ताऊ ते तूफान में डूबे ओएनजीसी के बार्ज पी305 में अब तक 51 लोगों की मौत हो चुकी है. साथ ही इसमें सवार 188 कर्मियों को बचाया गया है. 22 कर्मचारी अभी भी लापता हैं. इंडियन नेवी और कोस्ट गार्ड की मदद से अरब सागर में सर्च ऑपरेशन जारी है.
अपनों को खोने वाले परिवारों का दर्द
इस हादसे में 37 साल के विशाल कटघरे ने अपनी जान गवाई है. बार्ज पी305 पर क्वालिटी कंट्रोल इंजीनियर की तौर पर पिछले दो साल से विशाल काम कर रहे थे. उनके भाई मंदार कटघरे ने बताया कि,
“विशाल की दो महीने पहले ही शादी हुई थी. शादी के बाद पिछले डेढ़ महीने से वो ड्यूटी पर था. आने वाली 24 मई को वो छुट्टी लेकर घर लौटने वाला था. लेकिन हमें सपने में भी नहीं लगा कि ऐसी अनहोनी होगी.”क्विंट हिंदी से की बातचीत में विशाल के भाई मंदार कटघरे
उन्होंने आगे बताया कि उन्हें AFCONS कंपनी से कोई जानकारी नही मिली. बार्ज डूबने की खबर के बाद हमने अपनी पहचान लगाकर पुलिस की लिस्ट से विशाल का नाम ढूंढकर निकाला, तब हमें पता चला की विशाल नहीं रहा. जेजे अस्पताल में उसके साथ समंदर मे छलांग लगाने वाले सहकर्मी ने हमें बताया कि विशाल 12 घंटो तक पानी में तैरता रहा. लेकिन आखिरकार अस्पताल पहुंचने के बाद उसने दम तोड़ दिया.
ऐसी एक कहानी 35 साल के यतीन्द्र सिंह की भी है, जो रेस्क्यू मिशन पर निकले थे. सोमवार देर शाम से वो लापता हैं. उनकी कोई खबर नहीं मिलने से यूपी में रहने वाले उनके परिजन परेशान हैं. मर्चेंट नेवी की पढ़ाई पूरी कर टग बोट वरप्रदा पर यतीन्द्र पिछले डेढ़ साल से चीफ ऑफिसर के तौर पर कार्यरत थे. उनके भतीजे प्रखर सिंह ने क्विंट हिंदी को बताया कि,
“उनकी कंपनी ग्लोरी शिप मैनजमेंट उन्हें कोई जानकारी नही दे रही. उन्हें बस इतना आश्वासन मिला है कि जरूरत पड़ने पर उन्हें इंश्योरेंस और मुआवजा दिया जाएगा. यतीन्द्र के पीछे उनकी बीवी और दो छोटी बेटियां है. एक पांच साल की और दूसरी 6 महीने की.”
कैप्टन के खिलाफ मामला दर्ज
अब ताऊ ते तूफान में हुईं ऐसी दर्जनों मौतों के बाद आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है. 21 मई शुक्रवार सुबह मुंबई पुलिस ने बार्ज पी305 के कप्तान सहित अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है. उन्हें दोषी करार देते हुए मुख्य इंजीनियर रहमान शेख ने मुंबई के यलो गेट पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई है. शेख ने आरोप लगाया है कि लगातार मिल रही चेतावनी के बावजूद कप्तान राकेश बल्लव ने उसे अनदेखा किया. तूफान के बीच बार्ज पर रुकना सुरक्षित नहीं होगा ये बताने के बाद भी कप्तान ने मौजूद कर्मियों की सुरक्षा को लेकर कोई व्यवस्था नहीं की जिसकी वजह से कई जानें गईं. इनके खिलाफ गैर इरादतन हत्या की धारा के तहत मामला दर्ज किया गया है.
हादसे की जिम्मेदारी किसकी?
अब सवाल ये उठता है कि क्या ONGC और AFCONS इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी, जिनके लिए बार्ज पी305 चार्टर था, उन्होंने अपने क्रू मेंबर्स की वापस लौटने की जिम्मेदारी से हाथ झटक दिए हैं. ONGC के प्रवक्ता ने बयान जारी कर बताया कि उनकी 99 बार्ज समंदर में थी. खराब मौसम की चेतावनी के बाद 94 बार्ज सुरक्षित स्थल पर लौट आए लेकिन पी305 नही आया.
वहीं AFCONS ने सफाई दी है कि मौसम विभाग के पूर्वानुमान अनुसार 16 से 17 मई के बीच समंदर में 40 नॉटिकल मील प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चलने की उन्हें जानकारी मिली थी. जिसके बाद सभी क्रू मेंबर्स सुरक्षित स्थल पर मुंबई बंदरगाह और रेवडांडा लौट आए. लेकिन बार्ज पी305 के कप्तान ने कार्यस्थल से 200 मील दूर जाने का फैसला किया. हालांकि 16 मई के बाद मौसम तेजी से बदला और पूर्वानुमान के विपरीत स्थिति काफी खराब हुई. जिसके बाद पी305 के कप्तान कोई कदम नहीं उठा पाए.
आखिर 16 मई की उस रात हुआ क्या?
ताऊ ते चक्रवात ने 16 मई की शाम के बाद तीन बार्ज और ONGC ड्रिलिंग शिप को अपनी चपेट में ले लिया. मुंबई के पश्चिमी तट से 70 से 90 किमी दूर मुंबई हाई के हीरा ऑइल फील्ड के पास ये चारों वेसल एंकर लिए गए थे. जैसे ही ताऊ ते तूफान ने उग्र रूप धारण करना शुरू किया वैसे बार्ज पी305 के लंगर लहरों के थपेड़े से टूट गए.
बार्ज पी305 टूटकर बहने लगा और एक बड़े पत्थर से टकराकर ध्वस्त हो गया. जल्द ही बार्ज पी305 में पानी भरने लगा और देर रात वो समंदर में डूबने लगा. बार्ज पी305 पर उस समय 273 कर्मी मौजूद थे, जिनके पास पानी मे कूदने के अलावा कोई चारा नहीं बचा था. कम से 12 घंटो तक समंदर में तैरने के बाद आखिरकार नौसेना और तट रक्षक दल से उन्हें मदद पहुंची. नौसेना से आईएनएस कोची और उसके बाद आईएनएस कोलकाता भी इस अभियान से जुड़ गई. एयरक्राफ्ट की मदद से कर्मियों को एयर लिफ्ट कराया गया.
बार्ज पी305 के अलावा सपोर्ट स्टेशन 3, बार्ज जीएल कंस्ट्रक्टर और ड्रिलिंग रिग सागर भूषण शामिल हैं, जिन्हें अब मुंबई पोर्ट ट्रस्ट में लाया जा चुका है. चारों जहाजों पर फंसे कुल 713 लोगों मे से अब तक 600 से ज्यादा लोगों को बचा लिया गया है. जिसमें पी305 बार्ज पर मैजूद 273 कर्मियों में से 188 लोग शामिल हैं.
हादसे में हुई मौतों पर गरमाई सियासत
महाराष्ट्र के एमवीए सरकार में मंत्री और एनसीपी प्रवक्ता नवाब मालिक ने ONGC पर गंभीर आरोप लगाए हैं. तूफान की चेतावनी देने के बाद भी कर्मचारियों को बीच समंदर रुकने क्यों दिया गया? ये सवाल उन्होंने ONGC और केंद्र सरकार से पूछा है. इन तमाम मौतों के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए मलिक ने पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से इस्तीफे की मांग की है. तो दूसरी ओर शिवसेना के सांसद अरविंद सावंत ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर ONGC के अध्यक्ष पर कड़ी करवाई करते हुए पद से हटाने की मांग की है. इतना ही नहीं शुक्रवार के सामना संपादकीय में शिवसेना ने तूफान के बाद पीएम मोदी के गुजरात हवाई दौरे पर कटाक्ष करते हुए इतने बड़े हादसे को नजरअंदाज करने पर अफसोस जताया है.
केंद्र ने गठित की समिति
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय ने तूफान की चेतावनी के बाद भी जहाजों के फंसे होने की वजह जानने के लिए बुधवार को एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया. इस समिति में शिपिंग के महानिदेशक अमिताभ कुमार, हाइड्रोकार्बन के महानिदेशक एससीएल दास और रक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव नाजली जाफरी शायिन शामिल हैं. यह समिति एक महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट देगी.
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