ADVERTISEMENTREMOVE AD

अगर किसान प्रदर्शन का प्रचार राजद्रोह तो जेल बेहतर- कोर्ट में दिशा

दिशा रवि की जमानत याचिका पर फैसला 23 फरवरी को, कोर्ट में क्या हुआ?

Updated
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

टूलकिट मामले में गिरफ्तार की गईं क्लाइमेट एक्टिविस्ट दिशा रवि की जमानत याचिका पर 20 फरवरी को पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान दिल्ली पुलिस ने कहा कि 'ये सिर्फ एक टूलकिट नहीं है, असली योजना भारत को बदनाम करने और अशांति फैलाने की थी.' जिसके बाद कोर्ट ने अपना फैसला 23 फरवरी के लिए सुरक्षित रख लिया है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

सरकार की तरफ से पेश हुए असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि अगर दिशा को जमानत दी जाती है तो वो सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकती है. राजू ने कहा, "दिशा ने अपने फोन नंबर से WhatsApp ग्रुप बनाया था. इसका इस्तेमाल उन्होंने ग्रेटा थनबर्ग के साथ ट्वीट करने में किया. 3 फरवरी को ग्रेटा के ट्वीट की वजह से साजिश सामने आ गई."

“दिशा रवि ने ग्रेटा थनबर्ग से टूलकिट डॉक्यूमेंट डिलीट करने को कहा था. अगर वो इतना ही अहानिकारक था, तो उसने ग्रेटा से इसे हटाने को क्यों कहा? इससे पता चलता है कि टूलकिट के पीछे एक भयावह योजना थी.” 
असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू

दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में क्या कहा?

दिल्ली पुलिस ने पटियाला हाउस कोर्ट को बताया कि दिशा रवि खालिस्तान-समर्थित संगठन पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन (PJF) से करीब से जुड़ी हुई हैं.

प्रॉसिक्यूशन ने कहा, "दिशा लगातार जांच में सहयोग देने से इनकार कर रही हैं. उनके डिवाइस FSL एक्सपर्ट्स को भेजे गए हैं. प्रिलिमिनरी फाइंडिंग बताती हैं कि कंटेंट डिलीट किया गया है. जांच अभी प्रिलिमिनरी स्टेज पर है."

टूलकिट मामले के दूसरे आरोपी शांतनु मुलुक के संबंध में पुलिस ने कहा कि 'उनकी ट्रांजिट अग्रिम जमानत का जिक्र रवि के केस में नहीं हो सकता क्योंकि बॉम्बे हाई कोर्ट ने केस का मेरिट नहीं देखा था."

“PJF किसान प्रदर्शन का फायदा उठाना चाहता था. उन्हें एक भारतीय चेहरा चाहिए था. वो दिशा समेत कई लोगों के संपर्क में थे. एक मैकेनिज्म बनाया गया. टूलकिट बनाने का पूरा मकसद आरोपियों के बीच साजिश का था.” 
दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में कहा  

पुलिस ने कहा कि वो 22 फरवरी के बाद दिशा रवि की कस्टडी चाहती है क्योंकि दूसरे आरोपियों से उनका सामना कराना है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

दिशा के वकील क्या बोले?

दिशा रवि की तरफ से डिफेंस वकील ने कहा कि 'दिशा रवि बिना वजह बागी नहीं हैं, वजह पर्यावरण है, खेती है और दोनों आपस में जुड़े हैं.'

दिशा के वकील ने कहा कि बेंगलुरु में रहने वाली 22 साल की लड़की का 'खालिस्तानी मूवमेंट' से कुछ लेना-देना नहीं है. वकील ने कहा, "याचिकाकर्ता और PJF के बीच बातचीत के आरोप हैं जबकि सिख्स फॉर जस्टिस के साथ लिंक का कोई सबूत नहीं है. PJF के साथ बातचीत का आरोप लगाया गया है लेकिन संबंध साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं दिया गया."

“अगर किसान प्रदर्शन के बारे में दुनियाभर में बताना राजद्रोह है, तो मैं जेल में बेहतर हूं. अगर कोई व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से मिलता है, तो उस पर अलगाववादी होने का कोई ठप्पा तो नहीं लगा होता है.”  
दिशा रवि के वकील

वकील ने कहा, "गद्दार से बात करने पर क्या हम गद्दार हो जाएंगे? किसी भी प्लेटफॉर्म पर अपना तर्क देना कोई गुनाह नहीं है." वकील ने तर्क दिया कि लाल किला हिंसा में गिरफ्तार किसी भी व्यक्ति ने टूलकिट से प्रेरित होने की बात नहीं की है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

मेरी अंतरात्मा को संतुष्ट कीजिए: जज

पुलिस ने आरोप लगाया था कि 11 जनवरी को PJF फाउंडर एमओ धालीवाल और दिशा रवि के बीच एक जूम कॉल हुई थी. पुलिस ने कोर्ट में कहा कि गणतंत्र दिवस पर उपद्रव से पहले ऐसी कई मीटिंग हुई थीं. जस्टिस धर्मेंद्र राणा ने इस पर पूछा कि 'किसी भी व्यक्ति पर सिर्फ इसलिए गलत इरादे का आरोप कैसे लगा सकते हैं कि उसने किसी गलत साख वाले व्यक्ति से मुलाकात की है.'

इस पर पुलिस ने कहा कि ‘हर कोई एमओ धालीवाल को जानता है.’ तो जस्टिस राणा ने कहा, “नहीं, मैं नहीं जानता एमओ धालीवाल कौन हैं.” 

जज ने दिशा रवि को 26 जनवरी हिंसा से जोड़ने वाला सबूत मांगा. इस पर पुलिस ने कहा, "साजिश में हर किसी की एक भूमिका नहीं होती है. कुछ लोग टूलकिट से प्रेरित होक शायद हिंसा में शामिल हुए." जब पुलिस ने कहा कि साजिश को अभी पारिस्थितिक सबूत के आधार पर देखा जा सकता है. तो जस्टिस धर्मेंद्र राणा ने कहा, "क्या मैं ये मान लूं कि अभी कोई सीधा लिंक नहीं है."

जब पुलिस के वकील ने कोई जवाब नहीं दिया तो जस्टिस राणा ने कहा, “जब तक मैं अंतरात्मा को संतुष्ट नहीं करता, मैं आगे नहीं बढूंगा.” 

कोर्ट ने तीन सवाल भी पूछे: प्रॉसिक्यूशन की कहानी क्या है? दिशा रवि के खिलाफ आरोप क्या हैं? उनके खिलाफ सबूत क्या हैं?

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×