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सोशल मीडिया मामले में SC- आतंकियों को नहीं है राइट-टू-प्राइवेसी

सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया के दुरुपयोग रोकने पर सरकार से मांगा था जवाब

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अगर आप भी सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं तो जल्द आपकी निगरानी शुरू हो सकती है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि 15 जनवरी तक सोशल मीडिया के लिए नियम तैयार कर दिए जाएंगे. जिसके बाद किसी के भी सोशल मीडिया अकाउंट पर सरकार आसानी से नजर रख सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया पर निगरानी को लेकर दायर सभी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर करने और एक साथ सुनवाई करने के निर्देश दिए हैं.

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राष्ट्रहित के लिए बनाना होगा बैलेंस

सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में कहा गया कि सरकार लोगों की निजता पर किसी भी तरह का हमला नहीं कर रही है. लेकिन राष्ट्रहित के लिए निजता में भी एक तरह का बैलेंस होना जरूरी है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि निजता की आड़ में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा सकता है.

एनडीटीवी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने कहा,

सोशल मीडिया कंपनियों के पास इनकी सेवाओं के दुरुपयोग को रोकने के लिए कोई भी इंतजाम नहीं हैं. अगर ऐसा था तो इन कंपनियों को यहां नहीं आना चाहिए था. इससे बचाव के लिए कंपनियों के पास तकनीकी जरिया होना चाहिए.

इसके बाद कोर्ट ने कहा कि असली सवाल है कि क्या सुप्रीम कोर्ट फेसबुक, व्हाट्सऐप जैसी सोशल मीडिया कंपनियों को इस बात के लिए बाध्य कर सकता है कि वो अपने यूजर्स का डेटा किसी के साथ शेयर करें? कोर्ट ने ये भी सवाल खड़ा किया कि सरकार के पास अपनी ऐसी कोई एजेंसी क्यों नहीं है?

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बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को कहा था कि इसे रोकने के लिए आपके पास जरूरी उपाय होने चाहिए. कोर्ट ने कहा था, ’हम यह कहकर पल्ला नहीं झाड़ सकते कि हमारे पास ऑनलाइन क्राइम की शुरुआत करने वालों तक पहुंचने की तकनीक नहीं है. अगर इसे करने की तकनीक है, तो इसे रोकने की भी तकनीक होगी.’’

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