जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को एक जेल में बदल दिया गया है, और यहां राजनेताओं, पत्रकारों और नागरिक समाज (सिविल सोसायटी) के सदस्यों की आवाज दबाई जा रही है.
गुरुवार को श्रीनगर में गुपकर रोड स्थित अपने निवास पर पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लिए नए भूमि कानूनों के खिलाफ पीडीपी समर्थकों ने बुधवार को जम्मू में विरोध प्रदर्शन किया.
नहीं मिली मार्च की इजाजत
महबूबा ने कहा कि इसके बाद गुरुवार को पीडीपी सदस्य कश्मीर में एक मार्च निकालना चाहते थे, मगर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और पीडीपी कार्यालय को सील कर दिया गया. उन्होंने कहा,
“मैंने उनसे पुलिस स्टेशन में मिलने की कोशिश की, लेकिन मुझे उनसे मिलने की अनुमति नहीं दी गई. किसी को भी कश्मीर में बोलने की अनुमति नहीं है, चाहे वह पत्रकार हो, सिविल सोसायटी या राजनेता.”
हमारे संसाधनों को लूटना चाहते हैं- महबूबा
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, "पूरी तरह से अराजकता है. जम्मू-कश्मीर को जेल में बदल दिया गया है. वे हमारे संसाधनों को लूटना चाहते हैं."
उन्होंने कहा कि जब लद्दाख के लोगों ने विरोध किया, तो उन्हें एक विमान से दिल्ली ले जाया गया और पूछा कि उनकी क्या समस्याएं हैं, लेकिन आज लद्दाख के लोग भी पछता रहे हैं.
"गरीब लोगों को रोटी नहीं दी जाती है, बल्कि उन्हें जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने के लिए कहा जाता है."
महबूबा ने कहा कि वह जम्मू-कश्मीर के लिए लाए गए नए कानूनों के खिलाफ अपनी आवाज उठाती रहेंगी. "हम ट्विटर के राजनेता नहीं हैं, हम अंदर नहीं रहेंगे, हम बाहर आएंगे. हर दिन दिल्ली द्वारा एक नया डिक्टेट (अलोकप्रिय आदेश) जारी किया जा रहा है. अगर वे इतने मजबूत हैं तो चीन का मुकाबला क्यों नहीं कर रहे हैं, जिसने हमारे 20 जवानों को शहीद कर दिया. क्या सारा सुरक्षा बल जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए ही है?"
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)