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झूठे, निराधार और फर्जी आरोपों के आधार पर हुआ तबादलाः आलोक वर्मा

सीबीआई डायरेक्टर पद से हटाए जाने पर आलोक वर्मा ने दी प्रतिक्रिया

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सीबीआई डायरेक्ट के पद से हटाए जाने के बाद आलोक वर्मा ने दावा किया है कि उनका ट्रांसफर झूठे, निराधार और फर्जी आरोपों के आधार पर किया गया है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली हाईलेवल सेलेक्शन कमेटी ने भ्रष्टाचार और कर्त्तव्य में लापरवाही बरतने के आरोप में गुरुवार को आलोक वर्मा को पद से हटा दिया था.

इस मामले में चुप्पी तोड़ते हुए वर्मा ने गुरुवार देर रात जारी एक बयान में कहा कि भ्रष्टाचार के हाई-प्रोफाइल मामलों की जांच करने वाली महत्वपूर्ण एजेंसी होने के नाते सीबीआई की स्वतंत्रता को सुरक्षित और संरक्षित रखना चाहिए.

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इसे बाहरी दबावों के बगैर काम करना चाहिए. मैंने एजेंसी की ईमानदारी को बनाए रखने की कोशिश की है जबकि उसे बर्बाद करने की कोशिश की जा रही थी. इसे केंद्र सरकार और सीवीसी के 23 अक्टूबर, 2018 के आदेशों में देखा जा सकता है जो बिना किसी अधिकार क्षेत्र के दिए गए थे और जिन्हें रद्द कर दिया गया.
आलोक वर्मा

वर्मा ने ‘‘अपने विरोधी एक व्यक्ति की ओर से लगाए गए झूठे, निराधार और फर्जी आरोपों'' के आधार पर सेलेक्शन कमेटी की ओर से ट्रांसफर का आदेश जारी किए जाने को दुखद बताया.

आलोक वर्मा को बनाया गया फायर सर्विस, सिविल डिफेंस और होम गार्ड्स का डीजी

सरकार की ओर से गुरुवार को जारी आदेश के मुताबिक, 1979 बैच के आईपीएस अधिकारी को गृह मंत्रालय के तहत फायर सर्विस, सिविल डिफेंस और होम गार्ड्स का डायरेक्टर नियुक्त किया गया है.

सीबीआई डायरेक्ट का प्रभार फिलहाल एडिशनल डायरेक्टर एम. नागेश्वर राव के पास है.

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सेलेक्शन कमेटी ने लिया आलोक वर्मा पर फैसला

प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता वाली हाईलेवल सेलेक्शन कमेटी में लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और जस्टिस ए. के. सीकरी हैं. जस्टिस सीकरी को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने अपने प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त किया है.

वर्मा ने कहा कि कमेटी को सीबीआई डायरेक्टर के तौर पर उनके भविष्य की रणनीति तय करने का काम सौंपा गया था.

मैं संस्था की ईमानदारी के लिए खड़ा रहा और अगर मुझसे फिर पूछा जाए तो मैं विधि का शासन बनाए रखने के लिए दोबारा ऐसा ही करूंगा.
आलोक वर्मा

जबरन छुट्टी पर भेजे जाने के 77 दिन बाद वर्मा बुधवार को अपनी ड्यूटी पर लौटे. AGMUT काडर के आईपीएस अधिकारी वर्मा बुधवार को सुबह करीब दस बजकर 40 मिनट पर सीबीआई मुख्यालय पहुंचे.

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सुप्रीम कोर्ट ने किया था वर्मा को बहाल

सुप्रीम कोर्ट ने वर्मा को छुट्टी पर भेजने के विवादास्पद सरकारी आदेश को मंगलवार को रद्द कर दिया था. वर्मा और स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना दोनों को सरकार ने 23 अक्टूबर, 2018 की देर शाम जबरन छुट्टी पर भेज दिया था और उनके सारे अधिकार ले लिये थे.

अधिकारियों के अनुसार सीबीआई मुख्यालय पहुंचने पर वर्मा का राव ने स्वागत किया. 1986 बैच के ओडिशा काडर के आईपीएस अधिकारी एम नागेश्वर राव (तत्कालीन ज्वॉइंट डायरेक्टर) को 23 अक्टूबर, 2018 को देर रात को सीबीआई डायरेक्टर के दायित्व और काम सौंपे गये थे. उन्हें बाद में एडिशनल डायरेक्टर के रूप में प्रमोट किया गया था.

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को वर्मा को जबरन छुट्टी पर भेजे जाने के आदेश को दरकिनार कर दिया था लेकिन उन्हें उनके विरुद्ध भ्रष्टाचार के आरोपों की सीवीसी जांच पूरी होने तक कोई बड़ा नीतिगत निर्णय लेने से रोक दिया था. ‘बड़े नीतिगत' फैसले की स्पष्ट परिभाषा के अभाव में एक प्रकार की अनिश्चितता बनी ही रही कि किस हद तक वर्मा के अधिकार सीमित किये जाएंगे. कोर्ट ने कहा कि वर्मा के खिलाफ कोई भी अगला निर्णय उच्चाधिकार प्राप्त समिति ही लेगी जो सीबीआई डायरेक्टर का चयन और नियुक्ति करती है.

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