तीन तलाक बिल को लेकर राज्यसभा में जारी गतिरोध के बीच कांग्रेस ने अपने सभी राज्यसभा सदस्यों को शुक्रवार सदन में मौजूद रहने का व्हिप जारी किया है. शुक्रवार को शीत सत्र का आखिरी दिन है. ऐसे में बीजेपी और मोदी सरकार पूरी कोशिश में है कि तीन तलाक के खिलाफ ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण’ विधेयक को हर हाल में इसी शत्र में पास करा लिया जाए. अगर ऐसा नहीं हो पाता है तो बजट सत्र तक इंतजार करना पड़ेगा.
तीन दिन से गतिरोध जारी
दरअसल इस बिल बिल पर राज्यसभा में पिछले तीन दिनों से गतिरोध जारी है. कांग्रेस बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने पर अड़ी हुई है. गुरुवार को कार्यवाही के दौरान अरुण जेटली ने कहा कि कांग्रेस इस बिल को बर्बाद करना चाहती है. वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद का कहना है ये बिल मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ साबित होगा.
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गुरुवार को क्या-क्या हुआ
राज्यसभा में गुरुवार को भी तीन तलाक पर गतिरोध जारी रहा. विपक्षी पार्टियां इसकी खामियों को दूर करने के लिए इसे प्रवर समिति के पास भेजे जाने की मांग को लेकर अड़ी रही, वहीं सरकार ने विपक्षी पाíटयों की मांग को ठुकरा दिया.
सरकार ने प्राथमिकता के साथ इस विधेयक को राज्यसभा में पेश करना चाहा, लेकिन विपक्षी पार्टियां इसे तत्काल प्रवर समिति के पास भेजने की मांग पर अड़ी रही. कांग्रेस के आनंद शर्मा और तृणमूल कांग्रेस के सदस्य सुखेंदु शेखर रॉय ने विधेयक को प्रवर समिति के पास भेजे जाने के लिए सदन में तत्काल मतदान कराने की मांग की.
दोनों तरफ से गतिरोध उत्पन्न होने पर, दोनो पक्षों ने अर्थव्यवस्था पर संक्षिप्त चर्चा के लिए सहमति व्यक्त की और तीन तलाक विधेयक पर बाद में चर्चा के लिए सहमत हुए.
स्टैंडिंग कमिटी के पास भेजने के पीछे तर्क
लोकसभा में मुस्लिम महिला (विवाह संरक्षण अधिकार) अधिनियम, 2017 बिल पास हुआ है उसमें एक बार में तीन बार तलाक कहने वाले पति को 3 साल की जेल का प्रावधान है. ऐसे में विपक्षी पार्टियों को इस पर ऐतराज है.
कुछ विपक्षी पार्टियों को इस बात पर भी ऐतराज है कि जब एक बार में तीन तलाक मतलब तलाक-ए-बिद्दत इस्लाम में वैध नहीं है तो इस पर इस तरह के कानून बनाने का क्या मतलब. वहीं एआईएमआईएम का सवाल है कि जब शौहर जेल चला जाएगा, तो तलाकशुदा औरत को गुजारा भत्ता कौन देगा.
सरकार इस विधेयक को 28 दिसंबर को लोकसभा पारित कर चुकी है जहां सरकार बहुमत में है. अब यह देखना दिलचस्प है कि क्या इस सत्र में ये बिल राज्यसभा में पारित हो पाएगा. शुक्रवार को इस सत्र का आखिरी दिन है.
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