE के परीक्षाओं को रद्द करने के फैसले के खिलाफ दायर की गई सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है. इसके अलावा कोर्ट ने सभी शिक्षा बोर्ड्स की मूल्यांकन प्रक्रिया को भी हरी झंडी दे दी है. बता दें कि सरकार पहले ही फैसला कर चुकी है कि कोरोना वायरस संकट के चलते 12वीं क्लास की परीक्षाएं नहीं ली जाएंगी और CBSE के तय फॉर्मूले के आधार पर ही रिजल्ट तैयार किया जाएगा.
लेकिन CBSE और दूसरे बोर्ड के एग्जाम रद्द करने के फैसले के खिलाफ कुछ पेरेंट्स ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. सुप्रीम कोर्ट ने इन सभी याचिकाओं को खारिज करते हुए कहा है कि शिक्षा बोर्ड का प्रस्ताव पूरी तरह से 'सही और तर्कपूर्ण' था.
कोर्ट ने कहा कि 'CBSE और ICSE की मूल्यांकन प्रक्रिया से छेड़छाड़ करने का कोई सवाल ही नहीं उठता.'
सुप्रीम कोर्ट ने CBSE के 15 अगस्त से 15 सितंबर के बीच कंपार्टमेंट एग्जाम कराने के प्रस्ताव को भी हरी झंडी दी है.
इसके पहले 17 जून को CBSE ने 12वीं बोर्ड ने छात्रों की मार्किंग को लेकर बनी 13 सदस्यीय समिति की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी थी. इसमें सरकार ने बताया था कि 10वीं, 11वीं के फाइनल रिजल्ट और 12वीं प्री बोर्ड, प्रैक्टिकल के रिजल्ट के आधार 12वीं बोर्ड के फाइनल रिजल्ट तैयार किए जाएंगे. CBSE की इस योजना पर सुप्रीम कोर्ट ने तब कुछ सुझाव दिए थे और उन्हें शामिल करने को कहा था. इस प्रक्रिया के तहत अगर छात्र अपनी मार्किंग से संतुष्ट नहीं हैं तो उन्हें एग्जाम में बैठने का भी मौका दिया जाएगा.
कैसे होगी मार्किंग?
छात्रों के 10वीं, 11वीं और 12वीं प्री बोर्ड के मार्क्स जोड़े जाएंगे. 10वीं और 11वीं का वेटेज 30-30% रहेगा, 12वीं का हिस्सा 40% रहेगा. 10वीं और 11वीं के टर्म एग्जाम के 5 में से 3 बेस्ट एग्जाम के मार्क्स देखे जाएंगे. वहीं 12वीं क्लास के यूनिट एग्जाम और प्रैक्टिकल में मिले नंबर के आधार पर रिजल्ट तैयार किया जाएगा.
सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे ये सुझाव
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि CBSE के एग्जाम कैंसल करने के फैसले को लेकर कोई सवाल नहीं उठता. कोर्ट ने CBSE और CISCE की मार्किंग प्रक्रिया को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दी है. सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि रिजल्ट से नाखुश छात्रों के लिए शिकायत समाधान तंत्र बनाया जाना चाहिए और वैकल्पिक फिजिकल एग्जाम की टाइमलाइन भी जारी की जानी चाहिए.
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