भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अपने अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने से पहले अपने रॉकेट और मानव कैप्सूल की जांच के लिए दो मानव रहित मिशन भेजने की योजना बना रहा है. लेकिन गुरुवार को क्रायोजेनिक इंजन में समस्या के कारण जीएसएलवी-एफ10 विफल हो गया, जिसके बाद अब इसरो को ज्यादा सावधान रहना होगा.
GSLV-F10 भू-प्रतिबिंब उपग्रह-1 (GISAT-1) को कक्षा में स्थापित करने की राह पर था, जिसका नाम बदलकर पृथ्वी प्रेक्षण उपग्रह-03 (IOAS-03) कर दिया गया था. पांच मिनट तक सबकुछ योजनाबद्ध तरीके से चला. लेकिन रॉकेट के उड़ान भरने के लगभग छह मिनट और क्रायोजेनिक इंजन के संचालन शुरू होने के तुरंत बाद, यहां स्पेसपोर्ट में मिशन नियंत्रण केंद्र तनावग्रस्त हो गया, क्योंकि रॉकेट से कोई डेटा नहीं आ रहा था.
इसरो के अधिकारियों में से एक ने घोषणा की कि क्रायोजेनिक इंजन में एक प्रदर्शन विसंगति थी.तब इसरो अधिकारियों को एहसास हुआ कि मिशन विफल हो गया है. उसके बाद इसरो के अध्यक्ष के.सिवन ने कहा कि क्रायोजेनिक चरण में तकनीकी विसंगति के कारण मिशन को पूरा नहीं किया जा सकता है. सिवन ने बताया था कि गंगानयान परियोजना के लिए प्रमुख डिजाइन और दस्तावेजीकरण गतिविधियां पूरी कर ली गई हैं.
इसरो के एक अधिकारी ने पहले बताया था कि क्रू मॉड्यूल का विकास किया जा रहा है और 80 प्रतिशत हार्डवेयर के ऑर्डर दिए जा चुके हैं. अधिकारी के मुताबिक, रॉकेट के सॉलिड फ्यूल मोटर के स्टैटिक टेस्ट इस सितंबर में होने हैं और लिक्विड फ्यूल इंजन का भी टेस्ट किया जाएगा.
इस बीच, चार भारतीय अंतरिक्ष यात्री रूस में अपना प्रशिक्षण पूरा करने के बाद इस मार्च में भारत लौट आए थे और अब वे देश में विभिन्न अंतरिक्ष मिशन विशिष्ट प्रशिक्षण से गुजरेंगे.
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