बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू नेता नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने कहा है कि जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए महज कानून बनाने से मदद नहीं मिलेगी. उनका यह बयान ऐसे वक्त में आया है, जब जेडीयू की सहयोगी पार्टी बीजेपी के शासन वाले राज्य - उत्तर प्रदेश और असम - जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए कानून पर जोर दे रहे हैं.
अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक, नीतीश कुमार ने सोमवार को कहा, ''हर राज्य जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए जो कुछ भी कर सकता है वो करने के लिए स्वतंत्र है. (हालांकि) अकेले कानून जनसंख्या वृद्धि रोकने में मदद नहीं कर सकते. बहुत सारे शोध कार्यों के बाद यह पाया गया कि अगर महिलाओं को शिक्षित किया जाता है तो प्रजनन की दर प्रभावी रूप से कम हो जाती है. बिहार ने लड़कियों के बीच शिक्षा को बढ़ावा देकर इसका प्रयोग किया है और सफलता हासिल की है. अगर यह जारी रहा, तो राज्य में 2040 के बाद जनसंख्या की नेगेटिव ग्रोथ होगी.''
हालांकि, इंडिया टुडे के मुताबिक, बिहार की उपमुख्यमंत्री रेणु देवी मुख्यमंत्री नीतीश के इस विचार से सहमत नहीं दिखी हैं. उन्होंने एक लिखित बयान जारी कर कहा कि प्रजनन दर को कम करने के लिए पुरुषों में जागरूकता ज्यादा अहम है.
जनसंख्या नियंत्रण पर उत्तर प्रदेश और असम किस दिशा में बढ़ रहे?
बता दें कि उत्तर प्रदेश राज्य विधि आयोग ‘यूपी राज्य की जनसंख्या के नियंत्रण, स्थिरीकरण और कल्याण’ विषय पर काम कर रहा है और इसने एक बिल का प्रारूप तैयार किया है.
विधि आयोग ने इस बिल का प्रारूप अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया है और 19 जुलाई तक जनता से इस पर राय मांगी गई है. इस प्रारूप के मुताबिक, इसमें दो से ज्यादा बच्चे होने पर सरकारी नौकरियों में आवेदन से लेकर स्थानीय निकायों में चुनाव लड़ने पर रोक लगाने का प्रस्ताव है और सरकारी योजनाओं का लाभ न दिए जाने का भी जिक्र है.
बिल के प्रारूप में कहा गया है, ‘‘दो बच्चे के मानदंड को अपनाने वाले लोक सेवकों (सरकारी नौकरी करने वालों) को पूरी सेवा में मातृत्व या पितृत्व के दौरान दो अतिरिक्त वेतन वृद्धि मिलेगी.''
बात असम की करें तो पिछले महीने उसके मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने कहा था कि राज्य सरकार की ओर से वित्तपोषित विशेष योजनाओं का लाभ लेने के लिए चरणबद्ध तरीके से दो बच्चे की नीति को लागू किया जाएगा. सरमा ने कहा था कि प्रस्तावित जनसंख्या नियंत्रण नीति असम में सभी योजनाओं में तुरंत लागू नहीं होगी, क्योंकि कई योजनाओं का संचालन केंद्र सरकार की ओर से किया जाता है.
उन्होंने कहा था कि कुछ ऐसी योजनाएं हैं, जिसमें हम दो बच्चे की नीति लागू नहीं कर सकते, जैसे कि स्कूलों और कॉलेजों में मुफ्त शिक्षा या प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास. सरमा ने कहा था, ''लेकिन कुछ योजनाओं में, जैसे अगर राज्य सरकार आवास योजना की शुरुआत करती है तो दो बच्चे के नियम को लागू किया जा सकता है. धीरे-धीरे आगे चलकर राज्य सरकार की प्रत्येक योजना में यह लागू की जाएगी.''
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)