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यूपी के DSP को अपने इंस्पेक्टर से जान का खतरा, अधिकारियों से गुहार

इंस्पेक्टर पर डीएसपी ने लगाए जेल में डाल देने की धमकी के आरोप

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उत्तर प्रदेश में बढ़ते अपराध से लोगों में डर का माहौल होना आम है, लेकिन अब खुद एक पुलिस अधिकारी को अपनी जान का डर सता रहा है. महोबा के डीएसपी राजकुमार पांडेय ने अपने ही एक इंस्पेक्टर को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ से लेकर तमाम बड़े अधिकारियों से सुरक्षा की गुहार लगाई है. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा है कि माफिया इंस्पेक्टर बिजेन्द्र भडाना से उन्हें जान का खतरा है. लेकिन आखिर एक सीनियर पुलिस अफसर अपने जूनियर से इतने खौफ में क्यों है? इस घटना के बाद सभी के जहन में ये सवाल उठ रहा है. जानिए क्या है ये पूरा मामला.

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यूपी पुलिस के कामकाज के तरीकों पर पहले ही कई सवाल उठते आए हैं. लेकिन अब एक डीएसपी रैंक के अधिकारी के इन आरोपों के बाद लोगों को फिर सवाल उठाने का मौका मिल गया है. दरअसल महोबा के डीएसपी राजकुमार पांडेय का ट्रांसफर गाजियाबाद के लोनी से महोबा में हुआ था. जहां वो सीओ के पद पर तैनात थे. लेकिन महोबा पहुंचने के बाद उन्होंने लोनी थाने के एक इंस्पेक्टर पर गंभीर आरोप लगाए हैं और कहा है कि उन्हें उससे जान का खतरा है.

पहले कहा- नहीं सुनी जा रही है बात

डीएसपी ने इसे लेकर अपने कई ऑडियो मीडिया में जारी किए हैं. जिसमें वो कहते हुए सुने जा रहे हैं कि माफिया इंस्पेक्टर से उन्हें बचाया जाए. उन्होंने कहा कि इंस्पेक्टर ने उन्हें जेल भिजवाने की भी कोशिश की. उन्होंने अपने ऑडियो मैसेज में कहा,

“कल मैंने एसएसपी सर को 4 बार फोन लगाया. मेरी आधी बात भी न सुनी गई. मेरा फोन काट दिया गया. मुझे इग्नोर किया गया. मैं बहुत ज्यादा दुखी हूं. मैं डीजी उत्तर प्रदेश शासन, प्रमुख सचिव गृह, सीएम उत्‍तर प्रदेश से अपील कर रहा हूं कि मेरी पीड़ा को सुना जाए. मेरी मनोदशा को समझा जाए और मेरे ऊपर इंस्पेक्टर बिजेन्द्र भडाना के हो रहे उत्पीडन, जोकि वर्दी के भेष में साक्षात रेपिस्ट है. मेरी रक्षा की जाए.”

अब अफसरों की तरफ से मिला भरोसा

उन्होंने एक वीडियो भी जारी किया है. जिसमें उन्होंने बताया, "मैं महोबा में सीओ के पद पर कार्यरत हूं. मुझे कोरोना हुआ और 22 अगस्त को मैं हॉस्पिटल में भर्ती हुआ. जिसके बाद 29 अगस्त की शाम को मैं डिस्चार्ज होकर घर आया और घर पर क्वॉरंटीन में रहा. इंस्पेक्टर भडाना के खिलाफ मेरे जो आरोप हैं, उन पर मैं कायम हूं. आईजी जोन मेरठ, एसएसपी सर से मेरी फोन पर बात हुई है. इस इंस्पेक्टर को बचाने की जो कोशिश हो रही है उसे भी साबित करूंगा."

राजकुमार पांडेय इसे लेकर मीडिया से बात करने वाले थे, लेकिन अब उन्होंने कहा है कि ये उनके आचरण के खिलाफ जाएगा. डीएसपी राजकुमार पांडेय ने बताया कि वो प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं करने जा रहे हैं. क्योंकि बड़े अधिकारियों ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि आरोपी इंस्पेक्टर के खिलाफ कार्रवाई होगी.

मामले की जांच शुरू

इस पूरे मामले को लेकर सीओ (क्राइम) गाजियाबाद अलोक दुबे ने कहा कि,

“सोशल मीडिया पर पुलिस उपाधीक्षक राजकुमार पांडेय ने कुछ ऑडियो वायरल किए हैं, उस संबंध में जांच बिठाई गई है. अब तक राजकुमार पांडेय की तरफ से कोई लिखित शिकायत नहीं मिली है. जनपद गाजियाबाद में पुलिस उपाधीक्षक राजकुमार पांडेय जी को तीन साल पूरे हो गए थे, जिसके बाद उनका ट्रांसफर महोबा में हुआ था. वो फिलहाल महोबा में क्षेत्राधिकारी के रूप में तैनात हैं, जांच जारी है.”
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इंस्पेक्टर से क्या है विवाद?

डीएसपी पांडेय ने अपनी लिखित शिकायत में बताया है कि आखिर इंस्पेक्टर भडाना से उनका क्या विवाद हुआ. उन्होंने बताया कि जब वो कोरोना नेगेटिव होने के बाद डॉक्टर की सलाह पर ऑक्सीजन लेवल चेक करवाने गया तो उसके बाद मुझे लगा कि मैं लोनी थाने जाकर अपने पुराने साथियों से मुलाकात कर लूं. क्योंकि मैं दिसंबर 2018 से लेकर अगस्त 2020 तक वहां बतौर सीओ काम कर चुका हूं. वहां मेरी मुलाकात मुंशी मूलचंद सैनी और चाहत राम निठौरा से हुई.

तबीयत के बारे में मैं उन्हें बता ही रहा था कि इंस्पेक्टर बिजेंद्र भडाना ने वहां पहुंचकर मुझ पर आरोप लगाया कि सीओ साहब थाने पर दबदबा बनाने आए थे. साथ ही मुझे ये भी कहा कि आपके खिलाफ जीडी में एंट्री कराकर मुकदमा लिखकर जेल भेज दूंगा. उन्होंने ऐसा इसिलिए किया क्योंकि मैंने उनके हर गलत काम का हमेशा विरोध किया था.

डीएसपी ने इंस्पेक्टर पर आरोप लगाया है कि उनकी लापरवाही के चलते पिछले साल नफीस कुरैशी की हत्या कर दी गई. जबकि उन्होंने इंस्पेक्टर भडाना को नफीस की सुरक्षा के लिए ब्रीफ किया था. साथ ही आरोप लगाया गया है कि इंस्पेक्टर ने लोनी थाना क्षेत्र में होने वाली हत्या और जघन्य अपराधों की जानकारी उनसे साझा नहीं की, जबकि वो उनके सीनियर अधिकारी थे.

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