अमेरिका में नौकरी के लिये भारतीयों में चर्चित एच-1 बी वीजा के लिए आवदेन प्रक्रिया सोमवार से शुरू हो रही है. ट्रंप प्रशासन ने एच-1 बी वीजा जारी करने से पहले कड़ी जांच का प्रावधान किया है. बता दें कि अमेरिका में एक अक्तूबर से शुरू होने वाले नये फाइनेंसियल ईयर 2019 के लिये यह आवेदन प्रक्रिया शुरू होने जा रही है.
यूएस सिटीजनशिप और इमिग्रेशन सर्विसेस (यूएससीआइएस) की ओर से कड़े संकेत आ रहे हैं कि फॉर्म में छोटी सी गलती भी बर्दाश्त नहीं जाएगी मामूली गलती के चलते भी एप्लिकेशन खारिज हो सकती है.
क्या है एच1 बी वीजा?
एच1 बी वीजा एक गैर- प्रवासी वीजा है, जो विदेशी कर्मचारियों को अमेरिका में काम करने की इजाजत देता है. आईटी कंपनियां इस वीजा पर बहुत अधिक निर्भर हैं. और हर साल भारत और चीन जैसे देशों से हजारों कर्मचारियों कोइस वीजा के जरिये नौकरियां मिलतीं हैं. इस वीजा के लिए आम तौर उच्च शिक्षा की जरूरत होती है.
ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद एच1 बी वीजा बिल के मुताबिक H1-B वीजा के तहत अमेरिका आने वाले कर्मचारी की सालाना सैलरी कम से कम 1.30 लाख डॉलर होनी चाहिए, अभी सालाना सैलरी 60,000 डॉलर है.
ये व्यवस्था 1990 में तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने शुरू की थी.
इन वजहों से कैंसिल हो सकता है आवेदन
यूएससीआईएस ने आवेदन प्रक्रिया शुरू होने से पहले चेतावनी जारी करके कहा कि
डुप्लीकेट आवेदनों को एप्लिकेशन खारिज हो जाएगा. अगर कोई बार-बार एच -1 बी वीजा के लिए अप्लाई करेगा तो भी उसकी एप्लिकेशन खारिज हो सकती है. कोई भी शख्स किसी कपंनी की ओर से एक विषय के तहत ही फॉर्म भर सकता है. कई बार ऐसा होता है कि कोई कर्मचारी एक ही कपंनी की तरफ से अलग-अलग जॉब पोजीशन के लिए अप्लाई करता है, जिससे कि एच -1 मिलने की संभावनाएं बढ़ जाए, इसलिए USCIS ने कहा है कि ऐसी आवेदनकर्ता इन गलतियों से बचें.
USCIS के मुताबिक फॉर्म पर डेट ऑफ ज्वाइनिंग या फिर 'यथासंभव शीघ्र' (ASAP) जैसे शब्दों का जिक्र करने से भी एप्लिकेशन खारिज कर दिए जाएंगे. अभी तक ये साफ नहीं हो पाया है कि एच -1 बी वीजा के लिए ड्रॉ निकाला जाएगा या नहीं.
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