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एनकाउंटर पर एनकाउंटर,इस तरह महाकाल में खत्म हुई विकास दुबे की दौड़

विकास के भागने से लेकर उसपर कैसे शिकंजा कसता गया उसकी पूरी क्रोनोलोजी

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5 लाख का इनाम, सैकड़ों जगह तलाशी, 150 घंटे, आखिरकार गैंगस्टर विकास दुबे पुलिस की गिरफ्त में आ गया. उत्तर प्रदेश के कानपुर में डीएसपी समेत 8 पुलिसवालों की हत्या करने वाले हिस्ट्री शीटर विकास दुबे को मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर से गिरफ्तार किया गया है.

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जब विकास दुबे को पुलिस ने दबोचा तब वो मीडिया को देखकर चिल्लाने लगा कि ‘मैं विकास दुबे हूं कानपुर वाला.’ जिस विकास दुबे ने अपने गुर्गों के साथ 8 पुलिस वालों की हत्या कर दी, जिसके नाम का आतंक था उसे उज्जैन के एक पुलिस वाले ने पीटकर चुप भी करा दिया. गिरफ्तारी के वक्त विकास ने जब मीडिया को अपनी पहचान बताई तब वहां खड़े एक पुलिस वाले ने पीटते हुए कहा- चुप.. आवाज नहीं..

चलिए आपको विकास के भागने से लेकर उसपर कैसे शिकंजा कसता गया उसकी पूरी क्रोनोलोजी समझाते हैं.

विकास दुबे के गिरफ्त में आने तक की क्रोनोलोजी

3 जुलाई की रात चौबेपुर के बिकरू गांव में हुए शूटआउट के बाद से विकास फरार था. यूपी पुलिस और एसटीएफ कानपुर से लेकर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों और दूसरे राज्यों में विकास दुबे की तलाश में जुटी थी. यही नहीं राजस्थान, दिल्ली, मध्य प्रदेश, हरियाणा, बिहार की पुलिस से भी विकास के लिए संपर्क किया जा रहा था. कई जगह छापेमारी भी हुई.

8 जुलाई को खबर आई की विकास दुबे उत्तर प्रदेश की पुलिस को चकमा देकर हरियाणा के फरीदाबाद पहुंच गया है, लेकिन जैसे ही पुलिस उसे पकड़ने पहुंची वो वहां से फरार हो चुका था. लेकिन अब वो उज्जैन मिला.

एनकाउंटर पर एनकाउंटर

विकास दुबे को पकड़ने के चक्कर में यूपी पुलिस ने कुल 5 लोगों का एनकाउंटर किया. विकास के साथी प्रेम प्रकाश, अतुल दुबे, अमर दुबे, बउआ दुबे और प्रभात मिश्रा का एनकाउंटर हो चुका है.

विकास की गिरफ्तारी से पहले 9 जुलाई को विकास दुबे के दो करीबी साथी प्रभात मिश्रा और प्रवीण उर्फ बउवा दुबे को पुलिस ने मुठभेड़ में मार गिराया. प्रभात को पुलिस फरीदाबाद से कानपुर ला रही थी, तभी बीच रास्ते में उसने भागने की कोशिश की, पुलिस ने गोली चलाई , प्रभात घायल हो गया, अस्पताल में डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. वहीं, विकास का दूसरा साथी बउवा इटावा में मारा गया. विकास दुबे का मामा प्रेम प्रकाश पांडेय और अतुल दुबे कानपुर एनकाउंटर के कुछ देर बाद ही एक और मुठभेड़ में मारे गए थे.

विकास और उसके दो राजदार

5 एनकाउंटर के साथ ही विकास के दो साथी दयाशंकर कल्लू और जय वाजपेयी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. इन दोनों के बयान के आधार पर ही पुलिस घटना के पहले से लेकर विकास के कारनामों के बारे में बेहतक तरीके से जान सकी.

7 जुलाई को विकास का खजांची जय वाजपेयी को पुलिस ने हिरासत में लिया था. जय के कनेक्शन कई नेताओं से लेकर पुलिस अधिकारियों से हैं. जय वाजपेयी के पास दुबई से लेकर देश के कई शहरों में मकान हैं, लग्जरी गाड़ियों का काफिला है. इसके अलावा पुलिस ने विकास के नौकर और खास सहयोगी दयाशंकर उर्फ कल्लू अग्निहोत्री को भी गिरफ्तार कर विकास पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया था. पुलिस की गोली लगने से दयाशंकर जख्मी हो गया था. दयाशंकर ने ही बताया था कि विकास को पुलिस के आने की जानकारी पहले ही मिल चुकी थी.

विकास के भागने से लेकर उसपर कैसे शिकंजा कसता गया उसकी पूरी क्रोनोलोजी
कानपुर मुठभेड़ के बाद इन लोगों की तलाश में जुटी थी पुलिस
(फोटो: क्विंट हिंदी)

विकास दुबे तो अब मिल चुका है, लेकिन कई सवालों के जवाब मिलने बाकी हैं. आखिर विकास दुबे उत्तर प्रदेश से फरीदाबाद और फिर उज्जैन कैसे पहुंच गया? विकास दुबे की मदद कौन कर रहा था? विकास दुबे को पुलिस के आने की खबर किसने दी थी? विकास दुबे इतना मजबूत कैसे होता चला गया? पुलिस डिपार्टमेंट से लेकर राजनीति में कौन-कौन उसका साथी है?

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