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एक था विकास दुबे- 20 साल के आतंक के खात्मे की पूरी कहानी

विकास दुबे को उज्जैन से कानपुर लाया जा रहा था, तब गाड़ी पलट गई,

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यूपी में 20 सालों तक आतंक मचाने वाला 8 पुलिसवालों का मर्डर कर फरार यूपी का हिस्ट्रीशिटर विकास दुबे.. पुलिस की 40 टीमों का 150 घंटे का सर्च ऑपरेशन.. फिर बड़ी आसानी से एक मंदिर के सिक्योरिटी गार्ड के जरिए गिरफ्तारी और 24 घंटे के अंदर एनकाउंटर में मौत.. विकास दुबे की कहानी वाकई काफी फिल्मी है.

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जो कहानी कानपुर से शुरू हुई थी उस कहानी का अंत भी कानपुर में ही हुआ. 9 जुलाई की सुबह जब उज्जैन के महाकाल मंदिर से विकास की गिरफ्तारी हुई तो वो चीख-चीखकर सबको अपनी पहचान बता रहा था- ‘मैं विकास दुबे हूं कानपुर वाला’... वो शातिर बदमाश जो आठ पुलिसवालों की बेरहमी से हत्या कर तीन राज्यों की पुलिस को चकमा देकर भाग रहा था, उसको एक पुलिसवाला सिर पर मारकर चुप कराता हुआ भी नजर आया...

इन तस्वीरों को देखकर सबलोग यही थ्योरी दे रहे थे कि विकास दुबे ने अपनी गिरफ्तारी खुद प्लान की थी, क्योंकि जिस तरह से उसके साथियों का ताबड़तोड़ एनकाउंटर किया गया, उससे विकास को भी डर था कि उसका भी अंजाम यही होगा, लेकिन 24 घंटे भी नहीं बीते थे, कि विकास ने जिस कानपुर से अपने आतंक के साम्राज्य की शुरुआत की थी, उसी शहर में उसका अंत भी कर दिया गया.. हालांकि उसकी मौत पर सफाई देते हुए यूपी पुलिस की तरफ से ये बयान दिया गया-

विकास दुबे को उज्जैन से कानपुर लाया जा रहा था, तभी रास्ते में गाड़ी पलट गई, विकास ने घायल पुलिसवालों से पिस्टल छीनने की कोशिश. पुलिस ने उसे चारों तरफ से घेरकर आत्मसमर्पण कराने की कोशिश की, जिसमें उसने जवाबी फायरिंग की, आत्मरक्षा में पुलिस ने फायरिंग की और विकास घायल हो गया, उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई.

3 जुलाई की वो काली रात

3 जुलाई की रात चौबेपुर के बिकरू गांव में जो कुछ हुआ वो यूपी के इतिहास की सबसे काली रात थी. कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था, देश के सबसे बड़े राज्य में पुलिस की टीम की ही घेरकर इतनी बेरहमी से हत्या कर दी जाएगी.

ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि बदमाशों का एक गैंग इस तरह से पुलिसवालों को घेरकर अंधाधुंध फायरिंग करे और उनकी ढूढ़ ढूढ कर हत्या कर दे. ऐसा कोई सोच भी नहीं सकता वो भी तब जब उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री खुद दावा करते हैं, कि यूपी में अपराधियों के लिए कोई जगह नहीं है, उस यूपी में पुलिस वाले ही अपनी जान नहीं बचा पाए.

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यही नहीं इतने बड़े हत्याकांड को अंजाम देकर विकास बड़ी आसानी से फरार भी हो गया. यूपी पुलिस और एसटीएफ कानपुर से लेकर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों और दूसरे राज्यों में विकास दुबे की तलाश में जुटी थी. यही नहीं राजस्थान, दिल्ली, मध्य प्रदेश, हरियाणा, बिहार की पुलिस से भी विकास के लिए संपर्क किया जा रहा था. कई जगह छापेमारी भी हुई.

और आखिर में विकास दुबे को उज्जैन के एक सिक्योरिटी गार्ड ने पहचान लिया और पुलिस को खबर दी. मंदिर के अंदर से उस सिक्योरिटी गार्ड के साथ आते हुए विकास की तस्वीरें देखकर तो यही अंदाजा लगाया जा रहा था कि उसने खुद ही सरेंडर कर दिया है.एक शातिर अपराधी जिस तरह आसानी से पकड़ा गया उस पर ही कई सवाल उठ रहे थे.

जिस अपराधी के पीछे यूपी पुलिस की पूरी फोर्स पड़ी थी वो बड़ी आसानी से महाकाल के मंदिर से दबोच लिया गया.यही कहा जा रहा था कि मंदिर के दर पर विकास एनकाउंटर से बचने के लिए पहुंचा, लेकिन गिरफ्तारी को 24 घंटे भी नहीं हुए कि कानपुर की सीमा में घुसते ही आखिर उसका अंत हो गया.

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