तमिलनाडु में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सत्ताधारी पार्टी AIADMK ने एक बार फिर के पलानीसामी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया है. तमिलनाडु में अगले साल यानी 2021 में विधानसभा चुनाव होंगे, उससे पहले पार्टी ने पलानीसामी को ही एक बार फिर सीएम का चेहरा बनाने का ऐलान किया. लेकिन पलानीसामी के राजनीतिक करियर की अगर बात करें तो ये काफी दिलचस्प रहा है. जानिए पलानीसामी के एक किसान परिवार में पैदा होने से लेकर तमिलनाडु जैसे राज्य की कुर्सी पर बैठने तक का सफर.
छात्र राजनीति के बाद AIADMK में हुए शामिल
पलानीसामी 12 मई 1954 को तमिलनाडु के सलेम जिले के सिलुवंपलयम में एक किसान परिवार में पैदा हुए. पलानीसामी जब कॉलेज में गए तो उन्होंने छात्र राजनीति में हिस्सा लिया. श्री वसवी कॉलेज एरोड से उन्होंने अपनी ग्रेजुएशन पूरी की. छात्र राजनीति के बाद उन्होंने साल 1974 में राज्य की बड़ी पार्टी AIADMK से जुड़ने का फैसला किया और इसके सदस्य बन गए.
लेकिन राजनीति में उनकी एंट्री के बाद उनका लगातार तेजी से कद बढ़ने लगा. पार्टी की इकाइयों में पलानीसामी की मेहनत को नेताओं ने सराहा और उन्हें जिम्मदारियां मिलनी शुरू हो गईं. उनके कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वो जयललिता और शशिकला दोनों के ही काफी करीबी नेता रहे.
काफी सफल रहा राजनीतिक करियर
अगर राजनीतिक करियर की बात करें तो पलानीसामी 1989 में पहली बार इदापडी सीट से विधायक चुने गए और विधानसभा पहुंचे. उनके काम करने के तरीके को हर तरफ सराहा गया और लोगों में पलानीसामी ने अपनी जगह बनाई. इसके बाद वो लगातार दूसरी बार भी इसी सीट विधायक चुने गए. 1989 से लेकर 1996 तक वो विधायक रहे. इसके बाद 1998 में उन्हें 12वीं लोकसभा में सांसद चुना गया. इस बार वो पार्टी की तरफ से संसद पहुंचे. उन्होंने तमिलनाडु की तिरुचेंगोड लोकसभा सीट से चुनाव जीता.
इसी दौरान वो कमेटी ऑन इंडस्ट्री के और मिनिस्ट्री ऑफ टेक्सटाइल की कमेटी के भी सदस्य रहे. इसके बाद उन्होंने 2011 और 2016 में भी इदापडी सीट से विधायक का चुनाव जीता. वो इसी सीट से कुल चार बार विधायक रह चुके हैं.
गौंडर समुदाय का चहेता चेहरा
पलानीसामी जयललिता और पन्नीरसेल्वम सरकार में मंत्री पद पर भी रह चुके हैं. उनके पास लोक निर्माण विभाग, राजमार्ग जैसे विभाग रहे. इन पदों पर रहते हुए भी उनके काम की तारीफ हुई. कुल मिलाकर पलानीसामी ने काफी कम समय में ही पार्टी में एक कद्दावर नेता के तौर पर अपनी जगह बना ली.
2016 में पार्टी की जीत का लगभग पूरा श्रेय पालानीस्वामी को ही दिया जाता है. क्योंकि इस चुनाव में जयललिता के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी फैक्टर काफी ज्यादा था. लेकिन पालानीस्वामी ने पार्टी को गौंडर समुदाय का पूरा वोट दिलाया और आखिरकार एक बार फिर पार्टी ने राज्य में सरकार बनाई. इस चुनाव में पालानीस्वामी के जिले सलेम की 11 विधानसभा सीटों में से AIADMK ने 10 सीटों पर जीत हासिल की थी.
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