असम विधानसभा चुनाव के लिए सत्तारूढ़ बीजेपी और विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने अपने चुनावी अभियान की शुरुआत कर दी है. ये हैरानी की बात नहीं है कि दोनों पार्टियों ने चुनावी कैंपेन के आगाज के लिए शिवसागर को ही चुना है. दरअसल असम के शिवसागर का अपना ऐतिहासिक महत्व है. क्योंकि ये 1699 से 1788 के बीच अहोम साम्राज्य की राजधानी हुआ करती थी.
जनवरी में बीजेपी ने शिवसागर में इलेक्शन कैंपेन की शुरुआत की. शिवसागर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूमिहीन परिवारों को जमीन के कागजात सौंपे. वहीं 14 फरवरी को कांग्रेस ने भी अपने चुनावी एजेंडे को ध्यान में रखते हुए प्रचार अभियान की शुरुआत की.
शिवसागर की चुनावी रैली में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि असम में नागरिकता संशोधन कानून लागू नहीं किया जाएगा.
असम में CAA को लेकर नाराजगी है और यह राज्य में मुख्य चुनावी मुद्दों में से एक है.
कांग्रेस का गमोसा कार्ड
असम के शिवसागर में रैली के दौरान छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, असम कांग्रेस के शीर्ष नेता रिपुन बोरा, गौरव गोगोई, प्रद्योत बोरदोलोई, विधानसभा में विपक्ष के नेता देबब्रत सैकिया, सुष्मिता देब, रॉकीबुल हुसैन के अलावा असम प्रभारी जितेंद्र सिंह समेत सभी नेताओं ने गमोसा पहना था, जिस पर CAA को लागू नहीं करने का संकेत अंकित था.
दरअसल असम में गमोसा एक सफेद रंग का आयातकार कपड़ा होता है. जिस पर लाल रंग का पारंपरिक बॉर्डर होता है. गमोसा असम की सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है.
गमोसा का इस्तेमाल करके कांग्रेस ने ये साफ कर दिया है कि वो राज्य में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ है और इस चुनाव में इस मुद्दे को सबसे ऊपर रखेगी.
इस रैली में राहुल गांधी और अन्य कांग्रेस नेता देबब्रत सैकिया ने बीजेपी पर असम को बाहरी उद्योगपतियों को बेचने का आरोप लगाया. जिनमें मुख्य रूप से गुजराती बिजनेसमैन शामिल हैं.
कांग्रेस के आरोपों के जवाब में बीजेपी ने कांग्रेस पर गमोसा के अपमान का आरोप लगाया. हालांकि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि असम विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने प्रचार अभियान में नागरिकता संशोधन कानून को महत्वपूर्ण मुद्दे के तौर पर शामिल किया और यह मुद्दा चुनावों में अहम रहने वाला है.
CAA पर कांग्रेस का रुख
असम में पार्टी की चुनावी रणनीति में बदलाव करते हुए कांग्रेस ने साफ किया है कि वो राज्य में नागरिकता संशोधन कानून को लागू करने के पक्ष में नहीं है. इससे पहले कांग्रेस संसद में भी CAA का विरोध कर चुकी है. हालांकि शुरुआत में कांग्रेस नागरिकता संशोधन कानून के मुद्दे को चुनाव में उठाने से हिचकिचा रही थी, क्योंकि पार्टी का मानना था कि इससे बराक घाटी में बंगाली हिंदू मतदाता अलग-थलग हो सकते हैं.
ये जानना बेहद जरूरी है कि संसद में 2019 में नागरिकता संशोधन कानून के पास होने के बाद से ब्रह्मपुत्र घाटी में इसे लेकर काफी विरोध हुए. क्योंकि असम भाषी लोगों को इस बात का डर था कि इससे राज्य की जनसांख्यिकी में बड़ा बदलाव होगा. वहीं दूसरी ओर इस क्षेत्र में बड़ा प्रभाव रखने वाले बंगाली भाषी हिंदू CAA के आने से खुश थे.
नागरिकता संशोधन कानून बंगाली भाषी उन हिंदुओं के लिए फायदेमंद हो सकता है जो कि नेशनल सिटीजन रजिस्टर से बाहर हैं.
असम में कांग्रेस ने तयशुदा जोखिम के तहत नागरिकता संशोधन कानून को चुनावी मुद्दा बनाया है.
चुनावी नफा-नुकसान
बराक वैली में बीजेपी ऐतिहासिक रूप से तगड़ी पकड़ रखती है और CAA की वजह से यहां पर बीजेपी का वोटबैंक और मजबूत होगा. बंगाली भाषी हिंदुओं का एक तबका जो कि NRC के डर से परेशान हैं, उन्हें ये लगता है कि बीजेपी ही एक ऐसी पार्टी है जो कि उनके हितों की रक्षा कर सकती है.
इन परिस्थितियों को देखते हुए ऐसा नहीं लगता है कि कांग्रेस CAA के मुद्दे पर बीजेपी को मिलने वाले जनसमर्थन और वोटों में सेंध लगा पाएगी.
अब तक ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) और हाल ही में गठित राजनीतिक दल असोम जातिय परिषद के नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में सबसे आगे थे.
अब कांग्रेस चाहती है कि इस मुद्दे को वोट में तब्दील किया जाए. यह संभव है कि AJP के साथ मिलकर कांग्रेस उनके सहयोगियों की बीच अपनी पैठ बनाए.
हालांकि इस पर कांग्रेस ने अभी अपना रुख साफ नहीं किया है, क्योंकि इससे एंटी बीजेपी असमी वोट AJP और उसकी सहयोगी राजियोर दल के हिस्से में जाने का डर है.
कांग्रेस का बागान मजदूरों से वादा
शिवसागर रैली में राहुल गांधी ने एक महत्वपूर्ण ऐलान करते हुए कहा है कि कांग्रेस चाय बागान में काम करने वाले वर्करों के दैनिक वेतन में बढ़ोतरी करेगी और इस राशि को बढ़ाकर 167 से 365 रुपए प्रतिदिन तक किया जाएगा. कांग्रेस की ये घोषणा उन मजदूरों के लिए बड़ी सौगात हो सकती है, जो कि वेतन में 351 रुपए की बढ़ोतरी करने के लिए लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं.
राहुल गांधी ने ये भी कहा कि ये पैसा कहां से आएगा? स्वभाविक से बात है कि गुजरात के व्यापारी से आएगा.
इस घोषणा के साथ कांग्रेस चुनाव में बीजेपी से बढ़त लेने की कोशिश में है. असम के उप मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा ने कहा है कि चाय बागान के मजदूरों के वेतन में कुछ दिनों में बढ़ोतरी होगी. लेकिन वेतन में होने वाली ये बढ़ोतरी कांग्रेस की चुनावी घोषणा से कम ही होगी.
असम विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने प्रचार अभियान की शुरुआत बड़े ही आक्रामक अंदाज में की है. इसके लिए कांग्रेस पहले से ही सोशल मीडिया पर असम बचाओ नामक कैंपेन चला रही है. शिवसागर में हुई रैली के जरिए कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि वो तय मुद्दों के साथ विधानसभा का चुनाव लड़ेगी.
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