NRC पर तरह तरह की खबरों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बेहद नाराजगी जताई है. सुप्रीम कोर्ट ने NRC कोआर्डिनेटर प्रतीक हजेल और भारत के रजिस्ट्रार जनरल शैलेश से पूछा कोर्ट की अवमानना के लिए क्यों ना आपको जेल भेज दिया जाए...
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा NRC के बारे में जानकारी मीडिया और तमाम प्लेटफॉर्म पर कैसे पहुंच रही हैं?
सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल और एनआरसी को-ऑर्डिनेटर के उस इंटरव्यू को लेकर नाराजगी जताई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि जिन लोगों का नाम एनआरसी ड्राफ्ट में नहीं है. उन्हें अपनी नागरिकता साबित करने के लिए नए दस्तावेज जमा करने का मौका दिया जाएगा.
मीडिया से बात करने पर रोक
सुप्रीम कोर्ट ने समाचार पत्रों की खबरों का जिक्र करते हुये इन दोनों के अधिकार पर सवाल उठाये. साथ ही रजिस्ट्रार जनरल और एनआरसी को-ऑर्डिनेटर से कहा, इस बात को नहीं भूलें कि आप अदालत के अधिकारी हैं. आपका काम आदेशों का पालन करना है. आप कैसे इस तरह से प्रेस में जा सकते हैं.
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सुप्रीम कोर्ट ने एनआरसी मुद्दे पर अब इन दोनों को मीडिया से बात करने पर रोक लगाई है. साथ ही कहा है कि भविष्य में अगर जरूरत पड़ी तो एनआरसी के मुद्दे पर मीडिया से बातचीत करने से पहले उन्हें अनुमति लेनी होगी.
40 लाख लोगों का नाम एनआरसी से गायब
असम के राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का दूसरे ड्राफ्ट 30 जुलाई को जारी किया गया. इसके लिए 3.29 करोड़ लोगों ने आवेदन किया था, जिसमें 2.89 करोड़ वैध नागरिक पाए गए, जबकि 40 लाख से ज्यादा लोग नागरिकता से बाहर हो गए.
हालांकि इस मुद्दे पर विवाद शुरू होने के बाद केंद्र सरकार की तरफ से कहा गया कि लोगों को डरने की जरूरत नहीं है. जिनका नाम इस लिस्ट में शामिल नहीं हैं, उन्हें फिर से आवेदन का मौका दिया जाएगा. गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में कहा कि यह अंतिम ड्राफ्ट नहीं है.
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