कर्नाटक के राज्यपाल ने बीजेपी के वरिष्ठ नेता केजी बोपैया को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया है. वो विराजपेट से विधायक हैं. कांग्रेस ने इस फैसले पर सवाल उठाए हैं. कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा है कि बोपैया को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाना मंजूर नहीं है. अब कांग्रेस, बोपैया को प्रोटेम स्पीकर चुने जाने के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी.
इससे पहले कर्नाटक मामले में सुप्रीम कोर्ट से बीजेपी को बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार शाम चार बजे फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया है, ऐसे में प्रोटेम स्पीकर की भूमिका अहम होगी.
पहले भी विधानसभा के स्पीकर रह चुके हैं बोपैया
केजी बोपैया साल 2009 से 2013 तक कर्नाटक विधानसभा के स्पीकर रह चुके हैं. साल 2008 में तत्कालीन राज्यपाल रामेश्वर ठाकुर ने उन्हें प्रोटेम स्पीकर बनाया था.
किसी राज्य का राज्यपाल उस वक्त तक के लिए प्रोटेम स्पीकर को नियुक्त करता है, जब तक विधानसभा अपना स्पीकर नहीं चुन लेती है. पहले से चली आ रही परंपरा के मुताबिक, राज्यपाल सबसे वरिष्ठ सदस्य को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करता है.
फिलहाल, कर्नाटक विधानसभा में कांग्रेस के नेता आर वी देशपांडे सबसे वरिष्ठ सदस्य हैं. साल 1983 से अबतक 9 चुनाव में से 8 बार चुनकर विधानसभा पहुंच चुके हैं. दूसरे सबसे वरिष्ठ सदस्य हैं विश्वनाथ कट्टी, जो साल 1985 से अबतक 8 में से 7 चुनाव जीत चुके हैं.
येदियुरप्पा के खास माने जाते हैं बोपैया
बोपैया कर्नाटक के सीएम बी एस येदियुरप्पा के खास माने जाते हैं. अक्टूबर 2010 में जब येदियुरप्पा अवैध खनन के मामलों से घिरे थे, उस दौरान कई बीजेपी विधायकों ने अपने ही मुख्यमंत्री येदियुरप्पा का विरोध किया था. बतौर स्पीकर बोपैया ने 11 बागी बीजेपी विधायकों और 5 निर्दलीय विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था. बोपैया का ये कदम कर्नाटक सरकार को बचाने के लिए काफी अहम साबित हुआ.
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी लताड़
सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर बोपैया को जमकर लताड़ लगाई थी और फैसले को रद्द कर दिया था. जस्टिस अल्तमस कबीर और जस्टिस जोसेफ की पीठ ने कहा था कि येदियुरप्पा सरकार के खिलाफ असंतोष जताने पर विधानसभा स्पीकर को विधायकों पर कार्रवाई नहीं करनी चाहिए. कोर्ट ने कहा था कि स्पीकर, कुछ ज्यादा ही जल्दी में दिखते हैं. उनकी कार्रवाई से साफ है कि फ्लोर टेस्ट से पहले बागी विधायकों को अयोग्य करार दिया गया.
इनपुट: द न्यूज मिनट
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