वाराणसी (Varanasi) के राजघाट स्थित "सर्व सेवा संघ" भवन महात्मा गांधी के विचारों और उनकी यादों से जुड़ा था. जिला प्रशासन ने पिछले महीने बुलडोजर चलाकर इसे ध्वस्त कर दिया और यहां मौजूद करोड़ों रुपए के साहित्य और किताबों को कूड़े के डंपर में भर कर प्रधानमंत्री के गोद लिए गांव नागेपुर भेज दिया गया. दुर्लभ किताबें खुले में फेंकी गई थीं. बरसात में भीगी किताबों को मलबे में बदलता देख लोक समिति के कार्यकर्ताओं ने इसे सहेजने का काम शुरू किया.
नागेपुर में गांधी की आधी-अधूरी विरासत को सहेजने का काम किया जा रहा है. क्विंट हिंदी ने लोक समिति के कार्यकर्ताओं से बातचीत की.
"गांधी और जेपी विरासत को बचाने की कोशिश"- नंद लाल मास्टर
लोक समिति के संयोजक नंदलाल मास्टर ने कहा कि "वाराणसी के राजघाट में स्थित गांधी जी के आश्रम 'सर्व सेवा संघ' के परिसर पर जिला प्रशासन ने रेलवे के साथ मिलकर बुलडोजर चलाया और उनकी धरोहर को नेस्तनाबूत कर दिया.
बीते 22 जुलाई को जिला प्रशासन ने 'सर्व सेवा संघ' परिसर में चल रहे सर्व सेवा संघ प्रकाशन के लोगों को बाहर निकाल कर करोड़ों की किताबों को कूड़े के डंपर में भरकर जबरन नागेपुर गांव के खेत में लाया गया. बारिश में भीग रही किताबों को लोक समिति के कार्यकर्ता, आशा सामाजिक विद्यालय और गांव के लोग मिलकर संरक्षित कर रहे हैं.
करोड़ों रुपए मूल्य की किताबें बारिश में फेंकी गईं, हम इसकी निंदा करते हैं. किताबों को कार्टन में भरकर लोग समिति आश्रम में रखवा रहे हैं. हम गांधी और जेपी विरासत को बचाने की कोशिश कर रहे हैं.नंदलाल मास्टर, लोक समिति के संयोजक
नंद लाल के मुताबिक बारिश से भीगी किताबें सीलन और नमी की भेंट चढ़ गई. इन्हें दीमक खाने लगे थे. एक-एक किताबों को कार्टन में पैक करके सुरक्षित रखा जा रहा है. सर्व सेवा संघ प्रकाशन करीब 1500 प्रकार की किताबें प्रकाशित करता रहा. इन किताबों के जरिए देश भर में गांधी, विनोबा, जयप्रकाश नारायण और देश के अन्य संत महापुरुषों के विचार धार्मिक साहित्य को प्रसारित किया जाता था.
उन्होंने आगे कहा कि रेलवे के देश भर में 70 बड़े स्टेशनों पर सर्वोदय साहित्य के लिए जगह दी गई थी लेकिन प्रशासन ने बुलडोजर चलाकर गांधी के विचारों को रौंद दिया.
"हम इतिहास को मिटने नहीं देंगे"
सर्व सेवा संघ के राम धीरज ने कहा कि सर्वोदय साहित्य के अलावा गांधी और विनोबा के जीवन से जुड़े बहुमूल्य दस्तावेज, कीमती पत्र, पांडुलिपि, सर्व सेवा संघ के कार्यालय संबंधी बहुमूल्य दस्तावेज बर्बाद हो गए. अधूरा ही सही हम इसे सहेजेंगे, जिससे इतिहास में यह अमर रहे.
वाराणसी DM के आदेश पर हुआ था ध्वस्तीकरण
वाराणसी के जिला अधिकारी के आदेश पर सर्व सेवा संघ को पहले खाली कराया गया और बाद में रेलवे को कब्जा दिया गया था. इसके विरोध में लगभग 70 दिनों तक आंदोलन और सत्याग्रह भी हुए थे. आखिरकार गांधी, विनोबा, जेपी और लोहिया से जुड़ी संस्था "सर्व सेवा संघ" के भवन को बुलडोजर ने रौंद डाला.
बता दें कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत को वाद निस्तारण के लिए कहा था. सर्व सेवा संघ के सदस्यों का आरोप है कि सुप्रीम कोर्ट से मिले आदेश के बाद भी जिला प्रशासन ने डिमोलिशन की कार्रवाई करा कर इसे नेस्तनाबूत कर दिया.
"तानाशाही से गांधी की विरासत को रौंदा"
अखिल भारतीय सर्वोदय मंडल पूर्वी उत्तर प्रदेश के वाराणसी कार्यालय अध्यक्ष डॉ. सौरभ सिंह ने बताया कि जिलाधिकारी वाराणसी ने हाईकोर्ट के निर्देश पर हमारे मामले में एक तरफा ऑर्डर दिया था और जमीन पर रेलवे को कब्जा देकर हमें बेदखल कर दिया था.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले में साफ लिखा है कि हमने हाईकोर्ट में इस आदेश को चैलेंज करने में देर कर दी. सुप्रीम कोर्ट ने यह माना कि जिला अधिकारी को इस मामले में दखल और आदेश देने का अधिकार नहीं है. उन्होंने सर्व सेवा संघ को निचली अदालत में वाद दाखिल करने का निर्देश दिया है, इस आदेश में यह भी लिखा है कि हमारे दो और मामले निचली अदालत में चल रहे हैं. उसको भी निचली अदालत बिना किसी प्रेशर के देखे.
"बीजेपी ने पार कर रही बेशर्मी की हदें"- जयराम रमेश
कांग्रेस सांसद और पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने अपने सोशल मीडिया हैंडल से बीजेपी के नीतियों की आलोचना की है. उन्होंने लिखा है कि प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में गांधी, जेपी और लाल बहादुर शास्त्री जैसे महापुरुषों की विरासत से जुड़े सर्व सेवा संघ पर बुल्डोजर चलना शर्मनाक है. गांधी की विरासत को हड़पने और नष्ट करने के प्रयास पहले गुजरात के साबरमती आश्रम और वर्धा के गांधीग्राम में हो चुके हैं. अब वाराणसी के सर्व सेवा संघ को हड़प कर पूंजीपतियों को सौंपने की तैयारी है. हम इसकी भर्त्सना करते हैं.
'सर्व सेवा संघ' ने क्या आरोप लगाए?
अखिल भारतीय सर्वोदय मंडल पूर्वी उत्तर प्रदेश के वाराणसी कार्यालय अध्यक्ष डॉ सौरभ का आरोप है कि एक लिखित शिकायत पर प्रशासन ने संज्ञान लेते हुए संघ की जमीन को रेलवे के नाम कर दिया.
उन्होंने कहा कि
हम 70 सालों से इस जगह पर रह रहे हैं. 15 मई से 22 जुलाई के अंदर हमें यहां से उखाड़ फेंका गया. लगभग 2 माह पहले एक व्यक्ति जिसका नाम मोइनुद्दीन है, उसका स्थाई पता और मोबाइल नंबर अज्ञात है. वह एक चिट्ठी रेलवे को लिखता है कि सर्व सेवा संघ जिस जमीन पर है वह रेलवे की है. अचानक से पुलिस और प्रशासन की टीम ने आकर हमारे जगह पर कब्जा कर लिया.
सौरभ ने आरोप लगाया कि सरकार और सरकारी मशीनरी गांधी के विरासत के खिलाफ हो गई है.
ऐसे में इस जमीन को भी किसी प्रोजेक्ट के हवाले करने की मंशा होगी. उन्होंने बताया कि काशी स्टेशन के डेवलेपमेंट और इंटर मॉडल स्टेशन की आधारशिला हाल ही में प्रधानमंत्री ने रखी है. इसके बाद रेलवे ने राजघाट स्थित सर्व सेवा संघ की जमीन के अतिक्रमण को हटाया है. रेलवे का बुलडोजर चला जिससे ऐसा लगता है कि मोइनुद्दीन के नाम पर एक षड्यंत्र रच कर सर्व सेवा संघ को हटाने की साजिश रची गई.
क्या है अखिल भारतीय सर्वोदय मंडल?
सर्व सेवा संघ के लगभग 14 विंग हैं. ये अलग-अलग तरह से काम करते हैं. इन्हीं में एक अखिल भारतीय सर्वोदय मंडल है. पूर्वी उत्तर प्रदेश का कार्यालय वाराणसी में स्थापित है. कार्यालय अध्यक्ष डॉक्टर सौरभ यहां का कार्यभार संभालते हैं.
क्या है "सर्व सेवा संघ"?
वाराणसी के राजघाट इलाके में लगभग 13 एकड़ भूमि पर हरा-भरा "सर्व सेवा संघ" का भवन है. इसमें 40 परिवारों के लगभग 150 लोग रहते थे. अब यहां कोई नहीं रहता. जिला प्रशासन और पुलिस की कथित क्रूरता ने इन्हें जबरन बेघर कर दिया है.
बता दें कि महात्मा गांधी के विचारों और मूल्यों को आगे बढ़ाने के लिए "सर्व सेवा संघ" की स्थापना सन 1948 में सेवाग्राम (वर्धा, महाराष्ट्र) में हुई. संघ का विस्तार हुआ तो साल 1960 में वाराणसी के राजघाट इलाके में सर्व सेवा संघ की स्थापना हुई.
लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने यहां पर गांधी विद्या संस्थान की स्थापना की. देशभर के गांधी वादियों का कार्यस्थल बना तो वहीं विनोबा भावे के आध्यात्म और जेपी की चेतना का केंद्र रहा. सर्व सेवा संघ से हर साल 50 से 60 पुस्तकों का प्रकाशन होता रहा है. यहां से लगभग 2000 किताबें छपी हैं.
संघ का दावा है कि "लगभग 63 वर्ष पहले यह जमीन रेलवे से खरीदी गई थी लेकिन रेलवे ने संघ पर कूट रचना कर कागजात तैयार करने का आरोप लगाते हुए कोर्ट में वाद दाखिल किया था. इसके बाद हाईकोर्ट ने संघ की जमीन का स्वामित्व तय करने के लिए पिछले दिनों डीएम को निर्देशित किया था."
वाराणसी के जिलाधिकारी एस राज लिंगम ने रेलवे के दावे को सही माना और कब्जा हटाने का आदेश दे दिया. इसके बाद रेलवे ने संघ परिषर के सभी भवनों को खाली करने के लिए नोटिस चस्पा किया. इसके विरोध में सर्व सेवा संघ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, लेकिन बात न बनी.
63 दिनों तक चला सत्याग्रह
गांधी की विरासत को बचाने के लिए लगभग 63 दिनों तक यहां सत्याग्रह किया गया. इसमें गांधी विचार से प्रेरित लोगों ने भाग लिया लेकिन प्रशासन ने किसी की न मानी और बलपूर्वक इसे खाली करा दिया गया.
इस परिसर में सर्व सेवा संघ प्रकाशन, गांधी विद्या संस्थान, साधना स्थल, गांधी स्मारक, जेपी प्रतिमा और आवास, वाचनालय, औषधालय, बालवाड़ी, अतिथि गृह, चरखा प्रशिक्षण केंद्र और डाकघर हैं. कभी यहां गांधी के विचार से प्रेरित लोगों का जुटान होता था. आचार्य विनोबा भावे, लोकनायक जयप्रकाश नारायण और अंतरराष्ट्रीय स्कॉलर शूमाकर जैसी हस्तियां भी यहां आ चुकी हैं.
विरोध करने वालों की हुई थी गिरफ्तारी
बेदखली का विरोध करने पर पुलिस ने रामधीरज, सर्व सेवा संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंदन पाल, अरविंद अंजूमन, लोक समिति के नंदलाल मास्टर, गाजीपुर के ईश्वरचंद्र, मऊ के रहने वाले अनोखे लाल, सर्वोदय मंडल यूपी के महामंत्री राजेंद्र मिश्र और जितेंद्र को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. बाद में इनकी जमानत हुई और ये बाहर आ गए.
हालांकि जेल भेजने के विरोध में संघ बचाओ आंदोलन से जुड़े लोगों ने प्रतिवाद मार्च भी निकाला था.
अब तक क्या-क्या हुआ?
15 अप्रैल 2023 को जिला प्रशासन ने गांधी विद्या संस्थान की लगभग 3 एकड़ जमीन इंदिरा गांधी कला केंद्र को दे दिया.
16 मई को मामला हाईकोर्ट पहुंचा.
17 मई से लगातार 63 दिन धरना और सत्याग्रह चला.
23 मई को मोइनुद्दीन और रेलवे ने मिलकर SDM के यहां मुकदमा दायर किया
10 और 14 जून को मामले की सुनवाई हुई
17 जून को फिर से फैसला हुआ
26 जून को वाराणसी के डीएम ने जमीन का मालिक रेलवे को माना
27 जून को आदेश मिला और इसके 2 घंटे के अंदर ही रेलवे ने नोटिस चस्पा कर दिया
4 जुलाई को हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि वाराणसी डीएम का फैसला सर्वमान्य होगा
22 जुलाई को लगभग 350 पुलिसकर्मी परिसर में आए और 22 घंटे लगातार पुलिसिया कार्रवाई हुआ और परिसर खाली करवाया गया
12 अगस्त को रेलवे ने 'सर्व सेवा संघ' पर बुलडोजर चलवा दिया
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