केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में जम्मू-कश्मीर से संबंधित दो बिल पेश किए. जम्मू-कश्मीर रिजर्वेशन संशोधन बिल और जम्मू-कश्मीर में छह महीने के लिए राष्ट्रपति शासन बढ़ाने के प्रस्ताव पर राज्यसभा में चर्चा हो रही है. इन दोनों बिल को ममता बनर्जी को तृणमूल कांग्रेस और बीजू जनता दल पार्टी ने राज्यसभा में समर्थन का ऐलान किया है.
वहीं यूपी की समाजवादी पार्टी ने एक बिल का समर्थन किया है. एसपी नेता राम गोपाल यादव ने राज्यसभा में कहा, पार्टी जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन के 6 महीने तक बढ़ाने का समर्थन करती है. हालांकि, कांग्रेस की ओर से इस बिल का समर्थन नहीं किया गया है.
वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस के विप्लव ठाकुर ने कहा, ये राज्य की जनता के साथ अन्याय है. जनता को अपनी नई सरकार चुनने का अधिकार है. उन्होंने सवाल उठाया कि अगर लोकसभा चुनाव हो सकते हैं तो फिर विधानसभा चुनाव क्यों नहीं?
राष्ट्रपति शासन के विस्तार को लोकसभा में मंजूरी
जम्मू-कश्मीर में 2 जुलाई को राष्ट्रपति शासन खत्म हो रहा है. 28 जून को लोकसभा में यहां राष्ट्रपति शासन 6 महीने बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई. इससे पहले, जून 2018 से राज्यपाल शासन लागू था.
राज्य में विधानसभा चुनाव नहीं कराने को लेकर कांग्रेस सरकार पर सवाल खड़ा कर रही है, लेकिन सबसे पुरानी पार्टी ने 93 बार चुनी हुई सरकार को राज्य से हटा दिया था.
क्या है जम्मू-कश्मीर रिजर्वेशन संशोधन बिल
28 जून को लोकसभा में जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन बिल को भी मंजूरी दे दी गई. इस बिल के तहत जम्मू-कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय सीमा के 10 किमी के दायरे में रहने वाले लोगों को एजुकेशनल इंस्टीट्यूट में दाखिला लेने और सरकारी नौकरियों के लिए 3 फीसदी आरक्षण का विस्तार दिया गया है. अब तक ये बिल अंतरराष्ट्रीय सीमा से लगे लोगों के लिए नहीं था. लेकिन बिल में संशोधन के बाद ये लोग भी आरक्षण के दायरे में आ जाएंगे.
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