पिछले करीब 1 महीने में यूपी में कोरोना वायरस का संक्रमण बेहद तेजी से फैला है. वजह क्या है? कोई इसका जिम्मेदार है या नहीं? सिस्टम से क्या चूक रह गई या चूक हुई ही नहीं? ये सब ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब सोशल मीडिया, मीडिया और घर-घर के बीच आपसी बहस में तलाशा जा रहा है. हां, इस बीच यूपी के कुल 75 जिला पंचायत अध्यक्षों , 826 ब्लॉक प्रमुख, 3051 जिला पंचायत सदस्य, 75855 क्षेत्र पंचायत सदस्य, 58194 ग्राम पंचायत, 731813 ग्राम पंचायत सदस्य का चुनाव भी कराया गया है.
चुनाव है तो प्रचार हुए. शिक्षकों को इलेक्शन के लिए ट्रेनिंग दी गई. वोटिंग हुई. और इन सब में कोविड प्रोटोकॉल के पालन कराने का निर्देश भी दिया गया था. लेकिन अलग-अलग जिलों में वोटिंग के दिन की तस्वीरें हों या कुछ जगह हुए टीचरों के इलेक्शन ट्रेनिंग की फोटो, इनमें कोविड नियमों को तरीके से फॉलो नहीं किए जाने की बात दिख रही थी.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इसका संज्ञान लिया है. चुनाव आयोग को कोविड प्रोटोकॉल का पालन सही से नहीं कराने के लिए लताड़ भी लगाई. चुनाव के बीच 135 शिक्षकों की मौत पर नोटिस भी थमाया और दूसरे शिक्षक संगठनों के दावे में ये मौत का आंकड़ा कहीं ज्यादा का है.
ऐसे में आरोपों की बातों को दरकिनार करते हुए क्विंट हिंदी ने चुनाव की तारीखों के ऐलान से लेकर आखिरी फेज तक के कोरोना वायरस आंकड़ों को देखा है.
26 मार्च को चुनाव की तारीखों का ऐलान हुआ था. उस दिन प्रदेश में 1032 डेली केस, 6 मौतें और 5824 एक्टिव केस दर्ज की गई थीं. 29 अप्रैल को आखिरी चरण का चुनाव कराया गया. उस दिन के सरकारी आंकड़े के मुताबिक, राज्य में 35,156 डेली केस सामने आए हैं. 24 घंटे में 298 लोगों की मौत हुई और राज्य में एक्टिव केस की संख्या बढ़कर 3 लाख 9 हजार 237 हो गई है.
यानी 26 मार्च से 29 अप्रैल के बीच डेली केस में 34 गुना की बढ़ोतरी हुई है.
शिक्षक संगठनों का आरोप- कई शिक्षकों की इलेक्शन ड्यूटी की वजह से हुई मौत
उदाहरण देखिए, शाहजहांपुर में यूपी पंचायत चुनाव में ड्यूटी के दौरान एक शिक्षिका की हालत बिगड़ गई. प्रशासन की तरफ से चिकित्सकीय सुविधा नदारद होने की वजह से अपर्णा नाम की इश शिक्षका ने ऑडियो और वीडियो जारी कर अपना दर्द बयां किया. अपर्णा तेज बुखार-खांसी से परेशान थीं और उनका कहना था कि उनके पति का बुधवार को कोविड-19 टेस्ट हुआ है.
ये महज एक उदाहरण है. यूपी से कई ऐसी आपबीती सामने आ रही हैं. हाल ही में क्विंट हिंदी ने वाराणसी, श्रावस्ती और गोंडा के तीन मृत शिक्षक परिवारों की आपबीती आपको बताइ थी. ये रिपोर्ट आप यहां पढ़ सकते हैं. तीनों ही परिवारों का ये कहना था कि अगर ये इलेक्शन ड्यूटी नहीं होती तो शायद उनके परिवारवाले बच जाते.
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ, प्राथमिक शिक्षकों का सगंठन है. सीएम योगी और राज्य निर्वाचन आयोग को चिट्ठी लिखकर इस संगठन ने कहा है कि पंचायत चुनाव के बीच कोरोना से 700 से ज्यादा शिक्षकों की मौत हुई है. एक और संगठन, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ का दावा है कि यूपी में पंचायत चुनाव के दौरान 136 ऐसे लोगों की मौत हुई है जो शिक्षक, शिक्षामित्र या अनुदेशक थे और चुनाव ड्यूटी पर थे.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)