“आज की डेट में दुनिया सब काम कर रही है. लोग जुआ खेल रहे हैं, वेश्यागमन कर रहे हैं, शराब पी रहे हैं और जिसको बच्चे पालने हैं वो कुछ नहीं कर रहा है. वो रोटी खाके, ट्रक में चुपचाप सोता है.” ये गुबार है 45 साल के राजबीर सिंह का, जो 20 सालों से एक लॉरी ड्राइवर हैं. राजबीर ने हैदराबाद-बंगलुरु हाईवे पर एक ढाबे में अपना दिल द क्विंट के सामने खोला.
हैदराबाद के शमशाबाद में 27 और 28 नवम्बर के बीच की रात 26 साल की वेटरिनरी डॉक्टर के रेप और हत्या के कुछ दिनों बाद इस रिपोर्टर ने लॉरी ड्राइवरों की जिंदगी के बारे में पड़ताल की.
रेप और मर्डर के चारों आरोपी या तो लॉरी ड्राइवर थे या क्लीनर. इनमें – मोहम्मद आरिफ और चिन्ताकुन्ता चेन्नाकेशावुलु ड्राइवर थे और जोलू शिवा और जोलू नवीन क्लीनर थे.
शराब और ताश
पीने वालों के बारे में सिंह ने बताया कि उसने ऐसे लोगों को भी देखा है, जो दिन में कई बार पीते हैं. “जी हां. ऐसा ही होता है. जहां ट्रक खड़े होते हैं या देर रात किसी ढाबे में भी आपको ये देखने को मिल जाएगा.” उसने माना कि वो खुद भी कभी-कभी पीता है. “मैं वक्त गुजारने के लिए शराब पीता हूं, लेकिन अब मैं ताश नहीं खेलता. कई साल पहले मैं महाराष्ट्र के औरंगाबाद से गुजर रहा था. वहां जुए में भारी रकम हारने के बाद मैंने ताश खेलना छोड़ दिया. वो मेरे लिए बेहद शर्मनाक दिन था.” उसने मुस्कुराते हुए बताया.
अक्सर ड्राइवर शराब के साथ तीन पत्ती और रमी खेलते हैं. पिछले कुछ सालों से इस पेशे में आए विमल कुमार भी उनमें एक है. वो कभी-कभी ताश खेलता है. उसका कहना है कि इससे दिमाग भटकता है, लेकिन उसे इसकी परवाह नहीं है. “अगर मैं सही तरीके से ताश खेलता हूं, तो क्यों ना खेलूं? मेरे आस-पास के लोग शराब भी पीते हैं. लेकिन मैं वो गलती नहीं करता.” वो राजबीर सिंह को देखकर हंसता है.
20 साल का अजय कुछ ही दिनों पहले इस पेशे में आया है. उसका कहना है, “शराब पीना और ताश खेलना आम बात है. एक ही पोज में बैठकर 10-12 घंटे तक ड्राइव करने के बाद ड्राइवर थक जाते हैं और शराब पीते हैं. हमें सोने के लिए सिर्फ 3-4 घंटे मिलते हैं. गहरी नींद सोने के लिए वो शराब पीते हैं. इससे काम का बोझ हलका हो जाता है.”
‘अक्सर दूसरे राज्यों में प्रताड़ित होते हैं’
राजबीर कभी-कभार शराब पीता है, लेकिन कुमार शराब को हाथ तक नहीं लगाता. “लोग कहते हैं कि ड्राइवर शराबी होते हैं, वो अपने परिवार के पास नहीं जाते और बुरी लतों के शिकार होते हैं. ये सोच गलत है. कुछ लोग ऐसे जरूर हो सकते हैं, लेकिन सभी ड्राइवरों को बुरा कहना गलत है.”
अलग-अलग राज्यों में उनका डर स्थानीय लोगों के कारण होता है. “दूसरे राज्यों में ड्राइवर डरकर रहते हैं. स्थानीय लोग जताने की कोशिश करते हैं कि ये उनका राज्य है और वो सड़क के राजा हैं.” विमल कुमार ने अपना दर्द बताया.
कुमार का कहना है कि सड़कों पर प्रताड़ित होना आम बात है. “जब हम नए शहरों में जाते हैं तो अक्सर लोग हमें पीटने की धमकी देते हैं और अपमानित करते हैं. डर के कारण सूनसान जगहों पर हम कभी किसी के लिए ट्रक नहीं रोकते, कभी-कभी तो पुलिस के लिए भी नहीं.”
‘परेशानी वाली जगहों से बचते हैं’
कुमार को सड़कों पर डर लगता है, लेकिन 65 साल के तजुर्बेकार काला सिंह कहते हैं कि अब उन्होंने झगड़ों से दूर रहने का गुर सीख लिया है.
“हम ऐसी जगहों पर जाते ही नहीं, जहां परेशानी हो सकती है.” जब उनसे पूछा गया कि उन्हें कैसे पता चलता है कि किसी जगह पर नहीं जाना चाहिए और कहां परेशानी है तो सिंह जवाब देते हैं, “हमें इसका पता चल जाता है. मैं इस पेशे में 20 साल से हूं. दूसरे ड्राइवरों से मिली जानकारी से किसी जगह की छवि बन जाती है. बातों-बातों में ही पता चलता है और इससे काफी मदद मिलती है. दूसरा तरीका है अपने-आप में सिमटकर रहना. बिना वजह दूसरों से दोस्ती अच्छी नहीं होती.”
काला का पार्टनर सुरेश दो साल से इस पेशे में है. इन मुद्दों पर उसकी अलग सोच है. “सारे ड्रामा और मामले रात में होते हैं. लिहाजा रात में बिना इधर-उधर देखे हम चुपचाप ड्राइव करते हैं. रात में सड़क पर ज्यादा ट्रैफिक भी नहीं होता. दिन के वक्त हम सोते हैं. इस प्रकार हम ज्यादा से ज्यादा लोगों और घटनाओं से दूर रहते हैं.”
‘सभी ड्राइवर बुरे नहीं होते’
हैदराबाद में रेप और मर्डर की घटनाओं पर सभी ड्राइवरों ने एक सुर में कहा कि दोषियों को जरूर कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए. “उस डॉक्टर के साथ जो हुआ, वो वाकई अफसोसनाक है. ईश्वर उसकी आत्मा को शांति दे और दोषियों को सजा मिले.” सुरेश और सिंह ने अपने मन की बात कही.
ड्राइवरों की बदनामी के बारे में सुरेश ने कहा, “लोगों को लगता है कि ड्राइवर महीनों तक अपने घर नहीं जाते, इसलिए उनके बारे में बुरी बातें की जाती हैं. लोग सोचते हैं कि ड्राइवर निश्चित रूप से शराब पीता होगा, जुआ खेलता होगा और उसपर भरोसा नहीं किया जा सकता. दस में से एक भी ड्राइवर ने कुछ गलत कर दिया तो लोग सभी ड्राइवरों को बुरी निगाहों से देखते, बर्ताव करते और शक करते हैं.”
ये भी पढ़ें- हैदराबाद गैंगरेप पर बोले नितिन गडकरी-चौराहे पर दे देनी चाहिए फांसी
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)