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Hate Speech पर SC सख्त, 3 राज्य को निर्देश, नफरती भाषणों पर पुलिस खुद संज्ञान ले

कपिल सिब्बल ने BJP सांसद प्रवेश वर्मा के बयान का जिक्र किया जिसमें मुसलमानों के बायकॉट की बात कही गई थी.

Published
भारत
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सुप्रीम कोर्ट ने हेट स्पीच यानी भड़काऊ भाषणों पर रोक लगाने के लिए सरकारों से एक्शन लेने के लिए कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि 21वीं सदी में एक धर्मनिरपेक्ष देश के लिए इस तरह के भड़काऊ भाषण चौंकाने वाले हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश की सरकारों से कहा कि पुलिस अब हेट स्पीच मामले में एफआईआर दर्ज होने का इतंजार किए बिना खुद ही कार्रवाई करे.

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जस्टिस केएम जोसेफ और हृषिकेश रॉय की बेंच ने तीनों राज्यों की सरकारों को निर्देश दिया है कि वे अपने राज्य में नफरत फैलाने वाले अपराधों में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई से जुड़ी रिपोर्ट अदालत के सामने पेश करें.

साथ ही अदालत ने कहा कि पुलिस ऐसे बयान देने वालों पर तुरंत सख्त कार्रवाई करे, नहीं तो अवमानना के लिए तैयार रहें.

अदालत ने हेट स्पीच पर क्या कहा?

जजों ने हेट स्पीच के बढ़ते मामले पर कहा,

"भारत का संविधान एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप में भारत की परिकल्पना करता है और व्यक्ति की गरिमा और देश की एकता और अखंडता को सुनिश्चित करने वाली बिरादरी प्रस्तावना में निहित मार्गदर्शक सिद्धांतों में से एक है."

मुसलमानों के खिलाफ बढ़ती नफरत से जुड़ी याचिका पर सुनवाई

दरअसल, शाहीन अब्दुल्ला द्वारा दायर याचिका- "भारत में मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने और आतंकित करने के बढ़ते खतरे" को रोकने के लिए अदालत से हस्तक्षेप करने की मांग की गई थी. इसी दौरान बेंच ने कहा, "आर्टिकल 51ए कहता है कि हमें वैज्ञानिक सोच विकसित करनी चाहिए. और हम धर्म के नाम पर कहां पहुंच गए हैं? यह दुखद है."

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने बताया कि बार-बार शिकायत करने के बावजूद भड़काऊ भाषणों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.

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बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा के बयान पर भी कोर्ट में हुई चर्चा

कपिल सिब्बल ने बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा के उन भड़काऊ बयान का भी जिक्र किया जिसमें एक समुदाय विशेष के बायकॉट की बात कही गई थी. कपिल सिब्बल ने कहा कि प्रवेश वर्मा मुस्लिमों के बायकॉट की बातें करते हैं और पुलिस इस तरह के कार्यक्रमों में मूकदर्शक बनी रहती है.

आप अदालत में क्या हुआ वो आगे पढ़ सकते हैं, लेकिन उससे पहले प्रवेश वर्मा ने क्या बयान दिया था वो नीचे दिए गए वीडियो में देख सकते हैं.

सिब्बल ने कहा कि प्रशासन और यहां तक ​​कि शीर्ष अदालत भी इस तरह के मामलों पर कई शिकायतों के बावजूद स्थिति रिपोर्ट मांगने के अलावा कोई कार्रवाई नहीं कर रही है. उन्होंने कहा, "चुप्पी निश्चित रूप से कोई जवाब नहीं है. हमारी ओर से नहीं, अदालतों की ओर से नहीं”.

सिब्बल के इस तर्क पर बेंच ने पूछा कि क्या मुसलमान भी अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते थे, जिस पर सिब्बल ने जवाब दिया: "यदि वे करेंगे, तो क्या उन्हें बख्शा जाएगा?" इसपर अदालत ने कहा,

उन्होंने (सिब्बल) अपनी चिंता जाहिर की है कि इस अदालत में मामले की सुनवाई के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई है और उल्लंघन बढ़ गए हैं. हमें लगता है कि इस अदालत पर मौलिक अधिकारों की रक्षा करने और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा और संरक्षण करने का कर्तव्य है. खासकर कानून के शासन और राष्ट्र के धर्मनिरपेक्ष, लोकतांत्रिक चरित्र का संरक्षण. मामले की जांच और कुछ प्रकार के अंतरिम निर्देशों की आवश्यकता है."

बता दें कि दिल्ली से लेकर हरिद्वार में धर्म संसद के नाम पर कई कार्यक्रम हुए हैं, जिसमें लगातार भड़काऊ भाषण दिए गए हैं. कई मौकों पर न्यूज एंकर भी नफरत फैलाने की भाषा का इस्तेमाल करते पाए गए हैं. लेकिन अबतक नफरती बयान देने वालों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई होती नहीं दिखी.

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