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'न्यूजक्लिक कश्मीर, अरुणाचल को भारत का हिस्सा नहीं दिखाना चाहता था': पुलिस

दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया कि आरोपियों के इलेक्ट्रॉनिक सबूत भारत के खिलाफ "साजिश" की ओर इशारा करते हैं.

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न्यूज
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न्यूजक्लिक (Newsclick) के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ की गिरफ्तारी के बाद 4 अक्टूबर को पटियाला हाउस कोर्ट में रिमांड आवेदन में दिल्ली पुलिस ने कहा है कि उन्होंने कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश को "भारत का हिस्सा नहीं" दिखाने के लिए "एक कहानी गढ़ी" है.

दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने अपने आवेदन में, जिसकी एक कॉपी क्विंट हिंदी के पास है, में आरोप लगाया है कि ईमेल ट्रेल्स सहित इलेक्ट्रॉनिक सबूत "भारत की संप्रभुता के खिलाफ साजिश" की ओर इशारा करते हैं.

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हालांकि, पुलिस ने पुरकायस्थ और न्यूजक्लिक के प्रमुख एचआर अमित चक्रवर्ती के लिए 15 दिन की पुलिस हिरासत की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने दोनों को सात दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है.

इससे एक दिन पहले दोनों को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत गिरफ्तार किया गया था. पुलिस ने आरोप लगाए हैं कि न्यूजक्लिक को चीन के पक्ष में नैरेटिव गढ़ने के लिए पैसे मिले थे.

प्रबीर पुरकायस्थ ने यूएपीए मामले के तहत दायर FIR की एक कॉपी की मांग करते हुए कोर्ट में याचिका दायर की. बार और बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली पुलिस ने गुरुवार, 5 अक्टूबर को उनके इस आवेदन का विरोध किया, लेकिन कोर्ट ने UAPA के तहत दर्ज FIR की कॉपी पुरकायस्थ को दिए जाने का आदेश दिया है.

'अवैध' विदेशी फंड के 'गुप्त इनपुट: पुलिस ने कोर्ट को बताया

स्पेशल सेल के सहायक पुलिस आयुक्त ललित मोहन नेगी ने पटियाला हाउस कोर्ट में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हरदीप कौर की अदालत में रिमांड अर्जी दायर की.

अगस्त 2023 में न्यूयॉर्क टाइम्स में एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी जिसमें कहा गया कि एक टेक कंपनी के मालिक और अमेरिका स्थित नेविल रॉय सिंघम की तरफ से "चीन के प्रोपेगेंडा" को बढ़ाने के लिए न्यूजक्लिक को पैसे मिले हैं.

पुलिस ने कहा कि उन्हें "गुप्त इनपुट" मिले कि पुरकायस्थ, सिंघम और उसकी शंघाई स्थित कंपनी के कर्मचारियों के बीच "मेल पर बात हुई, जिससे कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश को भारत का हिस्सा नहीं दिखाने के उनके इरादे का पता चला."

पुलिस ने कोर्ट को बताया, "इन लोगों की ऐसी कोशिशों से वैश्विक और घरेलू स्तर पर ये कहानी गढ़ने के प्रयास का पता चला है कि कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश विवादित क्षेत्र हैं."

पुलिस ने कहा कि उन्हें कथित तौर पर "विदेशी फंड की आड़ में 115 करोड़ रुपये से ज्यादा" मिले थे.

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अपनी रिमांड याचिका में, स्पेशल सेल ने कहा, "गुप्त इनपुट भी थे कि भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बाधित करने के इरादे से साजिश के तहत भारतीय और विदेशी संस्थाओं ने अवैध तरीके से भारत के खिलाफ असंतोष पैदा करने और भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा को खतरे में डालने के लिए करोड़ों की विदेशी धनराशि का निवेश किया है."

दिल्ली पुलिस ने ये भी दावा किया कि उसे पता चला है कि पुरकायस्थ ने कथित तौर पर 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान चुनावी प्रक्रिया को बाधित करने के लिए पीपुल्स अलायंस फॉर डेमोक्रेसी एंड सेक्युलरिज्म (PADS) नाम के एक ग्रुप के साथ साजिश रची थी. पुलिस ने कोर्ट को बताया,

"ये भी पता चला है कि मेसर्स पीपीके न्यूजक्लिक स्टूडियो प्राइवेट लिमिटेड के स्वामित्व और रखरखाव वाले पीपुल्स डिस्पैच पोर्टल का इस्तेमाल अवैध रूप से प्राप्त विदेशी फंड के करोड़ों रुपये के बदले जानबूझकर और साजिश के तहत झूठा नैरेटिव फैलाने के लिए किया गया है."

गौतम नवलखा का न्यूजक्लिक से कथित संबंध

पुलिस के अनुसार, पुरकायस्थ को मिला "अवैध" विदेशी धन भीमा कोरेगांव के आरोपी गौतम नवलखा, कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़, पत्रकार उर्मिलेश, परंजॉय गुहा ठाकुरता और अभिसार शर्मा में बांटे गए थे.

पुलिस ने कहा, “वे (नवलखा) प्रतिबंधित नक्सली संगठनों को सक्रिय रूप से समर्थन देने और राष्ट्र-विरोधी सांठगांठ रखने जैसी भारत विरोधी और गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल रहे हैं.”

रिमांड में ये भी कहा गया है कि नवलखा 2018 से न्यूजक्लिक में शेयरधारक हैं, और 1991 से पुरकायस्थ के साथ जुड़े हुए हैं.

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'पूरी साजिश का पर्दाफाश करने की जरूरत'

पुलिस के अनुसार, 3 अक्टूबर को एफआईआर में नामित संदिग्धों को केंद्र में रखते हुए और डेटा का विश्लेषण करने के बाद दिल्ली में 88 स्थानों और अन्य राज्यों में सात जगहों पर छापे मारे गए.

“छापेमारी के दौरान बड़ी संख्या में इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण और दस्तावेज जब्त किए गए. उपरोक्त उल्लिखित आरोपी व्यक्तियों प्रतीक पुरकायस्थ और अमित चक्रवर्ती सहित कई संदिग्धों से पूछताछ की गई, जिससे मामले में उनकी संलिप्तता का पता चला."
दिल्ली पुलिस

दिल्ली पुलिस ने पुरकायस्थ और चक्रवर्ती की 15 दिनों की रिमांड की मांग करते हुए कहा कि आरोपियों के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से निकाले गए 4.3 लाख ईमेल पर "पूरी साजिश का पता लगाने" के लिए उनसे पूछताछ की जरूरत है.

इसमें कहा गया है कि दोनों आरोपियों से ईमेल के कंटेंट के बारे में पूछताछ की जाएगी, जिसमें समाज के अलग-अलग वर्गों के बीच असंतोष पैदा करने की साजिश दिखाई गई है.

इसके अलावा, पुलिस ने कोर्ट को बताया कि न्यूजक्लिक के ऑफिस पर छापेमारी अभी पूरी नहीं हुई है.

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