कथित ब्राह्मण वाद विरोधी पोस्टर की वजह से सोशल मीडया साइट ट्विटर के सीईओ जैक डोर्सी विवादों में आ गए हैं. इस पोस्टर की वजह से सोशल मीडिया पर डोर्सी की काफी आलोचना हो रही है. लोगों का कहना है कि उन्होंने खुद से मिलने के लिए सिर्फ लेफ्ट रुझान वाले लोगों को ही क्यों बुलाया. अब ट्विटर ने इस मामले को शांत करते हुए कहा है कि वह हर तबके की आवाज सुनने में यकीन करता है.
क्यों हुआ विवाद
डोर्सी पिछले दिनों भारत दौरे पर आए थे. उनसे महिलाओं का एक दल मिलने के लिए गया. इस दौरान वह एक पोस्टर पकड़े हुए थे. जिसमें लिखा था, "Smash Brahminical patriarchy" यानी ब्राह्मणवादी पितृसत्ता को तोड़ दो. जो महिलाएं डोर्सी से मिलने आई थीं. उनमें महिला अधिकार कार्यकर्ता, पत्रकार और लेखिकाएं शामिल थीं.
दक्षिणपंथी विचारधारा की तरफ झुकाव रखने वाले यूजर ने इस पूरे मामले की निंदा की और सवाल उठाया कि जैक से मुलाकात के लिए केवल लेफ्ट विंग के लोगों को ही क्यों निमंत्रण दिया गया.
विवाद को बढ़ता देख ट्विटर इंडिया नेआनन-फानन में एक अनौपचारिक बयान जारी कर कहा कि पोस्टर जैक के दोस्तों ने उन्हें दिए थे और ट्विटर सभी की भावनाओं का सम्मान करने में यकीन रखता है.
कैसे सुर्खियों में आया मामला
यह पूरा विवाद उस वक्त सामने आया जब एक पत्रकार ने जैक की यह तस्वीर शेयर की जिसमें जैक अपने लीगल हेड विजय गड्डा समेत कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और लेखक दोस्तों के साथ नजर आ रहे हैं. तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा कि कुछ महिला पत्रकार के साथ इस मुलाकात में भारत में ट्विटर के अनुभव पर चर्चा हुई.
विवाद पर ट्विटर की सफाई
इस पूरे मामले पर ट्विटर इंडिया ने अपना बचाव करते हुए कहा कि कुछ महिला पत्रकारों के साथ यह मीटिंग ट्विटर की तरफ से अरेंज की गई थी. इस मीटिंग का उद्देश्य भारत में ट्विटर के अनुभव के समझना था. मीटिंग में शामिल एक दलित एक्टिविस्ट ने अपने अनुभव साझा किए और यह तस्वीर जैक को तोहफे के तौर पर दिया.
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