तबरेज अंसारी मॉब लिंचिंग मामले में रांची हाई कोर्ट ने तेरह आरोपियों में से सात को जमानत दे दी है. ये बात तबरेज के परिवार का केस लड़ने वाले वरिष्ठ वकील ए अल्लम ने 10 दिसंबर को द क्विंट को बताई.
अल्लम ने बताया, "उन्हें जमानत इसलिए दी गई थी क्योंकि एफआईआर में इन आरोपियों का नाम नहीं था, आरोपियों की ओर से दिए गए बयानों का अदालत में कोई स्पष्ट मूल्य नहीं था और गवाहों (पुलिसकर्मियों और स्थानीय लोगों) ने भी न्यायिक मजिस्ट्रेट को दिए अपने बयानों में इन आरोपियों का नाम नहीं लिया था.
अल्लम ने कहा, “तकनीकी बिंदुओं पर जमानत दी गई है. हमने अदालत से आग्रह किया कि पुलिस डायरी लायी जाए, ताकि आरोपियों को जमानत न मिले, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.”
कुल 13 आरोपियों में से 12 ने जमानत के लिए आवेदन किया था. अल्लम ने बताया, “पांच आरोपियों को 10 दिसंबर को जमानत दी गई थी, जबकि एक आरोपी को 9 दिसंबर को जमानत दी गई थी. पांच अन्य आरोपियों की जमानत याचिका अदालत में लंबित है. उन्हें भी जल्द ही जमानत मिल सकती है."
तबरेज का परिवार हैरान और डरा हुआ
द क्विंट से बात करते हुए, तबरेज की पत्नी ने कहा कि वह इस खबर से हैरान हैं. शाइस्ता ने कहा, “क्या वीडियो गलत है? सबूत के तौर पर हमें और क्या पेश करना चाहिए? पहले उन्होंने हत्या के आरोप को हटा दिया और फिर अब उन्हें जमानत दे दी. ये क्या हो रहा है?”.
8 सितंबर को द क्विंट ने पहली बार खबर दी थी कि कैसे झारखंड पुलिस ने मामले में हत्या के आरोप को हटा दिया था, लोगों के बढ़ते गुस्से के बाद 18 सितंबर को पुलिस ने फिर से आरोपियों पर हत्या का चार्ज लगाया.
आरोपी को जमानत दिए जाने की खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए, मसरूर अंसारी ने कहा कि वह डर गए हैं. छोटी उम्र में तबरेज के माता-पिता के गुजर जाने के बाद मसरूर ने उसका पालन-पोषण किया था.
उन्होंने कहा, "इस क्रूर अपराध को छह महीने भी नहीं हुए हैं. उन्हें जमानत कैसे दी जा सकती है? देखते हैं. हम जमानत खारिज करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएंगे. आरोपी स्थानीय तौर पर ताकतवर हैं. यह चिंता की बात है. हम डरे हुए हैं."
इस साल 17 जून को, तबरेज को चोरी के आरोप में एक खम्भे से बांधा गया, 'जय श्री राम' और 'जय हनुमान' का नारा लगाने के लिए मजबूर किया गया और कम से कम सात घंटे तक बेरहमी से उसकी पिटाई की गई. पांच दिन बाद, 22 जून को पुलिस हिरासत में उसने दम तोड़ दिया.
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