सुशांत सिंह राजपूत केस हो या फिर सांप्रदायिक नफरत फैलाने वाले शो, पिछले कुछ दिनों में मीडिया पर कई तरह के गंभीर आरोप लगे. तमाम मुद्दों को छोड़कर मीडिया बॉलीवुड के ड्रग्स एंगल में फंसा रहा, वहीं कोरोना वायरस की शुरुआत में जब तबलीगी जमात का मामला सामने आया तो कई मीडिया चैनलों ने एक पूरे धर्म विशेष को ही कटघरे में खड़ा कर दिया था. अब इस मामले को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई है. तबलीगी जमात पर मीडिया रिपोर्टिंग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मौजूदा दौर में बोलने की आजादी का सबसे ज्यादा दुरुपयोग किया गया.
केंद्र को सुप्रीम कोर्ट की फटकार
दरअसल सुप्रीम कोर्ट में तबलीगी जमात की छवि को खराब करने को लेकर याचिका दायर की गई थी. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से हलफनामा मांगा था. लेकिन केंद्र की तरफ से एक जूनियर लेवल के अधिकारी ने ये हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को जमकर फटकार लगाई. इसे सुप्रीम कोर्ट ने काफी अपमानजनक और शर्मनाक बताया.
हालांकि इस केस को लेकर केंद्र की तरफ से जो हलफनामा दाखिल किया गया है, उसमें केंद्र ने ये मानने से ही इनकार कर दिया कि तबलीगी जमात मामले को लेकर गलत रिपोर्टिंग हुई थी. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को कहा है कि गंदी रिपोर्टिंग का ऐसा कोई उदाहरण नहीं है. साथ ही केंद्र ने इस मामले में प्रेस की स्वतंत्रता का जिक्र करते हुए कहा कि मीडिया को रिपोर्टिंग करने से रोका नहीं जा सकता है.
SC ने पूछा- नफरती रिपोर्टिंग पर क्या लिया एक्शन?
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस पर भी नाराजगी जताते हुए कहा कि केंद्र नया हलफनामा दाखिल करे और नफरत फैलाने वाली रिपोर्टिंग को लेकर क्या-क्या एक्शन लिए गए उसकी जानकारी दे.
सुप्रीम कोर्ट ने नाराज होते हुए कहा कि आप कोर्ट को इस तरह से ट्रीट नहीं कर सकते हैं. कोर्ट ने केंद्र से कहा कि भले ही आप याचिकाकर्ता से असहमति जता सकते हैं, लेकिन ये कैसे कह सकते हैं कि नफरती रिपोर्टिंग का ऐसा कोई भी उदाहरण आपके सामने नहीं है.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल मार्च में जब देश में कोरोना के मामले बढ़ने शुरू ही हुए थे तो दिल्ली की निजामुद्दीन मरकज में तबलीगी जमात में शामिल होने आए हजारों लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे. इसके बाद कई मीडिया चैनलों ने हफ्तों तक इस मुद्दे पर बहस की और नफरती कंटेंट दिखाया. साथ ही भारत में कोरोना फैलने का जिम्मेदार भी मरकज को ही बताया गया. चैनलों में जमातियों को लेकर कई तरह के नफरती बयान भी दिए गए. ऐसे ही चैनलों के खिलाफ जमीयत-उलेमा-हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की और इनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)