सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Justice DY Chandrachud) ने कहा है कि 'सरकार के झूठ को सामने लाना बौद्धिक लोगों का कर्तव्य' है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने 28 अगस्त को एक कार्यक्रम में कहा कि लोकतांत्रिक देश में सरकारों को जवाबदेह ठहरना, झूठ और गलत नैरेटिव फैलने से रोकना जरूरी है.
NDTV के मुताबिक, जस्टिस चंद्रचूड़ ने जस्टिस एमसी चागला मेमोरियल लेक्चर में ये बातें कही. जस्टिस चंद्रचूड़ के संबोधन का टाइटल था 'Speaking Truth to Power: Citizens and the Law'.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और हाल के संदर्भ में चिकित्सक सच के लिए सरकार पर 'जरूरत से ज्यादा निर्भर' होने के खिलाफ चेतावनी दी. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ने कोविड डेटा का उदाहरण दिया.
"सच के लिए सिर्फ सरकार पर निर्भर नहीं रहा जा सकता है. सर्वसत्तात्मक सरकारों को सत्ता में बने रहने के लिए झूठ पर निर्भर होने के लिए जाना जाता है. हम देख रहे हैं कि कई देशों में कोविड डेटा से छेड़छाड़ का बढ़ता ट्रेंड देखा जा रहा है."जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़
'फेक न्यूज बढ़ रही है, आजाद प्रेस जरूरी'
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि फेक न्यूज बढ़ रही है और इंसानों में सनसनीखेज न्यूज की तरफ खिंचने की प्रवृत्ति होती है. जज ने कहा, "WHO ने माना है कि कोविड महामारी के दौरान फेक न्यूज में बढ़ोतरी हुई है और इसे इंफोडेमिक कहा है."
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ने कहा कि झूठे कंटेंट के लिए ट्विटर और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को 'जिम्मेदार ठहराया' जाना चाहिए. हालांकि उन्होंने कहा कि लोगों को भी चौक्कना रहना चाहिए, पढ़ना चाहिए, विमर्श और दूसरों के विचार को भी स्वीकार करना चाहिए.
"हम पोस्ट-ट्रुथ दुनिया में रहते हैं. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जिम्मेदार हैं लेकिन नागरिकों की भी जिम्मेदारी बनती है. हम विरोधी विचारों को पसंद नहीं करते. हम ऐसी दुनिया में रह रहे हैं जो सामाजिक, आर्थिक और धार्मिक मुद्दों पर बंटती जा रही है."जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, "फेक न्यूज का सामना करने के लिए हमें सार्वजानिक संस्थान मजबूत करने होंगे. हमें राजनीतिक और आर्थिक प्रभाव से मुक्त एक आजाद प्रेस सुनिश्चित करनी होगी. ऐसी प्रेस चाहिए जो हमें निष्पक्ष होकर जानकारी दे."
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