उद्धव ठाकरे और अमित शाह पौने दो घंटे अकेले बैठकर क्या बतियाते रहे? शिवसेना सुप्रीमो ने बीजेपी अध्यक्ष को क्या सुनाया और जवाब क्या मिला. क्विंट के पास ये पूरी जानकारी है कि बंद कमरे में क्या-क्या बातें हुईं.
उद्धव ठाकरे ने पूरी बातचीत के दौरान एक जिद नहीं छोड़ी कि बीजेपी से गठबंधन होगा, तो सिर्फ पुरानी शर्तों पर. इस पर अमित शाह ने क्या जवाब दिया, इस पर ही शिवसेना-बीजेपी गठबंधन का भविष्य टिका हुआ है.
शिवसेना की जिद पर क्या बोले शाह
इस महीने 6 तारीख को अमित शाह और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे मुंबई में मिले. क्विंट को सूत्रों से पता चला है कि अकेले में 100 मिनट तक हुई इस मुलाकात में उद्धव ने शिकवों के सामने अमित शाह भी शिकायतों का पुलिंदा लेकर आए थे. भड़ास निकाली गई. लेकिन मामला फॉर्मूले पर जाकर अटक गया.
गठबंधन का फॉर्मूला क्या हो
शिवसेना की शर्त है कि अब गठबंधन तो तभी होगा, जब बीजेपी राज्य में मुख्यमंत्री की कुर्सी उसे दे. बदले में वह लोकसभा चुनाव में बीजेपी को ज्यादा सीटें लड़ने का मौका दे सकती है.
मतलब यह कि राज्य की राजनीति में शिवसेना को ज्यादा तरजीह मिले, जबकि लोकसभा में बीजेपी को ज्यादा सीटें मिल सकती हैं. लेकिन बीजेपी इस बात पर अड़ी है कि जिस पार्टी को ज्यादा सीटें मिलेंगी, मुख्यमंत्री की कुर्सी पर उसी का हक होगा.
अकेले में हुई बातें
क्विंट को सूत्रों से मिली जानकारी में पता चला है कि 100 मिनट तक चली बैठक शुरू होते ही जैसे अमित शाह ने गठबंधन पर बात की, उद्धव ने बोलना शुरू कर दिया और ताबड़तोड़ शिकायतों की झड़ी लगा दी.
शिवसेना की शिकायतों में बीजेपी सरकारी की ओर से अनदेखी, अपमान, पराए की तरह व्यवहार वगैरह शामिल है. इसका काउंटर अमित शाह ने ‘सामना’ में बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ की गई टिप्पणियों की याद दिलाकर किया. शाह ने उद्धव से ‘सामना’ में छपी खबरों पर सफाई मांगी.
जाहिर है शिकायत का जवाब शिकायत नहीं हो सकता और फिर राजनीति से बात आत्मसम्मान पर जैसे ही पहुंची, तो गतिरोध कायम हो गया.
प्रभु को अपनाने पर शिवसेना खफा
उद्धव ने अमित शाह से पहले रेल और अब वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु को बीजेपी में शामिल करने पर नाराजगी जताई. उद्धव के मुताबिक, सुरेश प्रभु को शिवसेना से तोड़कर बीजेपी में शामिल कराकर रेल मंत्री बनाने के मुद्दे पर भी अमित शाह को खरी-खरी सुनाई.
शिवसेना प्रमुख ने केंद्रीय कैबिनेट विस्तार में शिवसेना की अनदेखी की याद दिलाई. अनिल देसाई को कैबिनेट मंत्री पद देने का वादा हुआ, पर शपथग्रहण से पहले कैबिनेट से घटाकर राज्यमंत्री कर दिया गया. लोकसभा चुनाव के वक्त सुभाष भामरे हो या बादमे प्रतापराव चिखलीकर को बीजेपी शामिल करने वाले मुद्दे को भी अमित शाह के सामने रखा.
उद्धव ने अमित शाह को बताया कि बीजेपी की तरफ से शिवसेना के साथ अपमानजनक व्यवहार किया गया है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार में हिस्सेदारी हो या राज्य सरकार में मंत्रालय, सब जगह उन्हें हक से कम मिला है और अब पार्टी अपमान बर्दाश्त नहीं करेगी.
अमित शाह ने उद्धव से क्या कहा
बीजेपी अध्यक्ष को इस बात पर सख्त ऐतराज था कि शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में आये दिन केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ तीखी टिप्पणी होती हैं. उन्होंने कहा शिवसेना भी सत्ता में है, फिर भी आए दिन 'सामना' बीजेपी और प्रधानमंत्री मोदी को निशाना बनाता रहता है.
शाह ने सलाह दी, “जिन मुद्दों पर आपका मत अलग हो, उससे सार्वजनिक जगह पर बोलने से पहले एक बार बातचीत होनी चाहिए, इससे जनता में भ्रम पैदा होता है, जो दोनों के लिए ठीक नहीं.”
इस पर उद्धव ठाकरे ने जवाब दिया कि बाला साहब ठाकरे के समय से 'सामना' हर विषय पर अपनी बात खुलकर रखता रहा है. उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी से लेकर शरद पवार या आडवाणी, सभी पर 'सामना' ने हमेशा राजनीतिक टिपणी की है और वो जारी रहेगा.
शिवसेना को 'माफिया' कहने पर उद्धव की नाराजगी
बीएमसी चुनाव के दौरान बीजेपी नेताओं की और से चुनाव प्रचार में शिवसेना को लेकर जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया गया, उस मुद्दे पर भी उद्धव ठाकरे नाराज हुए. उन्होंने शाह को याद दिलाया कि किरीट सोमैया और कुछ बीजेपी नेताओं ने शिवसेना को 'माफिया' बताया था. उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष को याद दिलाया कि 'सामना' में बीजेपी के लिए इस तरह की भाषा का इस्तेमाल कभी नहीं हुआ.
शिकवे-शिकायत भूलकर साथ आने की गुजारिश
अमित शाह ने उद्धव से अनुरोध किया कि पुरानी बातें भूलकर नए सिरे से दोनों पार्टियों को साथ आना चाहिए. उन्होंने कहा कि शिवसेना को पहले गठबंधन के लिए अपना मन बनाना होगा, उसके बाद सीटों का बंटवारा कोई बड़ी बात नहीं है.
लेकिन सचाई यही है कि 2014 के विधानसभा चुनाव में सीटों का बंटवारे की वजह से ही हिंदुत्व के आधार पर बना 25 साल पुराना शिवसेना-बीजेपी का गठबंधन टूटा था.
दबाव में हैं उद्धव
शिवसेना भले ही 2019 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में 'एकला चलो रे' का नारे दे रही है, पर पार्टी के अंदर के सूत्र यही बताते हैं कि शिवसेना के कई विधायक और सांसद अकेले मैदान में कूदने को तैयार नहीं हैं. उन्होंने उद्धव ठाकरे से गठबंधन का दबाव बनाया है.
शिवसेना अध्यक्ष भी जानते हैं कि अगर उनकी पार्टी अकेले लड़ी और कांग्रेस-एनसीपी साथ लड़े, तो महाराष्ट्र में फिर से कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन की सत्ता में वापसी लगभग तय है. साथ ही मुंबई में भी शिवसेना का गढ़ खतरे में पड़ सकता है, इसलिए उद्धव जल्दबाजी में फंसना नहीं चाहते.
क्या करेगी शिवसेना
बीजेपी से गठबंधन को लेकर शिवसेना चाहती है कि बाल ठाकरे और प्रमोद महाजन के बनाए फॉर्मूले पर गठबंधन हो.
इसके मुताबिक लोकसभा चुनाव में बीजेपी ज्यादा सीटों पर लड़े, जबकि विधानसभा में शिवसेना के पास ज्यादा सीटें हों. राज्य में सत्ता आने पर दोनों पार्टियों को आधी-आधी हिस्सेदारी मिले और मुख्यमंत्री शिवसेना का ही हो.
लेकिन बीजेपी सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री पद को लेकर पहले से कोई समझौते के लिए पार्टी तैयार नहीं है. बीजेपी की दलील है कि जो ज्यादा सीटें जीतेगा, मुख्यमंत्री उसी पार्टी का होगा.
उद्धव- मोदी मुलाकात मुमकिन
अमित शाह और उद्धव ठाकरे की मुलाकात में फैसला नहीं होने की वजह से अब मामला पीएम मोदी के दरबार में चला गया है. सूत्रों के मुताबिक, जल्द ही उद्धव ठाकरे की प्रधानमंत्री मोदी से भी बातचीत होने की संभावना है. करीबी सूत्र बताते हैं कि असल में अमित शाह ने ही उद्धव को सलाह दी है कि उन्हें प्रधानमंत्री मोदी से बात करनी चाहिए और संवाद कायम रखना चाहिए.
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