टाटा लिटरेचर फेस्टिवल में 20 नवंबर को प्रस्तावित जाने-माने बुद्धिजीवी नोऑम चॉम्स्की और विजय प्रसाद के बीच बातचीत के सेशन को रद्द कर दिया गया था. दोनों ने अचानक हुए इस घटनाक्रम पर सवाल उठाते हुए पूछा था कि क्या ऐसा सेंसरशिप की वजह से किया गया है.
सेशन रद्द करने पर अब टाटा लिट फेस्ट के आयोजक और संस्थापक अनिल धारकर ने स्टेटमेंट जारी किया है. इसमें उन्होंने सेशन रद्द करने की वजह बताते हुए कहा कि चॉम्स्की और विजय प्रसाद सेशन में टाटा समूह पर टिप्पणी करने वाले थे, जो इस सेशन का मकसद नहीं था.
मैं इस बात पर टिप्पणी नहीं करना चाहता कि उन्होंने हमारा न्योता क्यों स्वीकार किया, जब वे हमारे मंच का इस्तेमाल कर मुख्य प्रायोजक के खिलाफ ही प्रतिकूल विचार व्यक्त करने वाले थे. मैं जोर देकर यह बात कहना चाहता हूं कि जिस फेस्टिवल को मैंने एक प्रतिबद्ध टीम के साथ मिलकर खड़ा किया है, उसकी सफलता का राज विचारों की अभिव्यक्ति में है, ना कि किसी व्यक्ति के विशेष एजेंडे की मुक्त अभिव्यक्ति में. इस तरह की अभिव्यक्ति चाहे वह किसी संगठन के खिलाफ हो, कॉरपोरेशन के खिलाफ हो या किसी एक व्यक्ति के, यह हमारे फेस्टिवल के विमर्श में शामिल नहीं हो सकती.अनिल धारेकर
अनिल धारेकर का कहना है कि उन्हें चॉम्स्की, विजय प्रसाद और कुछ एक्टिविस्ट के बीच हुई बातचीत से पचा चला था कि यह लोग टाटा लिट फेस्ट में औद्योगिक घरानों के खिलाफ, विशेषकर टाटा समूह के खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणियां कर सकते थे.
चॉम्स्की के किताब पर होनी थी बातचीत
इस सेशन में 20 नवंबर को रात 9 बजे से चॉम्स्की की किताब इंटनेशनलिज्म ऑर एक्सटिंक्शन पर बात होनी थी. लेकिन दोपहल में ही दोनों को ईमेल भेजकर सेशन रद्द किए जाने की सूचना दे दी गई. ईमेल में लिखा था, "मुझे आपको बताते हुए खेद हो रहा है कि अनदेखी वजहों के चलते हमें आपकी बातचीत रद्द करनी पड़ रही है."
इस किताब में न्यूक्लियर युद्ध, क्लाइमेट चेंज और लोकतंत्र के क्षरण पर बात की गई है.
इसके बाद चॉम्स्की और प्रसाद ने स्टेटमेंट जारी किए. स्टेटमेंट में सवाल उठाते हुए पूछा गया, कुलीन लोग जो कहते हैं, उस पर गौर फरमाना चाहिए और बड़े औद्योगिक घरानों के स्वामित्व वाली मीडिया को उस पर पूरा ध्यान भी देना चाहिए. लेकिन जो इन कुलीन दायरों के बाहर हैं, उन्हें नजरंदाज कर देना चाहिए और उनकी बात नहीं सुनी जानी चाहिए! चूंकि हम नहीं जानते कि क्यों टाटा और मिस्टर धारकर ने हमारे सेशन को रद्द किया, तो हम बस केवल इतना पूछ सकते हैं कि क्या ऐसा सेंसरशिप के चलते हुआ है?
स्टेटमेंट में आगे कहा गया, "भारत के बारे में बात करें तो वहां लोकतंत्र का क्षरण एक गंभीर मुद्दा है. नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को पास किया जाना हो या फिर बड़ी मात्रा का पैसा, जिससे लाखों भारतीय मतदाताओं की आवाज को घोंट दिया गया, वह इसी क्षरण का उदाहरण है. अब जब भारत सरकार बेहद अस्थिर क्वाड्रिलेटरल सिक्योरिटी डॉयलॉग में ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के साथ हिस्सा ले रहा है, तब युद्ध का मुद्दा भी अहम हो जाता है."
चॉम्स्की और प्रसाद ने कहा कि लोगों को टाटा समूह से संबंधित कई तरह के विवादों के बारे में सूचित करना चाहिए.
बता दें नोऑम चॉम्स्की दुनिया के सबसे अग्रणी बुद्धिजीवियों में से एक हैं. उनका मुख्य काम जनसंचार और भाषा के क्षेत्र में रहा है.
वहीं जाने-माने बुद्धिजीवी विजय प्रसाद 20 से ज्यादा किताबों के लेखक हैं. वे पत्रकार, संपादक और इतिहासकार हैं. प्रसाद ट्राईकॉन्टिनेंटल: इंस्टीट्यूट फॉर सोशल रिसर्च के निदेशक भी हैं.
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