भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या को भारत लाए जाने का रास्ता करीब-करीब साफ दिख रहा है. प्रत्यर्पण के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी वाली विजय माल्या की याचिका यूके हाईकोर्ट से खारिज हो गई है. इसके साथ ही उसे अगले 28 दिनों में भारत लाने के सरकार के रास्ते का एक बड़ा रोड़ा साफ हो गया है.
कानूनी विकल्प खत्म
लंदन स्थित सूत्रों के अनुसार, ब्रिटेन में माल्या के लिए सारे कानूनी विकल्प खत्म हो चुके हैं, लेकिन अभी वह ब्रिटिश गृहमंत्री प्रीति पटेल के ऑफिस में दस्तक दे सकता है, जिनके पास उसे भारत प्रत्यर्पित किए जाने पर अंतिम निर्णय लेने का अधिकार है.
2016 में भारत से चला गया था विजय माल्या
देश की सबसे बड़ी स्पिरिट कंपनी, युनाइटेड स्पिरिट और अब बंद हो चुकी किंगफिशर एयरलाइंस का संस्थापक पूर्व सांसद विजय माल्या 1.3 अरब डॉलर कीमत की धोखाधड़ी और धनशोधन के आरोपों का सामना कर रहा है. वह निजी कारणों का बहाना बना कर मार्च 2016 में भारत से चला गया था.
माल्या ने कम से कम 17 भारतीय बैंकों से लोन लेकर उन्हें चूना लगाया. कर्ज की राशि का इस्तेमाल उसने विदेशों में लगभग 40 कंपनियों में पूर्ण या आंशिक हिस्सेदारी हासिल करने में किया.
लंदन हाईकोर्ट में अपील हारने के बाद माल्या ने इस महीने की शुरुआत में ब्रिटिश सुप्रीम कोर्ट में अपने प्रत्यर्पण के खिलाफ अपील की थी.
माल्या ने दिया है प्रस्ताव
माल्या ने गुरुवार को इसके पहले केंद्र सरकार को प्रस्ताव दिया था कि वह पूरा कर्ज चुकता करना चाहता है, और इस मामले को खत्म करना चाहता है. माल्या ने कहा कि लेकिन ऋण चुकाने के उसके बार-बार के आग्रह को मोदी सरकार नजरअंदाज कर रही है. खास बात यह कि उसने भारत सरकार द्वारा घोषित 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की प्रशंसा की, जिसकी घोषणा कोरोनावायरस महामारी के कारण लंबे समय से लागू लॉकडाउन की वजह से ठप पड़ी अर्थव्यवस्था को जिंदा करने के लिए की गई है.
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