दिल्ली के जेल अधिकारियों में यासीन मलिक (Yasin Malik) की सुरक्षा मामले में चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया है. टेरर फंडिंग मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे जम्मू कश्मीर (JKLF) के प्रमुख यासीन हुसैन को स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) का पालन किए बिना सुप्रीम कोर्ट ले जाने के बाद शुक्रवार (21 जुलाई) को जेल अधिकारियों ने जांच शुरू की थी.
DG संजय बेनीवाल ने कहा कि हमारे पास मलिक को केवल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही पेश करने का आदेश है. इसके बजाय, मलिक को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश किया गया.
एक अधीक्षक सहित चार पर हुई कार्रवाई
जेल के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि 21 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में यासीन मलिक की फिजिकल पेशी के मामले में जेल विभाग ने चक्रवर्ती रात एक अधीक्षक, दो सहायक अधीक्षक और एक हेड वार्ड को निलंबित कर दिया है. इन चारों को प्रारंभिक जांच के आधार पर जिम्मेदार ठहराया गया था.
अधिकारी ने कहा कि अन्य अधिकारियों की पहचान करने के लिए डीआईजी तिहाड़ द्वारा अच्छे से जांच की जा रही है, जो इस गंभीर चूक के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं.
जेल अधिकारियों से चूक की बात आई सामने
एक वरिष्ठ जेल अधिकारी के अनुसार, शुक्रवार (21 जुलाई) को यासीन मलिक को सेंट्रल जेल नंबर 7 तिहाड़ के अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट में पेश किया और यह पाया कि यह संबंधित जेल अधिकारियों की ओर से चूक थी.
DG ने 3 दिन के अंदर रिपोर्ट देने का कहा
अधिकारी का कहना है की जेल के महानिदेशक ने दोषी अधिकारियों के जिम्मेदारी तय करने के लिए उप महानिदेशक राजीव सिंह को मामले की जांच करने का आदेश दिया है और साथ ही डीजी ने 3 दिन के भीतर मामले की रिपोर्ट देने को कहा था.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जेल अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए कहा है कि "अलगाववादी नेता को उनकी उपस्थिति की गारंटी देने वाले अदालत के किसी आदेश या प्राधिकरण के अभाव में बाहर निकलने की अनुमति कैसे दी गई".
सॉलिसिटर जनरल ने केंद्रीय गृह सचिव से इस मामले पर सही तरीके से कार्यवाही करते हुए कहा कि मलिक को सामान्य व्यक्ति नहीं है बल्कि यह एक आतंकवादी अलगववादी और साथ ही दोषी भी है.
(इनपुट-IANS)
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