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पेगासस जासूसी कांड: जांच की मांग वाली याचिका पर 5 अगस्त को सुनवाई करेगा SC

याचिका में एक सिटिंग या रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में जांच कराने की मांग की गई है

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पेगासस जासूसी कांड (Pegasus Snoopgate) की अदालत की निगरानी में जांच की मांग वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट 5 अगस्त को सुनवाई करेगा. चीफ जस्टिस एनवी रमना और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच इन याचिकाओं पर सुनवाई करेगी.

द हिंदू अखबार के पूर्व चीफ एडिटर एन राम (N Ram) और एशियानेट के फाउंडर शशि कुमार (Sashi Kumar) ने कोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका में एक सिटिंग या रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में जांच कराने की मांग की गई है.

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एन राम और शशि कुमार के अलावा राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास और वकील एमएल शर्मा ने भी पेगासस जासूसी कांड में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.

रिट याचिका कहती है कि केंद्र सरकार को निर्देश दिए जाएं कि वो बताए उसने या उसकी किसी एजेंसी ने पेगासस स्पाइवेयर के इस्तेमाल से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर ऐसी सर्विलांस की है या नहीं.

याचिकाकर्ताओं ने कहा कि लीक हुए डेटाबेस में सामने आए नामों में से कुछ के फोन का फॉरेंसिक एनालिसिस हुआ है और उनमें पेगासस के ट्रेस मिले हैं.

याचिका में सवाल उठाया गया कि क्या पत्रकारों, डॉक्टरों, वकीलों, विपक्षी नेताओं, केंद्रीय मंत्रियों, सिविल सोसाइटी एक्टिविस्टों के फोन में पेगासस डालकर टार्गेटेड सर्विलांस किया गया था. याचिका में पूछा गया कि क्या ऐसी हैकिंग एजेंसियों और संस्थानों द्वारा 'बोलने की आजादी और विरोध जताने के हक' को दबाने की कोशिश है.

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि पत्रकारों को टारगेट करना प्रेस की आजादी पर हमला है, और बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी में शामिल जानने के अधिकार में भी हस्तक्षेप करता है.

क्या है पेगासस जासूसी मामला?

इजरायली कंपनी NSO ग्रुप के पेगासस स्पाइवेयर से दुनियाभर के 10 देशों में करीब 50,000 नंबरों को संभावित सर्विलांस या जासूसी का टारगेट बनाया गया. लीक हुए डेटाबेस में 300 भारतीय फोन नंबर हैं.

जांच में सामने आया है कि भारत में करीब 40 पत्रकारों पर जासूसी की गई. संभावित टारगेट लिस्ट में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर, कैबिनेट मंत्री अश्विनी वैष्णव और प्रह्लाद सिंह का नाम भी शामिल था. पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर सेक्सुअल हैरेसमेंट का आरोप लगाने वाली महिला और उसके रिश्तेदारों का नंबर भी लिस्ट में शामिल था. BSF के दो अधिकारी, RAW के एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी और भारतीय सेना के कम से कम दो अफसरों को संभावित सर्विलांस का टारगेट चुना गया था.

पेरिस स्थित नॉनप्रॉफिट मीडिया फॉरबिडन स्टोरीज और एमनेस्टी इंटरनेशनल के पास लीक हुए नंबरों की लिस्ट थी, जिसे बाद में उन्होंने द वाशिंगटन पोस्ट, द गार्जियन, ले मोंडे और द वायर समेत दुनियाभर के करीब 16 मीडिया संस्थानों के साथ शेयर किया, जिसके बाद इस मामले की जांच शुरू हुई. इस जांच को 'पेगासस प्रोजेक्ट' नाम दिया गया है.

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