जहां एक तरफ नागरिकता कानून को लेकर देशभर में विरोध चल रहा है, वहीं इसी बीच ऊना में दलित उत्पीड़न के शिकार एक शख्स ने राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखकर दूसरे देश भेज देने की गुहार लगाई है. पीड़ित वासराम सरवैया ने चिट्ठी में लिखा है कि उन्हें और उनके भाई को ऐसे देश भेज दें, जहां उन्हें जातिय भेदभाव का सामना ना करना पड़े.
11 जुलाई, 2016 को गुजरात के गिर सोमनाथ जिले के ऊना में कथित गौरक्षकों ने वशराम, रमेश समेत 4 लोगों की पिटाई की थी. साथ ही आधी रात को कपड़े उतारकर सड़कों पर घुमाया गया था. हमलावरों ने इनपर गौहत्या का आरोप लगाया था.
इस हमले का वीडियो वायरल हुआ या था, जिसके बाद दलितों में काफी नाराजगी थी और उन्होंने पूरे राज्य में प्रदर्शन भी किया था.
वशराम सरवैया, ने द क्विंट से कहा,
“हम नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करते हैं लेकिन अगर वे अधिनियम को लागू करना चाहते हैं, तो उन्हें हमें ऐसे देश भेज देना चाहिए जहां दलितों को समान नागरिक माना जाए. हमें भारत में नागरिक नहीं माना जाता है. दलितों के साथ हिंदू समुदाय में भेदभाव किया जाता है. इसलिए हम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से अनुरोध करते हैं कि वे हमें एक अलग देश में भेजें, जहां हमें भेदभाव का सामना नहीं करना पड़े.’’वशराम सरवैया, पीड़ित
“जिन लोगों ने हमें पीटा उनपर नहीं हुई कार्रवाई”
आगे वशराम कहते हैं, “2016 में जिन लोगों ने हमें पीटा उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है. अपराधी जमानत पर बाहर हैं. हमें कृषि जमीन, प्लॉट का वादा किया गया था, लेकिन उनमें से कुछ भी नहीं दिया गया."
उन्होंने यह भी कहा,
“आनंदीबेन पटेल, गुजरात की तत्कालीन सीएम थीं और अब उत्तर प्रदेश की राज्यपाल हैं, उन्होंने 2016 में हमसे मुलाकात की थी और नौकरियों का वादा किया था. उन्होंने कहा था कि वह एक महीने में फिर से हमसे मिलेंगी. लेकिन न तो वह आईं और न हीं उन्होंने हमें कोई नौकरी दी.”
बता दें कि इस परिवार ने इससे पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर इच्छामृत्यु की मांग की थी. वशराम ने कहा है कि अगर इस बार उनकी याचिका पर विचार नहीं किया गया, तो वह और उनके भाई नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन के बाहर आत्मदाह कर लेंगे.
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