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UP:विवाह अनुदान योजना में घोटाला, जिनके नाम से निकले पैसे वो बेखबर

फर्जी तरीके से खातों में मंगवाए गई अनुदान की रकम, अब जांच हुई शुरू

Published
भारत
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उत्तर प्रदेश में सरकार की एक और योजना में घोटाले की बात सामने आई है. अब कन्या विवाह अनुदान में मिलने वाले पैसों की जमकर हेरफेर हुई है. फर्जी तरीके से कई लोगों के खाते में इस योजना के पैसे भेजे गए और फिर उन्हें निकाल लिया गया. मामला उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले का है. मामला सामने आने के बाद अब इस पूरे मामले की जांच शुरू हो गई है.

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दरअसल बलरामपुर जिले के नंदनगर ठठिया के समाजसेवी अशोक कुमार मिश्रा ने इस पूरे मामले को लेकर शिकायत दर्ज करवाई. उनके बेटे विनय कुमार मिश्रा के पास गांव के कुछ लोग आए और उन्होंने बताया कि उनके खाते में 20 हजार रुपये की रकम जमा कराई गई. लेकिन इसके बाद प्रधान प्रतिनिधि ने इन पैसों को अपना बताकर सभी से निकलवा लिए, इसके बदले खाताधारकों को एक हजार रुपये दिए. विनय कुमार ने बताया,

“जब मैंने इस मामले को लेकर पड़ताल शुरू की तो पाया कि ये रकम सरकार की तरफ से ‘कन्या शादी अनुदान’ की है. जिसे प्रधान प्रतिनिधि और पेशे से सरकारी अध्यापक आफताब आलम ने फर्जी तरीके से लोगों के खाते में जमा करवाया और लोगों से कहा कि मैंने आपके खाते में पैसे डाले हैं.”

विनय मिश्रा ने पूरे मामले की जानकारी हासिल करने के बाद ये बात अपने पिता अशोक मिश्रा को बताई. जिसके बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पोर्टल पर मामले की शिकायत दर्ज करवाई.

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लोगों को नहीं पता उनके नाम से हुआ घोटाला

इस घोटाले में जिनके नाम का इस्तेमाल हुआ, उन्हें पता भी नहीं था कि उनकी बेटी की शादी के नाम से सरकार से पैसे लिए जा रहे हैं. आसिया बेगम भी उनमें से एक हैं. उन्होंने बताया,

“मेरा नाम आसिया बेगम है और पुत्री का नाम रौशन जहां है. जिसकी शादी अब तक नहीं हुई है. जब शादी नहीं हुई तो उसके लिए अनुदान को लेकर भी फॉर्म नहीं भरा है. लेकिन अनुदान राशि का बिल ग्रांट हुआ है. जिसके पंजीयन की संख्या 3175117759R है.”
आसिया बेगम

आसिया को इसके बारे में कुछ पता नहीं था, जब अशोक मिश्र अफसर को लेकर उनके घर पहुंचे तो उन्हें पता चला कि उनके पास पैसा आया है और निकला. हालांकि पैसे उनके खाते में नहीं आया. इसी तरह एक दूसरी महिला ने बताया कि उन्होंने अपनी बेटी की शादी के लिए डेढ़ साल पहले फॉर्म भरा था, लेकिन अब तक अनुदान नहीं मिल पाया है. ये फॉर्म अध्यापक आफताब आलम ने भरा था और आधार कार्ड भी मांगा था.

फर्जी नाम से निकासी

अशोक मिश्र का दावा है कि जब उनके सामने अधिकारी घर घर जाकर जांच कर रहे थे तो पाया गया कि 98 फीसदी आवेदन फर्जी हैं. बलरामपुर जिले में जिन लड़कियों को वित्त वर्ष 2019-2020 में माइनॉरिटी, ओबीसी और जनरल केटेगरी के लिए अनुदान कागजों पर दिखाया गया है, उनमें कुछ की शादी 10 साल पहले हो चुकी है तो किसी ऐसे शख्स का नाम है जिसकी लड़की ही नहीं है, यही नहीं आवेदन में फोटो किसी और का और नाम किसी और का दिया गया है. इसके बावजूद आसानी से बैंक खाते में पैसा ट्रांसफर हो गया. इस योजना के अलावा इससे पहले विकलांग एवं वृद्धा पेंशन जैसी योजनाओं में भी इसी तरह का घोटाला सामने आ चुका है.

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इतनी आसानी से फर्जी तरीके से पैसों के ट्रांसफर को लेकर अशोक मिश्रा का कहना है कि, अनुदान राशि के लिए पत्रावली ग्राम सभा से प्रधान या सचिव की ओर से जाती है. फिर पड़ताल होती है और उसके बाद रिपोर्ट लगती है, तब जाकर आखिर में राशि का भुगतान होता है. अब नई व्यवस्थाओं को लेकर इसमें कैसे घोटाला हुआ, ये जांच के बाद ही पता लग पाएगा.

प्रधान प्रतिनिधि का आरोपों से इनकार

इस मामले को लेकर ज्यादातर लोगों ने प्रधान प्रतिनिधि रहे आफताब आलम पर आरोप लगाया है. हमने सीधे उनसे बातचीत की और जाना कि ये आरोप उन पर क्यों लगाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा,

“2015 की शुरुआत में मैं प्रधान प्रतिनिधि था. दरअसल मैं अपनी पत्नी को प्रधान का चुनाव लड़ाना चाहता था, इसी बात से लोग चिड़ते हैं, इसीलिए मुझ पर ऐसे आरोप लगाए गए हैं. मैंने ऐसे कोई गलत काम नहीं किए.”

इस मामले की जांच कर रहे अधिकारी, ADO-कोऑपरेटिव आनंद गुप्ता ने बताया कि "जांच के बाद प्रथम दृष्टि में अनियमितता प्रतीत हो रही है, इसलिए जांच की जा रही है. इस जांच के तहत शादी अनुदान के आवेदन पत्र को पूर्व की सत्यापन रिपोर्ट से सत्यापित करने के बाद जो भी दोषी पाए जाएंगे उन पर कार्रवाई की जाएगी."

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