नेशनल एलिजबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट (NEET) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ने वाली 19 साल की अनीता ने शुक्रवार को खुदकुशी कर ली.
उसने मेडिकल कॉलेज में एडमिशन नहीं मिलने के कारण ये कदम उठाया. पुलिस ने परिवार के हवाले से ये जानकारी दी. लड़की के परिवार ने कहा कि तमिलनाडु स्टेट बोर्ड से बारहवीं की परीक्षा में 1200 में से 1,176 मार्क्स लाने वाली अनीता नीट एग्जाम में ज्यादा नंबर लाने में कामयाब नहीं हो पाई. कम मार्क्स की वजह से उसका मेडिकल में सेलेक्शन नहीं हुआ जिसके कारण उसने खुदकुशी कर ली.
पिता हैं दैनिक श्रमिक
चेन्नई से करीब 300 किलोमीटर दूर अरीयालूर जिले के एक गांव से आने वाली अनीता एक दैनिक श्रमिक की बेटी थी. अनीता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि नीट का क्वेश्चन पेपर सीबीएसई के सिलेबस पर आधारित होता है जो स्टेट बोर्ड के स्टूडेंट्स के लिए अनुचित है.
केंद्र और राज्य सरकार पर दोष
पूर्व केंद्रीय मंत्री और पीएमके नेता अंबुमणि रामदास ने इस घटना के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को दोषी ठहराया है.
अनीता के माता-पिता के प्रति संवेदना जताते हुए उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी की अध्यक्षता वाली राज्य सरकार और केंद्र सरकार को अनीता के मौत की जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए क्योंकि उन्होंने शुरू में आश्वासन दिया था कि तमिलनाडु को नीट से एक साल की छूट मिलेगी.
पीएमके नेता ने कहा कि उन्हें समझ नहीं आ रहा कि ग्रामीण छात्रों की तरफ से नीट के खिलाफ आवाज उठाने वाली अनीता ने आत्महत्या का रास्ता क्यों अपनाया.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)