नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ शाहीन बाग में स्थानीय महिलाओं का प्रदर्शन शुक्रवार को भी जारी रहा. महिलाओं ने ओखला से शाहीन बाग के बीच धरना दे रही थी. वहीं, महिलाओं के साथ ट्रांसजेंडर और क्वीर समुदाय के लोगों ने भी जुलूस निकाला. ये जुलूस मंडी हाउस से जंतर-मंतर तक निकाला गया.
शुक्रवार को यहां अन्य दिनों के मुकाबले कहीं ज्यादा महिलाएं सीएए का विरोध करने के लिए जमा हुईं. जामिया के छात्रों ने भी अब खुलकर शाहीन बाग के प्रदर्शन में शामिल होने का फैसला किया है. शाहीन बाग की इन महिलाओं के समर्थन में जामिया विश्वविद्यालय के छात्रों ने कैंडल मार्च भी निकाला.
22 दिनों से जारी है धरना
ओखला से शाहीन बाग की ओर आने वाले मुख्य मार्ग के बीचोंबीच यह धरना पिछले 22 दिनों से जारी है. गुरुवार को प्रदर्शनकारियों के एक गुट ने यहां धरना खत्म करने का ऐलान किया था. इसके बाद प्रदर्शनकारियों के बीच तीखी नोकझोंक व धक्का-मुक्की भी हुई.
महिलाओं के साथ स्थानीय लोग भी हुए शामिल
शुक्रवार को यहां पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा महिलाएं प्रदर्शन में शामिल हुईं. महिलाओं का साथ देने के लिए सैकड़ों की तादाद में पुरुष भी धरना स्थल के इर्द-गिर्द मौजूद रहे. वहीं शुक्रवार देर शाम जामिया के छात्र भी इस प्रदर्शन में शामिल होने जामिया से शाहीन बाग पहुंच गए. छात्रों के साथ ही सैकड़ों की तादाद में स्थानीय लोगों ने भी जामिया से शाहीनबाग तक पैदल मार्च किया.
शाहीन बाग में प्रदर्शन कर रही 67 वर्षीय नूर बेगम ने कहा कि वह नहीं चाहती कि उनके बेटे को पुलिस गिरफ्तार करे या उसके खिलाफ कोई कार्रवाई हो. नूर बेगम ने कहा,
“उन्हें अपनी चिंता नहीं है और वह अपने बच्चों के लिए अपनी जान तक कुर्बान करने को तैयार हैं. वह धरना स्थल से तभी हटेगी जब सीएए को वापस लिया जाए या फिर पुलिस उन्हें गोली मार दे.”
ट्रांसजेंडर और क्वीर समुदाय को सम्मान देना जरूरी
मंडी हाउस से जंतर मंतर तक प्रदर्शन कर रहे ट्रांसजेंडर और क्वीर समुदाय के सम्मान में महिलाएं शामिल हुई. अशोक कुमारी नाम की महिला अपने आठ साल के बेटे आयरिश के साथ आई थी. उन्होंने कहा,
‘मेरा बेटा यह जानने को उत्सुक था कि क्या हो रहा है. मैं यहां उसे प्रदर्शन के लिए लाई हूं ताकि वह जाने कि इसमें ट्रांसजेंडर और क्वीर समुदाय के लोग भी हैं और उन्हें सम्मान देना कितना जरूरी है. मैं चाहती हूं कि वह लैंगिक समानता के बारे में जानें.’’
जामिया की कुछ छात्राएं अब शाहीन बाग के इस प्रदर्शन से दूर हो गई हैं. उनका कहना है कि ओखला व शाहीन बाग के स्थानीय नेता इस प्रदर्शन के द्वारा अपनी राजनीति चमकाना चाहते हैं. यहां मौजूद एक छात्र शरजील ने बताया कि हिंसा की आशंका के चलते उन्होंने शाहीन बाग में प्रदर्शन कर रही महिलाओं से धरना समाप्त करने की अपील की थी. शरजील भी स्थानीय नेताओं द्वारा इस आंदोलन का अपने पक्ष में इस्तेमाल किए जाने से नाखुश हैं.
(इनपुटः आईएएनएस और भाषा)
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