महाराष्ट्र (Maharashtra ) में व्यापारियों के एक संगठन ने उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Khiri) में पिछले सप्ताह हुई हिंसा के विरोध में राज्य सरकार द्वारा 11 अक्टूबर को बंद बुलाए जाने पर आपत्ति जताई है.
ट्रेडर्स यूनियन ने एक बयान जारी कर कहा कि वे कोरोना महामारी के कारण लगने वाले लॉकडाउन के बाद जैसे-तैसे काम में वापसी कर रहे हैं और इस बंद से उनकी कमाई प्रभावित होगी.
शिवसेना,(Shiv Sena) कांग्रेस (Congress) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) की महाराष्ट्र विकास अघाड़ी सरकार बंद का समर्थन कर रही है. दरअसल, राज्य सरकार ने ही तीनों दलों की संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में बंद का ऐलान किया था.
व्यापारियों का दावा पहले से उठा रहे नुक्सान
" मैं महाराष्ट्र के 12 करोड़ लोगों से किसानों का समर्थन करने का अनुरोध करता हूं. समर्थन का मतलब है कि आप सभी बंद में शामिल हों और एक दिन के लिए अपना काम बंद कर दें"
राज्य सरकार ने कहा था कि आवश्यक सेवाओं को छोड़कर सब कुछ बंद रहेगा
फेडरेशन ऑफ रिटेल ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन या एफआरटीडब्ल्यूए ने कहा कि वह बंद का समर्थन नहीं करता है.
व्यापारी समूह के प्रमुख वीरेन शाह ने एक बयान में कहा
"पिछले 18 महीनों में लॉकडाउन के कारण हमें भारी नुकसान हुआ है. हमारा व्यवसाय धीरे-धीरे बढ़ रहा है. त्योहारों के मौसम के बीच में जब ग्राहक खरीदारी करने के लिए बाहर आने लगे हैं, तो हम अपना व्यवसाय शांति से करें हम सरकार से अपील करते हैं कि खुदरा कारोबार को खुला रहने दें. हमें उम्मीद है कि दुकानदारों को परेशान नहीं किया जाएगा या बंद करने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा
लखीमपुर खीरी की घटना का जिक्र करते हुए वीरेन शाह ने कहा
जो भी हत्याओं के लिए जिम्मेदार है उसे दंडित किया जाना चाहिए लेकिन एफआरटीडब्ल्यूए महाराष्ट्र विकास अघाड़ी सरकार द्वारा बुलाए गए किसी भी बंद का समर्थन नहीं करता है."
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