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‘ऊपर से कोरोना टेस्ट के लिए मना किया गया है’-लखनऊ के निजी लैब

प्राइवेट लैब में जांच क्यों बंद कर दी गई है? क्विंट का ये सवाल लखनऊ के मुख्य चिकित्साधिकारी को ‘बेकार’ सवाल लगता है

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भारत
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लखनऊ में 1 अप्रैल को कोरोना वायरस संक्रमण के 935 नए मामले सामने आए थे जो 18 अप्रैल को बढ़कर 5,511 हो गए. 18 दिन में ये 489 फीसदी की बढ़ोतरी है. ये बड़े-बड़े आंकड़े ऐसे समय आ रहे हैं जब लखनऊ से कम टेस्टिंग की शिकायतें भी मिल रही हैं. प्राइवेट लैब में टेस्टिंग बंद होने की शिकायत कई स्थानीय लोगों की तरफ से आई. क्विंट ने इस मामले की पुष्टि के लिए लखनऊ के प्राइवेट लैब से बातचीत की. इनमें से ज्यादातर का कहना है कि वो कोरोना वायरस के लिए टेस्ट नहीं कर रहे हैं. प्राइवेट लैब्स का ये भी कहना है कि 10-12 दिन पहले तक वो टेस्ट किया करते थे लेकिन 'ऊपर' से आदेश है कि अब नहीं करना है. अब ये 'ऊपर' प्रशासन है या खुद इन लैब्स की कंपनियां ये बात साफ नहीं हो सकी है.

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क्विंट ने लखनऊ में SRL और लाल पैथ लैब के कम से कम 8 ब्रांच पर बातचीत की. इनमें से ज्यादातर में ये कहा गया कि पहले टेस्टिंग की जाती थी लेकिन अब कोविड-19 की टेस्टिंग बंद है. इस दौरान इन लैब्स के कर्मचारियों ने सीधे-सीधे नहीं कहा कि उन्हें आखिर कहां से टेस्ट बंद करने का आदेश मिला है.

‘ऊपर से’, ‘पीछे से’, ‘कंपनी से’, ‘प्रशासन से’ - जैसे नाम लेकर लैब कह रहे हैं कि उन्हें मना किया गया है टेस्टिंग के लिए. एक लैब ने किट न होने की भी बात कही.

कुल मिलाकर, फिलहाल, स्थिति ये है कि लखनऊ में प्राइवेट लैब में कोरोना वायरस की टेस्टिंग कराना बेहद मुश्किल काम हो गया है. टेस्ट होने के बाद भी रिपोर्ट आने में देरी की भी तमाम शिकायतें मिल रही हैं. ये नौबत तब है जब करीब एक हफ्ते पहले ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को ये सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि कोविड मरीजों की परीक्षण रिपोर्ट में कोई देरी न करें. उन्होंने जरूरत पड़ने पर निजी प्रयोगशालाओं से मदद लेने या पूरी तरह से उनका फायदा और उन्हें आवश्यक राशि का भुगतान करने का सुझाव दिया, लेकिन किसी भी परिस्थिति में टेस्ट रिपोर्ट में देरी नहीं होनी चाहिए. साथ ही सीएम योगी ने हाल ही में 1.5 लाख आरटी-पीसीआर टेस्ट हर रोज करने के निर्देश दिए थे.

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प्राइवेट लैब में जांच क्यों बंद कर दी गई है? क्विंट का ये सवाल लखनऊ के मुख्य चिकित्साधिकारी को 'बेकार' सवाल लगता है, वो कहते हैं कि कई महीनों से 35 फीसदी टेस्ट प्राइवेट लैब ही कर रही हैं. लखनऊ के अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एम के सिंह का कहना है कि प्राइवेट लैब को किसी भी तरह की मनाही नहीं है.

डॉ एम के सिंह का कहना है कि शनिवार को प्राइवेट लैब के साथ बैठक हुई है, उसमें एक बात ये भी सामने आई कि कई प्राइवेट लैब के स्टाफ भी कोरोना संक्रमित हुए हैं जिसकी वजह से भी लैब्स की क्षमता कम हुई है.

'सोमवार से सरकारी सेटअप से इकट्ठा सैंपल भी भेजे जाएंगे प्राइवेट लैब'

अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एम के सिंह का कहना है कि शनिवार को हुई मीटिंग में ये तय हुआ है कि अब सरकारी सेटअप से इकट्ठा सैंपल भी प्राइवेट लैब में भेजे जाएंगे.

कल हम लोगों ने प्राइवेट पैथॉलजी लैब की मीटिंग बुलाई थी. उनकी कितनी कैपेसिटी है, कितना टेस्ट कर सकते हैं. ऐसे में सरकारी सैंपल उन्हें भी दिया जाए, प्रत्येक बेनिफिशयरी का टेस्ट करने के लिए 500 रुपये की धनराशि एक सैंपल पर उन्हें दी जाएगी. ये काम संभवत: कल (सोमवार) से शुरू हो जाएगा.
डॉ एम के सिंह, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी

डॉ एम के सिंह ने बताया कि ऐसे लैब्स में सरकार की तरफ से सैंपल लेकर कर्मचारी जाएंगे और टेस्ट का रिजल्ट प्राइवेट लैब को 24 घंटे के भीतर देना होगा.

कोरोना वायरस से बेहाल है लखनऊ समेत यूपी

बता दें कि उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस संक्रमण के आंकड़े तेजी से बढ़ते जा रहे हैं. 18 अप्रैल को यहां 30,596 नए मामले सामने आए, इनमें सबसे ज्यादा लखनऊ में 5511 केस सामने आए हैं. पूरे भारत की बात करें तो सबसे ज्यादा एक्टिव केस के मामले में महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश ही हैं. राज्य में लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, प्रयागराज के हालात सबसे ज्यादा बदतर हैं.

लखनऊ में इस तरह के तेज रफ्तार संक्रमण को देखते हुए रविवार को डॉ जी एस बाजपेयी, अपर निदेशक लखनऊ को जिले के प्रबंध का प्रभार सौंपा गया है.मुख्य चिकित्सा अधिकारी और अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी समेत कोविड प्रबंधन में लगे सभी अधिकारी बाजपेयी को रिपोर्ट करेंगे. डॉ बाजपेयी की सहायता के लिए तीन ज्वाइंट डायरेक्टर रैंक के अधिकारियों को भी लगाया गया है.

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