डिपार्टमेंट ऑफ एटॉमिक एनर्जी के तहत चलने वाला TIFR ने आर्थिक दिक्कतों के कारण अपने कर्मचारियों को फरवरी महीने में आधा वेतन ही दिया. लेकिन जब ये खबर फैल गई कि संस्थान के पास पैसा नहीं है तो उसके कुछ ही देर बाद कर्मचारियों का बाकी वेतन भी जारी कर दिया गया.
टीआईएफआर के रजिस्ट्रार विंग कमांडर (रिटायर्ड) जॉर्ज एंटनी ने क्विंट से कहा कि उन्होंने सभी सभी कर्मचारियों को पूरा वेतन दे दिया है. जबकि इससे पहले उन्होंने कर्मचारियों के नाम जारी एक ब्यान में कहा था, ‘‘आर्थिक दिक्कतों के कारण सभी कर्मचारियों तथा छात्रों/रिसर्च स्कॉलर्स को फरवरी महीने का आधा वेतन ही दिया जा सकेगा. बाकी बचा वेतन तब दिया जाएगा जब पर्याप्त पैसे उपलब्ध होंगे.’’
मूलभूत रिसर्च करने वाले देश के नामी गिरामी रिसर्च इस्टीट्यूट के पास फंड की कमी के चलते अपने कर्मचारियों को पूरा वेतन न दे पाना चौंकाने वाली बात है.
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च देश के सबसे मशहूर संस्थानों में एक है. जाने माने उद्योगपति रतन टाटा इस इंस्टीट्यूट की काउंसिल ऑफ मैनेजमेंट के चेयरमैन हैं. बताया जा रहा है कि प्रभाव की वजह से ही टाटा ट्रस्ट ने इमर्जेंसी फंड के लिए 70 करोड़ रुपए दिए हैं.
महाराष्ट्र टाइम्स के मुताबिक आयोग को पहले से ही आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा था. इसके बाद एटॉमिक एनर्जी आयोग की तरफ से वेतन के लिए कोई फंड नहीं होने की बात सामने आई. इसी के तहत टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च आता है. इस मामले को लेकर कर्मचारियों की पहले ही नाराजगी सामने आने के बाद 6 मार्च को कर्मचारियों के खातों में 50 फीसदी की कटौती की बात सामने आई है. अब वेतन देने के लिए 70 करोड़ की रकम टाटा ट्रस्ट से लेने की बात सामने आ रही है.
इस संस्थान की स्थापना डॉ होमी जहांगीर भाभा की कल्पना के तहत सर दोराबजी टाटा न्यास की मदद से हुई थी. संस्थान भारत सरकार का राष्ट्रीय केंद्र है. यह परमाणु ऊर्जा विभाग तहत आता है.
एक तरफ तो सरकार केंद्रीय कर्मचारियों के लिए सातवां वेतन आयोग ला रही है, वहीं दूसरी तरफ रिसर्च संस्थानों, शिक्षण संस्थानों की सैलरी देने का भी फंड नहीं है ऐसी बातें विज्ञान के क्षेत्र में चल रही हैं.
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