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ट्रिपल तलाक पर तीन साल की जेल, अध्यादेश को राष्ट्रपति ने दी मंजूरी

राज्यसभा में अटका है तीन तलाक बिल

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भारत
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ट्रिपल तलाक से जुड़े अध्यादेश को राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी है. इससे पहले बुधवार को कैबिनेट की बैठक में अध्‍यादेश पर मुहर लगी थी. सरकार के इस अध्यादेश से मुस्लिम महिलाओं को 6 महीने तक राहत मिलने का रास्‍ता साफ हो गया है. 6 महीने के भीतर इसे संसद में मंजूरी के लिए पेश करना होगा.

केंद्र सरकार के तीन तलाक पर अध्यादेश की मंजूरी के बाद कांग्रेस ने इस फैसले पर सवाल उठाए हैं. कांग्रेस का कहना है कि मोदी सरकार इसे राजनीतिक रूप देने की कोशिश कर रही है.

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वहीं केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस मुद्दे पर चर्चा करते हुए कहा:

हमारे देश में बड़ी संख्या में बेटियों के साथ नाइंसाफी हो रही थी, आजादी के 70 साल के बाद भी महिलाओं को कहा जाए तलाक, तलाक, तलाक और वो सड़क पर आ जाएं. ये कैसा नियम है. ये मुद्दा ना पूजा है ना प्रार्थना का और ना ही इबारत का. ये मामला महिलाओं की गरिमा और उनके सम्मान है. इसलिए हम ये अध्यादेश लेकर आए हैं. मैं सोनिया जी, ममता जी और मायावती जी से अपील करता हूं कि राजनीति को भूलकर ये महिलाओं के हितों के बारे में सोचें.
रविशंकर प्रसाद

कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार मुस्लिम महिलाओं के लिए तीन तलाक को न्याय का मुद्दा नहीं बना रही है, बल्कि इसे राजनीतिक मुद्दा बनाने की कोशिश में लगी हुई है.

राज्यसभा में अटका है तीन तलाक बिल

राज्यसभा में तीन तलाक बिल के अटकने की वजह केंद्र सरकार ने अब अध्यादेश का रास्ता चुना है. बता दें कि लोकसभा से तीन तलाक बिल पास हो चुका है. लेकिन ये बिल फिलहाल राज्यसभा में अटका पड़ा है.

कांग्रेस ने इस बिल में कुछ बदलाव की मांग की थी. कांग्रेस की तरफ से संसद में कहा गया था कि इस बिल के कुछ प्रावधानों में बदलाव किया जाना जरूरी है.
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मोदी ने विपक्ष पर बोला था हमला

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पीएम मोदी ने कहा कि ऐसे कुछ लोग हैं जिन्होंने तीन तलाक विधेयक को मानसून सेशन के दौरान पारित होने नहीं दिया.

मोदी ने लाल किले से स्वतंत्रता दिवस के अपने भाषण में कहा, तीन तलाक प्रथा मुस्लिम महिलाओं के साथ अन्याय है. तीन तलाक ने बहुत सी महिलाओं का जीवन बर्बाद कर दिया है और बहुत सी महिलाएं अभी भी डर में जी रही हैं.

“मैं मुस्लिम बहनों और बेटियों को भरोसा देता हूं कि उनके अधिकार सुरक्षित होंगे और सरकार उन्हें सुरक्षित करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेगी. मेरा भरोसा देता हूं कि मैं उनकी आकांक्षाओं को पूरा करूंगा.” 
पीएम मोदी, स्वतंत्रता दिवस के मौके पर
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कांग्रेस की आपत्ति के बाद बिल में किया गया बदलाव

विपक्ष का सपोर्ट हासिल करने के लिए सरकार ने इस बिल में संशोधन भी किया था. साथ ही जमानत देने का विकल्प भी जोड़ा गया.

सरकार के बदलावों के मुताबिक, तीन तलाक ‘गैर-जमानती’ अपराध ही रहेगा, लेकिन मजिस्ट्रेट आरोपी को जमानत दे सकते हैं. पहले ऐसा नहीं था. साथ ही पीड़ित महिला के रिश्तेदार को भी शिकायत दर्ज कराने का अधिकार होगा. 3 साल की सजा में कोई बदलाव नहीं किया गया.

मजिस्ट्रेट ये तय करेंगे कि जमानत केवल तब ही दी जाए जब पति बिल के मुताबिक पत्नी को मुआवजा देने पर सहमत हो. बिल के अनुसार, मुआवजे की रकम मजिस्ट्रेट तय करेंगे. मजिस्ट्रेट पति और उसकी पत्नी के बीच विवाद सुलझाने के लिए अपनी शक्तियों का इस्तेमाल कर सकते हैं.

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