तमिलनाडु में दो लोगों की कथित रूप से पुलिस कस्टडी में मौत हो गई है. 59 वर्षीय पी जयराज और उनके 31 वर्षीय बेटे बेनिक्स की पुलिस हिरासत में मौत हुई है. दोनों लोगों को तमिलनाडु में थूथुकुड़ी पुलिस ने लॉकडाउन के दौरान दुकान खुली रखने की वजह से पूछताछ के लिए पकड़ा था. अब तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के पलानीस्वामी ने इस मामले की जांच सीबीआई को देने का फैसला किया है.
मुख्यमंत्री पलानीस्वामी ने बताया कि पुलिस हिरासत में हुई मौत के मामले की जांच सीबीआई को ट्रांसफर करने का फैसला किया गया है.
इससे पहले एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया ने तमिलनाडु सरकार से कहा था कि वो पुलिस टॉर्चर के मामले को अनदेखा नहीं कर सकती. एमनेस्टी ने अपने बयान में कहा, "2018 के नेशनल क्राइम्स रिकॉर्ड ब्यूरो डेटा के मुताबिक, कस्टडी में मौत के मामले में तमिलनाडु दूसरे नंबर पर है. लेकिन एक भी पुलिसकर्मी गिरफ्तार नहीं हुआ है. तमिलनाडु सरकार पुलिस अफसरों के टॉर्चर करने वाली गतिविधियों को अनदेखा नहीं कर सकती है."
जयराज और बेनिक्स की मौत से एक बार फिर ये लगता है कि भारत पुलिस को जिम्मेदार ठहराने में नाकाम रहा है. कस्टोडियल टॉर्चर के मामलों में खराब कन्विक्शन रेट और मौतों ने व्यापक सजा से मुक्त होने का माहौल बना दिया है, जिससे पुलिस अफसरों को और बल मिलता है. ये अब खत्म होना चाहिए.अवनीश कुमार, एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर
राजनीतिक दलों ने की कार्रवाई की मांग
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मामले में पीड़ितों के लिए न्याय की मांग की है. उन्होंने ट्वीट कर कहा है, ''पुलिस की बर्बरता एक भयानक अपराध है. यह एक त्रासदी होती है जब हमारे रक्षक अत्याचारियों में बदल जाते हैं. मैं पीड़ितों के परिवार के प्रति अपनी संवेदना प्रकट करता हूं और सरकार से अपील करता हूं कि वह जयराज और बेनिस के लिए न्याय सुनिश्चित करे.''
इसके अलावा डीएमके सहित कई राजनीतिक दलों ने इस मामले में मौतों के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.
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