राफेल डील को लेकर बुधवार को लोकसभा में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली के बीच तीखी नोक-झोंक हुई. राहुल गांधी ने राफेल डील को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए. वहीं जेटली ने राहुल के आरोपों को ‘झूठा' करार दिया.
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राहुल के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन्हें स्वभाविक रूप से सच्चाई नापसंद होती है. उन्हें सिर्फ पैसे का गणित समझ में आता है, देश की सुरक्षा का नहीं. जेपीसी की मांग को खारिज करते हुए जेटली ने कहा कि इसमें संयुक्त संसदीय समिति नहीं हो सकती है, क्योंकि यह नीतिगत विषय नहीं है. यह मामला सौदे के सही होने के संबंध में है.
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लोकसभा में हंगामा कर रहे AIADMK के सांसदों को पांच दिन के लिए किया गया निलंबित
लोकसभा में हंगामा कर रहे अन्नाद्रमुक के 26 सदस्यों को स्पीकर सुमित्रा महाजन ने सदन से पांच कामकाजी दिनों के लिए निलंबित कर दिया है.
कावेरी बांध के मुद्दे और आंध्र प्रदेश के लिए विशेष दर्जे की मांग को लेकर अन्नाद्रमुक और तेलुगू देशम पार्टी के सदस्य हंगामा कर रहे थे. इस हंगामे की वजह से दो बार लोकसभा की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी थी.
प्रश्नकाल शुरू होने के साथ ही टीडीपी सदस्य आंध्रप्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग करते हुए हाथों में तख्तियां लेकर आसन के पास पहुंच गए. कुछ देर बाद अन्नाद्रमुक सदस्य भी कावेरी नदी पर बांध का निर्माण रोकने की मांग करते हुए आसन के निकट पहुंच गए.
राफेल पर राहुल के आरोप झूठे, SC के फैसले के बाद जेपीसी की जरूरत नहीं: जेटली
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को लोकसभा में कहा कि कुछ लोग ऐसे होते हैं जिन्हें स्वभाविक रूप से सचाई नापसंद होती है. उन्हें सिर्फ पैसे का गणित समझ में आता है, देश की सुरक्षा का नहीं. जेपीसी की मांग को खारिज करते हुए जेटली ने कहा कि इसमें संयुक्त संसदीय समिति नहीं हो सकती है, यह नीतिगत विषय नहीं है. यह मामला सौदे के सही होने के संबंध में है.
सुप्रीम कोर्ट में यह सही साबित हुआ है. उन्होंने कहा कि जेपीसी में दलगत राजनीति का विषय आता है. बोफोर्स मामले में जेपीसी ने कहा था कि इसमें कोई रिश्वत नहीं दी गई. अब वे ही लोग जेपीसी की मांग कर रहे हैं ताकि एक स्वच्छ सरकार के खिलाफ मामला गढ़ने का मौका मिल सके.
UPA से 20 फीसदी सस्ती डील कीः अरुण जेटली
राफेल जेट की कीमत को लेकर उठाए गए सवाल पर जेटली ने कहा कि राहुल को समझ लेना चाहिए कि 500 और 1600 की तुलना क्या है? उन्होंने कहा, 'दाम कैसे दिए जाते हैं ये समझना होगा. एक दाम होता है बेसिक एयरक्राफ्ट का. दूसरा दाम होता है हथियारों से लैस एयरक्राफ्ट का, जिसमें सभी हथियार फिट होते हैं.'
जेटली ने कहा, ' साल 2007 में एक ऑफर आया. उस ऑफर में दोनों तरह के दाम थे. रक्षा मंत्री ने ठीक कहा कि बेसिक एयरक्राफ्ट का दाम बता दिया है, लेकिन हथियारों से लैस एयरक्राफ्ट का दाम अगर बताएंगे तो दुश्मन को भी पता चल जाता है कि आपके पास किस तरह के हथियार हैं और इस तरह हम अपने कॉन्ट्रैक्ट का भी उल्लंघन करेंगे.
इसीलिए उस कॉन्ट्रैक्ट का केवल एक विषय याद रखा जाए कि दाम स्थिर नहीं होता, उस ऑफर में भी दिया गया था कि दाम हर साल बढ़ेगा. इसलिए जब दोबारा बातचीत हुई तो दोबारा से बेसिक एयरक्राफ्ट की कीमत और उसके साथ-साथ हथियारों से लैस एयरक्राफ्ट की कीमत. इन दोनों को समझने के बाद ही समझौता हुआ.
जेटली ने कहा- बेसिक एयरक्राफ्ट का दाम 2016 की तारीख में यूपीए के समय तय किए गए दाम से 9 फीसदी सस्ता था. हथियारों से लैस एयरक्राफ्ट का दाम यूपीए के दाम से 20 फीसदी सस्ता था. राहुल गांधी को उस समझौते के बारे में अपने ही नेता एंटनी से समझ लेना चाहिए था.
जेटली ने समझायी राफेल डील की प्रक्रिया
जेटली ने कहा कि पूछा गया कि प्रोसेस क्या था. प्रोसेस ये था कि इसके बाद कॉन्ट्रैक्ट नेगोशिएशन कमेटी, प्राइज नेगोशिएशन कमेटी और जो डिफेंस के लोग हैं, जिसमें ज्यादातक एयरफोर्स के अफसर होते हैं. किस तरह के हथियारों से लैस एयरक्राफ्ट चाहिए, ये तय करने के लिए उनकी 74 बैठकें हुईं.
इन 74 बैठकों की जानकारी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दी. जजमेंट में ये बात रिकॉर्डेड है. इन बैठकों के बाद जब समझौता फाइनल हो गया तो वो डिफेंस एक्वेजीशन काउंसिल में जाता है, रक्षा मंत्री के पास जाता है और मंजूरी देने से पहले कैबिनेट कमेटी ऑफ सिक्योरिटी के पास आता है. सारी प्रक्रिया पारित होने के बाद सरकार 2016 में दसॉ के साथ समझौता करती है. इस प्रोसेस पर सुप्रीम कोर्ट कहता है- हमने प्रोसेस एग्जामिन कर लिया है. हम संतुष्ट है कि प्रोसेस का पूरी तरह से पालन किया गया है.
जेटली ने कहा, ‘यूपीए का जो समझौता था कि जब आप कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर करोगे तो 11 साल लगेंगे सप्लाई करने में. अगर उन्हें 11 साल की जानकारी होती तो आज ये तर्क न दिया जाता कि 2016 में डील हुई और 2018 तक दो साल के अंदर एयरक्राफ्ट क्यों नहीं आया?’