मराठा आरक्षण पर बुधवार 5 मई को बड़ा फैसला आ सकता है. न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट 5 मई को मराठा आरक्षण पर अपना फैसला सुनाएगा. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने उन तमाम याचिकाओं पर सुनवाई की थी, जिनमें मराठा आरक्षण की संवैधानिक वैद्यता को चुनौती दी गई थी. लेकिन फैसला सुरक्षित रख लिया था.
इस मराठा कानून के तहत महाराष्ट्र में नौकरियों और शिक्षा संस्थानों में प्रवेश में मराठा कोटा दिए जाने का प्रावधान है. जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान रोक लगा दी थी.
महाराष्ट्र की राजनीति के लिए अहम होगा फैसला
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट अगर कल मराठा आरक्षण को लेकर अपना फैसला सुनाता है तो ये महाराष्ट्र और वहां की राजनीति के लिए काफी अहम होगा. क्योंकि ये मुद्दा पिछले कई सालों से महाराष्ट्र की राजनीति का एक अहम हिस्सा रहा है.
सुप्रीम कोर्ट में मामला जाने के बाद कोर्ट ने कहा था कि 2020-21 के दौरान नौकरियों और शिक्षा संस्थानों में प्रवेश में मराठा कोटा नहीं रहेगा. साथ ही इस मामले को संवैधानिक बेंच के पास भेज दिया गया था.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल महाराष्ट्र में मराठा बहुसंख्यक हैं, इसीलिए यहां तमाम सत्ताधारी पार्टियों से आरक्षण की मांग होती रही. मराठाओं ने इसके लिए तमाम बड़े आंदोलन भी किए. आखिरकार साल 2018 नवंबर में महाराष्ट्र विधानसभा में सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा वर्ग अधिनियम 2018 को पारित किया गया. इसके तहत महाराष्ट्र में सरकारी नौकरियों और शिक्षा संस्थानों में मराठाओं को 16 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान था, लेकिन इसके बाद महाराष्ट्र में आरक्षण सुप्रीम कोर्ट की 50 प्रतिशत की सीमा से ऊपर चला गया.
इसके बाद सरकार के इस फैसले को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई. याचिका में कहा गया कि सरकार का ये फैसला इंदिरा साहनी मामले में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन करता है. हालांकि बॉम्बे हाईकोर्ट ने फैसला सरकार के पक्ष में सुनाया था और कहा था कि राज्य विशेष परिस्थितियों में 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण दे सकते हैं. इसके बाद हाईकोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. जिस पर अब सुप्रीम कोर्ट बड़ा और ऐतिहासिक फैसला सुना सकता है.
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