सिख दंगों (1984 Sikh Riots) के 30 से भी ज्यादा सालों के बाद उत्तर प्रदेश के कानपुर से 10 अगस्त को सबूत इकट्ठे किए गए. कानपुर में 1984 के दंगों के समय बड़ा नरसंहार हुआ था. अब एक स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (SIT) ने कानपुर के एक घर को खोलकर सबूत इकट्ठे किए हैं.
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद शुरू हुए सिख दंगों में 1 नवंबर 1984 को कानपुर में दो लोगों की एक घर में हत्या हुई थी. 45 वर्षीय बिजनेसमैन तेज प्रताप सिंह और उनके 22 वर्षीय बेटे सतपाल सिंह को गोविंद नगर स्थित घर में मारा गया था.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, परिवार के बाकी सदस्य पहले एक रिफ्यूजी कैंप में रहे और फिर दिल्ली और पंजाब में बस गए. उन्होंने कानपुर के घर को बेच दिया था. हालांकि, नए मालिक घर में कभी गए ही नहीं और SIT को सब चीजें जस की तस मिलीं.
पुलिस ने ही दर्ज कराया केस
SIT जांच उत्तर प्रदेश में हुए 1984 दंगों की पहली जांच का हिस्सा हैं. जांच को सीएम योगी आदित्यनाथ ने शुरू कराया है. दिल्ली के बाद कानपुर में सबसे भयंकर दंगे हुए थे. शहर में करीब 127 लोग मारे गए थे.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, तेज प्रताप सिंह की पत्नी और बेटे के कानपुर छोड़ने की वजह से एक सब-इंस्पेक्टर ने अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज कराया है. मामला IPC सेक्शन 396 (हत्या के साथ डकैती), 436 (घर नष्ट करने के इरादे से शरारत) और 201 (सबूत नष्ट करना) के तहत दर्ज हुआ है.
10 अगस्त को SIT फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स के साथ तेज प्रताप सिंह के घर में गई. SIT सदस्य बालेंदु भूषण ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि 'क्राइम सीन को छेड़ा नहीं गया था. हमने फॉरेंसिक टीम को बुलाया था. ये स्थापित हुआ है कि घर में हत्या हुई थी."
11 अगस्त को SIT ने तेज प्रताप सिंह के दूसरे बेटे 61 वर्षीय चरणजीत सिंह का बयान दर्ज किया. चरणजीत अपने परिवार के साथ दिल्ली में रहते हैं. तेज प्रताप सिंह की पत्नी की मौत कुछ साल पहले हो गई थी.
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