सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों में नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की मंजूरी दे दी है. सुनवाई 19 नवंबर को होगी. 2002 में राज्य में हुए दंगों में पीएम को मिले क्लीन चिट को मारे गए कांग्रेस सांसद अहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी ने चुनौती दी थी.
एसआईटी ने 2002 के दंगों में नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दे दी थी
गुजरात सरकार पर आरोप था कि उसने दंगों को काबू करने की कोशिश नहीं की
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसे एसआईटी की क्लोजर रिपोर्ट की जांच करनी होगी
SIT ने दी थी मोदी को क्लीन चिट
2002 में गुजरात में हुए दंगों की जांच कर रही एसआईटी ने नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दे दी थी. एसआईटी ने कहा था कि मोदी की इसमें कोई भूमिका नहीं है. 2017 में गुजरात हाई कोर्ट ने भी एसआईटी के इस क्लीन चिट का समर्थन किया था. उस दौरान गुजरात के सीएम रहे नरेंद्र मोदी तब तक पीएम बन चुके थे. जाकिया जाफरी ने हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी.
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस ए एम खानविलकर की अगुआई वाली बेंच ने इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि बेंच को उस एसआईटी क्लोजर रिपोर्ट का बारीकी से अध्ययन करना होगा जिसने मोदी को क्लीन चिट दे दी थी. इसलिए अब इस मामले की सुनवाई सोमवार को होगी.
2002 में गुजरात में तीन दिन तक चले सांप्रदायिक दंगों के दौरान लगभग 2000 लोगों की मौत हो गई थी. ये दंगे गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में आग लगाए जाने के बाद भड़के थे. यह ट्रेन कारसेवकों से भरी थी. आग में 59 लोगों की मौत हो गई थी.
दंगों को काबू करने के लिए बुलानी पड़ी थी सेना
साबरमती एक्सप्रेस की आग में कारसेवकों की मौत के बाद राज्य के कई जगहों पर हिंदू और मुस्लिमों में टकराव हुए थे. दंगों की कई घटनाओं में एक घटना में गुलबर्ग सोसाइटी कांड था. इस सोसाइटी को घेर कर दंगाइयों ने 68 लोगों को मार डाला था. जाकिया जाफरी के पति और कांग्रेस सांसद अहसान जाफरी इसी सोसाइटी में रहते थे. गुजरात सरकार दंगों को काबू करने में नाकाम रही थी. तीसरे दिन दंगों को काबू करने के लिए सेना उतारनी पड़ी थी. नरेंद्र मोदी पर यह आरोप लगाया जाता रहा है उन्होंने दंगे रोकने के लिए समुचित कदम नहीं उठाए.
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